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मैर्केल मोदी मुलाकात: संबंधों को बढ़ाने पर जोर

अशोक कुमार
२० अप्रैल २०१८

भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी यूरोप यात्रा के आखिरी पड़ाव में शुक्रवार को बर्लिन पहुंचे और उन्होंने चांसलर अंगेला मैर्केल से मुलाकात की.

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Berlin Angela Merkel mit Indiens Premierminister Modi
तस्वीर: Reuters/A. Schmidt

प्रधानमंत्री कार्यालय ने मोदी और चांसलर मैर्केल की मुलाकात की फोटो ट्वीट करते हुए लिखा, “दोनों नेता भारत और जर्मनी के बीच आर्थिक सहयोग को बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं.” 

बतौर चांसलर चौथी बार कार्यभार संभालने के बाद मैर्केल की यह मोदी से पहली मुलाकात है. उन्होंने चांसलर कार्यालय में मोदी की अगवानी की. दोनों नेताओं ने जिस गर्मजोशी के साथ हाथ मिलाया, उससे भारत और जर्मनी के बीच मजबूत संबंधों का पता चलता है. बर्लिन आने से पहले मोदी ने लंदन में कॉमनवेल्थ देशों के सम्मेलन में हिस्सा लिया, जबकि इससे पहले वह स्वीडन गए.

बर्लिन में मोदी का कार्यक्रम सिर्फ चंद घंटे रुकने का ही था, लेकिन भारत का कहना है कि उनकी यात्रा दोनों के बीच संबंधों की निरंतता को बनाए रखने की वचनबद्धता की तरफ इशारा करती है. भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने ट्वीट किया, "उच्च स्तरीय संवाद की गति को बनाए रखने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जर्मन चांसलर मैर्केल से मिलने के लिए बर्लिन के संक्षिप्त दौरे पर पहुंचे. यह दौरा रणनीतिक साझेदारी को मजबूत करने की हमारी आपसी इच्छा को दर्शाता है.” 

जर्मनी और भारत के बीच लगातार आर्थिक सहयोग बढ़ रहा है. 2016-17 में द्विपक्षीय व्यापार 18.76 अरब डॉलर था. इसमें भारत ने जर्मनी को 7.18 अरब डॉलर का सामान निर्यात किया जबकि जर्मनी से 11.58 अरब डॉलर का सामान मंगाया. एक अध्ययन के मुताबिक जर्मनी में लगभग 80 कंपनियों ने 2016 में कुल मिलाकर 14 अरब डॉलर का राजस्व हासिल किया.

भारत के पूर्व राजनयिक जी पार्थसारथी कहते हैं कि ब्रिटेन के यूरोपीय संघ से निकलने के बाद यूरोपीय संघ में जर्मनी और फ्रांस व्यापक भूमिका निभाएंगे. उन्होंने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "सच्चाई यही है कि अगर भारत को अपनी आर्थिक प्रगति को जारी रखना है तो उसे जर्मनी पर ज्यादा निर्भर रहना होगा. छोटे यूरोपीय देशों की उतनी ज्यादा भूमिका नहीं है."

वहीं नई दिल्ली में सेंटर फॉर यूरोपियन स्टडीज में प्रोफेसर राजेंद्र जैन कहते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश नीति के लिए जर्मनी बहुत ही अहम है और इसकी वजह है दुनिया पर जर्मनी का आर्थिक और राजनीतिक प्रभाव. उन्होंने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा, "बुनियादी ढांचे, अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं, दक्षता विकास और जल प्रबंधन में निवेश के लिए भारत को जर्मनी की जरूरत है."

जर्मनी ने भारत में गंगा की सफाई के राष्ट्रीय मिशन में भी निवेश किया है. 2016 में जर्मन सरकार ने गंगा की सफाई के लिए डाटा मैनेजमेंट और प्रशिक्षण के लिए 30 लाख यूरो देने की प्रतिबद्धता जताई. मोदी की "मेक इन इंडिया" मुहिम के लिए विदेशी निवेश बहुत जरूरी है, जिसका मकसद भारत को मैन्युफैक्चरिंग हब बनाना है. इसके जरिए सरकार नौकरियों के नए अवसर भी पैदा करना चाहती है.