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सऊदी अरब में नफरत का पाठ पढ़ते स्कूली बच्चे

१५ सितम्बर २०१७

सऊदी अरब में बच्चे स्कूलों में जो धार्मिक किताबें पढ़ रहे हैं उसने नफरत और असहिष्णुता को बढ़ावा मिलता है. हालांकि अधिकारी किताबों में इस तरह की भाषा को हटाने का वादा करते रहे हैं.

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Saudi Arabien - Schülerinnen - Symbolbild
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/H. Jamali

मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने सऊदी अरब की पाठ्य पुस्तकों में घृणा फैलाने वाली सामग्री की तरफ ध्यान दिलाया है. न्यूयॉर्क स्थित इस समूह के मुताबिक सऊदी अरब के शिक्षा मंत्रालय ने 2016-17 के लिए धार्मिक विषय पर जो पुस्तकें तैयार की हैं, उनमें "नफरत भरी और उत्तेजक भाषा का इस्तेमाल किया गया है."

इन किताबों में उन इस्लामी परंपराओं को तुच्छ बताया गया है जो सुन्नी इस्लाम को लेकर सऊदी अरब की कट्टर व्याख्या के अनुरूप नहीं हैं. इनमें खास तौर से सूफी और शिया समुदायों से जुड़ी धार्मिक परंपराओं को निशाना बनाया गया है. ह्यूमन राइट्स वॉच के मुताबिक किताबों में यहूदी और ईसाइयों को "काफिर" बताया गया है और उनसे मुसलमानों को दूर रहने की हिदायत दी गयी है.

मध्य पूर्व के लिए ह्यूमन राइट्स वॉच की निदेशक सारा लीह कहती हैं, "सऊदी अरब में पहली क्लास के बच्चों को दूसरे धार्मिक समुदायों के प्रति नफरत का पाठ पढ़ाया जा रहा है. किताबों में ऐसे अध्याय साल दर साल पढ़ाये जा रहे हैं."

मानवाधिकार संगठन का कहना है कि उसने 45 किताबों का विश्लेषण किया. सऊदी अधिकारी नफरत भरी भाषा को हटाने की बात बराबर करते हैं, लेकिन किताबों में अभी कोई बदलाव नहीं किया गया है. अमेरिका पर 11 सितंबर 2001 के हमले के बाद पहली बार सऊदी अरब की पाठ्यपुस्तकों को लेकर विवाद हुआ था. सऊदी अरब पर दुनिया को कट्टरपंथी वहाबी विचारधारा निर्यात करने का आरोप लगता है. आतंकवादी संगठन अल कायदा का नेता ओसामा बिन लादेन सऊदी नागरिक था.

सऊदी अरब में धार्मिक नियमों की आलोचना करने पर कई लोगों को जेलों में डाला गया है. 2014 में सऊदी अरब की एक कोर्ट ने उदारवादी ब्लॉगर रइफ बदावी को अपने ब्लॉग में इस्लाम का अपमान करने का दोषी पाया था. एक साल बाद एक उच्च अदालत ने उन्हें मिली 10 साल की कैद और एक हजार कोड़ों की सजा को बरकरार रखा. दुनिया भर में यह मामला सुर्खियां में रहा है और इस मुद्दे पर सऊदी अरब को खासी आलोचना भी झेलनी पड़ी.

एके/एमजे (डीपीए)