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जासूसी के लिए सऊदी अरब में 15 लोगों को मौत की सजा

६ दिसम्बर २०१६

सऊदी अरब की एक अदालत ने 15 लोगों को ईरान के लिए जासूसी करने का दोषी करार देते हुए मौत की सजा सुनाई है.

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Symbolbild Selbstmord
तस्वीर: vkara - Fotolia.com

अल रियाद अखबार ने अपनी वेबसाइट पर खबर दी है कि कुल 32 लोगों के खिलाफ जासूसी के आरोपों में मुकदमा चला था. दो लोगों को बरी कर दिया गया है जबकि 15 को मौत की सजा और अन्य को छह महीने से लेकर 25 साल तक की सजा सुनाई गई है. एक सूत्र ने एएफपी को बताया कि मौत की सजा पाने वाले सभी सऊदी नागरिक हैं और इनका संबंध सऊदी अरब के अल्पसंख्यक शिया समुदाय से संबंध है. सू्त्र के मुताबिक मौत की सजा के खिलाफ अपील की जाएगी.

सऊदी मीडिया का कहना है कि 32 लोगों में एक ईरानी और एक अफगान नागरिक को छोड़ कर सभी सऊदी अरब के हैं. एक सूत्र ने एएफपी को बताया गया कि बरी किए गए लोगों में एक विदेशी नागरिक भी है. वहीं मानवाधिकार संस्था ह्यूमन राइट्स वॉच ने इस मुकदमे को "न्याय का मजाक" कह कर खारिज किया है.

देखिए मौत की सजा के वीभत्स तरीके

यह मामला फरवरी में शुरू हुआ था, जब सऊदी अरब ने ईरान के साथ अपने राजनयिक संबंध तोड़ लिए थे. सऊदी अरब ने यह कदम तेहरान में अपने दूतावास और एक कॉन्सूलेट में आग लगाए जाने के बाद उठाया. सऊदी अरब में शिया मौलवी निम्र अल-निम्र को मौत की सजा दिए जाने से नाराज ईरानी प्रदर्शनकारियों ने सऊदी राजनयिक मिशनों को निशाना बनाया था.

सऊदी अभियोजकों का कहना है कि आरोपियों ने गोपनीय रक्षा जानकारी को लीक किया और सरकारी विभागों में अपने जासूस भर्ती करने की कोशिश की. इन लोगों पर शिया इलाकों में दंगे भड़काने का भी आरोप था. यह भी कहा जा रहा है कि इनमें से कुछ लोगों की मुलाकात ईरान के सर्वोच्च नेता अयातोल्लाह अली खमेनेई से हुई थी.

लेकिन ह्यूमन राइट्स वॉच का कहना है कि मुकदमे में बुनियादी प्रक्रियाओं का उल्लंघन हुआ है. इस मामले में मार्च तक पैरवी करने वाले एक वकील के हवाले से ह्यूमन राइट्स वॉच ने कहा है कि इस मामले का संबंध ईरान और सऊदी अरब के बीच जारी तनातनी से हो सकता है. सुन्नी बहुल सऊदी अरब और शिया बहुल ईरान के बीच दशकों से तकरार रही है. इन दिनों, सीरिया और यमन में जारी संकट में दोनों एक दूसरे के सामने हैं.

एके/वीके (एएफपी)