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शतरंज के मैच में रोबोट ने बच्चे की उंगली तोड़ी

२५ जुलाई २०२२

रूस में खेली गई एक शतरंज प्रतियोगिता के दौरान एक रोबोट ने अपने 7 वर्षीय प्रतिद्वन्द्वी की उंगली कुचल दी. बच्चे के माता-पिता मुकदमा करने पर विचार कर रहे हैं.

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प्रतीकात्मक तस्वीर
प्रतीकात्मक तस्वीरतस्वीर: Andreas Gora/dpa/picture alliance

रूस के स्थानीय मीडिया ने खबर छापी है कि मॉस्को में एक शतरंज टूर्नामेंट के दौरान एक चौंकाने वाली घटना हुई. रोबोट और बच्चों के बीच जारी शतरंज मैचों के दौरान एक रोबोट ने अपने प्रतिद्वन्द्वी की उंगली कुचल दी.

टेलीग्राम पर रूस के चर्चित बाजा न्यूज ने एक वीडियो प्रकाशित किया है. सीसीटीवी फुटेज से लिए गए इस वीडियो में वह पल देखा जा सकता है जबकि रोबोट सामने बैठे बच्चे की उंगली पकड़ रहा है. जैसे ही उसने उंगली पकड़ी, बच्चा चिल्लाने लगा और आसपास खड़े लोग उसकी मदद को दौड़े. हालांकि वीडियो में देखा जा सकता है कि उन लोगों को भी समझ नहीं आ रहा है कि यह हुआ क्या.

रूसी समाचार एजेंसी टैस के मुताबिक यह घटना 19 जुलाई को मॉस्को चेस ओपन के दौरान हुई. मॉस्को चेस फेडरेशन के अध्यक्ष सर्गे लाजारेव ने टैस को बताया कि रोबोट को प्रतियोगिता के लिए किराये पर लिया गया था. लाजारेव ने कहा, "रोबोट ने बच्चे की उंगली तोड़ दी. बेशक यह बुरी बात है. रोबोट हमने किराये पर लिया था. यह विशेषज्ञों के साथ कई स्थानों पर प्रदर्शित किया जा चुका है.”

लाजरेव ने कहा कि बच्चे ने रोबोट को प्रतिक्रिया के लिए कम समय दिया था. उन्होंने कहा, "बच्चे ने चाल चली. उसके बाद हमें रोबोट को जवाब देने के लिए समय देना होता है लेकिन बच्चे ने जल्दबाजी की और रोबोट ने उसकी उंगली पकड़ ली. उस रोबोट से हमारा कोई लेना देना नहीं है.”

ठीक है बच्चा

लाजारेव ने बताया कि बच्चे ने प्रतियोगिता कास्ट लगवाकर पूरी की और स्वयंसेवक उसकी मदद कर रहे थे. उन्होंने बताया कि बच्चे के माता-पिता वकीलों की सलाह ले रहे हैं. उन्होंने कहा, "माता-पिता प्रॉसीक्यूटर कार्यालय से संपर्क करना चाहते हैं. हम बात करेंगे, देखेंगे कि क्या किया जा सकता है और हर संभव मदद करेंगे.” उन्होंने कहा कि रोबोट-चालकों को सोचना होगा कि सुरक्षा को कैसे मजबूत किया जाए ताकि ऐसी घटना दोबारा ना हो.

मॉस्को चेस फेडरेशन के उपाध्यक्ष सर्गे स्मागिन ने मीडिया संस्थान आरआईए नोवोस्ती को बताया कि ऐसी घटना पहली बार हुई है. उन्होंने कहा, "कुछ गंभीर नहीं हुआ. बच्चा पुरस्कार समारोह में गया. उसने दस्तावेजों पर दस्तखत किए. वह ठीकठाक है.”

स्मागिन ने इस घटना को ‘बेहद दुर्लभ वाकया' बताया. उन्होंने कहा, "कुछ सुरक्षा नियम होते हैं और लगता है कि बच्चे ने उनका उल्लंघन किया. जब उसने चाल चली तो उसने ध्यान नहीं दिया कि उसे इंतजार करना होगा.”

मनुष्य बनाम मशीन

मनुष्य और मशीन के बीच शतरंज के मुकाबले बरसों से हो रहे हैं. 10 फरवरी 1996 के दिन को इस सिलसिले में ऐतिहासिक माना जाता है जबकि पहली बार एक कंप्यूटर ने विश्व चैंपियन को शतरंज में हरा दिया था. तब के विश्व चैंपियन ग्रैंड मास्टर गैरी कास्पारोव को आईबीएम द्वारा बनाए गए कंप्यूटर डीप ब्लू ने हराकर पहली बार मनुष्य पर इस खेल में जीत पाई थी. अगले साल दोनों का मैच दोबारा हुआ और फिर कास्पारोव हार गए.

चेस बना अर्मेनिया में स्कूली विषय

2010 में कास्पारोव ने उस घटना को याद करते हुए लिखा था, "नतीजों पर हैरानी और दुख दोनों तरह की प्रतिक्रियाएं हुई थीं क्योंकि लोगों ने इसे एक सर्वशक्तिमान कंप्यूटर के सामने मनुष्य के घुटने टेके जाने के रूप में देखा था.”

अब मनुष्य और मशीन के बीच शतरंज का खेल आम हो चला है और अक्सर ही दोनों एक दूसरे को हराते हैं. बच्चों को अभ्यास कराने के लिए भी रोबोट का प्रयोग खूब प्रचलित है. तकनीक पर लिखने वाले लेखक क्लिंट फिनली ने इस बारे में ‘वायर्ड' के लिए एक लेख में लिखा था कि कंप्यूटर को प्रतिद्वन्द्वी बनाकर खिलाड़ियों को प्रशिक्षित किया जा सकता है और आज तो 50-50 डॉलर में ऐसी प्रोग्राम मिल सकते हैं जो बड़े-बड़े चैंपियनों को हरा सकते हैं.

रिपोर्टः विवेक कुमार