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ट्रंप के ट्रैवल बैन पर बरसे कई 9/11 पीड़ित परिवार

१ फ़रवरी २०१७

अमेरिका में 11 सितंबर 2001 के आतंकवादी हमले में अपने परिजनों को खोने वाले कई परिवार ट्रंप से नाराज हैं जिन्होंने कुछ मुस्लिम बहुल देशों के लोगों के अमेरिका में आने पर रोक लगाने के ट्रंप के कदम की आलोचना की है.

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USA Terror New York Anschläge World Trade Center 9/11 2001
तस्वीर: AP/dapd/Chao Soi Cheong

ट्रंप ने पिछले दिनों एक अध्यादेश पर हस्ताक्षर करते हुए कहा था कि वह देश को आतंकवादी हमलों से बचाना चाहते हैं और उन्होंने 9/11 के हमले का भी जिक्र किया था. लेकिन इस हमले में अपने प्रियजनों को गंवाने वाले कई परिवारों का कहना है कि ट्रंप का कदम गलत है, जो अमेरिका में शरणार्थियों को आने से भी रोक रहा है.

न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर हुए हमले में अपने बेटी एन को खोने वालीं टेरी मैकगवर्न का कहना है कि ट्रंप के बयान में 9/11 का जिक्र सुन कर उन्हें बुरा लगा. वह कहती हैं, "मैं यह देख देख कर थक गई हूं कि लोग किस तरह अपने स्वार्थों के लिए 9/11 को इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका हमारे प्रियजनों से कोई लेना लेना नहीं है."

ट्रंप के इन कदमों से मची है खलबली

ट्रंप के अध्यादेश में जिन देशों के लोगों के अमेरिका में आने पर अस्थायी रोक लगाई गई है उनमें इराक, सीरिया, ईरान, सूडान, लीबिया, सोमालिया और यमन के नाम शामिल हैं. इस सूची में ऐसे किसी भी देश का नाम नहीं है जिनके नागरिकों ने 11 सिंतबर के हमले को अंजाम दिया था. सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मिस्र और लेबनान के 11 विमान अपहरणकर्ताओं ने 2001 में अमेरिकी इतिहास का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला किया था, जिसमें तीन हजार से ज्यादा लोग मारे गए थे. यही बात कई पीड़ित परिवारों ने उठाई है.

9/11 के कई अन्य पीड़ित परिवारों का कहना है कि वे नहीं चाहते कि शरणार्थियों को नुकसान पहुंचाने के लिए उन लोगों की यादों को इस्तेमाल किया जाए जो हमले में मारे गए थे. जॉन सिगमंड की बहन योहाना सिगमंड भी उस दिन वर्ल्ड ट्रेड सेंटर में ही थीं जब हमला हुआ. ट्रंप के कदम पर जॉन सिगमंड का कहना है, "यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है. यह अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ है."

देखिए राष्ट्रपति बनते ही क्या बोले थे ट्रंप

हालांकि कुछ पीड़ित परिवार ट्रंप का साथ दे रहे हैं. हमले में अपने भाई को खोने वाली डेबरा बरलिंगम ने कहा कि सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाना अच्छी बात है. उनके मुताबिक, "यह हमारी सबकी सुरक्षा के लिए है." उनका कहना है कि अगर अमेरिकी नागरिकों और कानूनन स्थायी रूप से यहां रह रहे लोगों की जांच पड़ताल होती है तो इससे उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. व्हाइट हाउस का कहना है कि अध्यादेश का मकसद अमेरिकी लोगों को विदेशी नागरिकों के आतंकवादी हमलों से बचाना है.

लेकिन 9/11 के कई पीड़ित परिवारों का कहना है कि ट्रंप का कदम मुसलमानों के बीच अमेरिका के लिए नफरत को बढ़ावा देगा और युद्ध से तबाह देशों के दरबदर भटक रहे शरणार्थियों की मुश्किलें भी बढ़ेंगी. 2002 में इराक में अमेरिकी हमला का विरोध करने के लिए बने समूह "फैमिलीज फॉर पीसफुल टुमॉरो" में शामिल ज्यादातर 9/11 पीड़ित परिवार ट्रंप के कदम पर सवाल उठ रहे हैं.

एके/वीके (रॉयटर्स)