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सीरिया में अस्पताल बने शिकार भी और हथियार भी

१७ मार्च २०१७

सीरिया में जारी लड़ाई में अस्पतालों और चिकित्साकर्मियों को निशाना बनाए जाने पर लगातार चिंता बढ़ रही है. नामी विज्ञान पत्रिका लांसेट में छपे एक शोध में अंतरराष्ट्रीय समुदाय से इस बारे में संजीदा कदम उठाने को कहा गया है.

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Syrien Krieg - Zerstörung & Evakuierungen in Aleppo
तस्वीर: Getty Images/AFP/B. Kilic

लेबनान की अमेरिकन यूनिवर्सिटी ऑफ बेरुत में स्वास्थ्य विज्ञान विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर समर जब्बौर इस शोध को करने वाली टीम के सह-प्रमुख हैं. उनका कहना है कि 2016 सीरिया में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के लिए सबसे खतरनाक साल रहा. कई हमलों में स्वास्थ्यकर्मियों की जानें गई. इसके अलावा कइयों को कैद, अपहरण और उत्पीड़न भी झेलना पड़ा.

जब्बौर कहते हैं, "विश्व समुदाय अंतरराष्ट्रीय मानवीय और मानवाधिकार कानून के धड़ल्ले से हो रहे उल्लंघनों पर ध्यान नहीं दे रहा है जबकि इनके गंभीर नतीजे सामने आ रहे हैं." उनके मुताबिक ऐसे मामलों की निंदा तो खूब होती है, लेकिन इनकी रोकथाम के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जाते हैं.

सीरिया में जारी गृहयुद्ध को छह साल पूरे होने के मौके पर प्रकाशित इस शोध रिपोर्ट में कई स्रोतों से जुटाई गई जानकारी शामिल की गई है. इसके मुताबिक सीरिया में जरूरतमंद लोगों के खिलाफ स्वास्थ्य सेवाओं को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया जा रहा है.

अध्ययन में कहा गया है कि सीरिया में मार्च 2011 से फरवरी 2017 के बीच अनुमानित 814 चिकित्साकर्मी मारे गए हैं, लेकिन जब्बौर कहते हैं कि असल संख्या इससे कहीं ज्यादा हो सकती है क्योंकि सारी जानकारी जुटा पाना मुश्किल है.

शोधकर्ताओं का कहना है कि 2016 में स्वास्थ्य केंद्रों पर लगभग 200 हमले हुए जबकि 2012 में इनकी तादाद लगभग 90 थी. हमा शहर में कफ्र जिता केव अस्पताल पर 2014 से 33 बार हमला हुआ है. छह बार हमला तो इसी साल हुआ है. इसके अलावा पूर्वी अलेप्पो में जमीन के नीचे बने अस्पताल एम10 पर तीन साल में 19 बार हमला हुआ और अक्टूबर 2016 में इसे ध्वस्त कर दिया गया.

जब्बौर कहते हैं, "इस दौरान, हमले बहुत बढ़ गए हैं. जहां तक हमारी जानकारी है, इससे पहले किसी लड़ाई में इस तरह अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों को निशाना नहीं बनाया गया था." सीरिया के अलावा अफगानिस्तान और यमन में भी स्वास्थ्य केंद्रों को निशाने बनाने की रिपोर्टें सामने आई हैं. शोधकर्ताओं ने नीति निर्माताओं से हालात को संभालने के लिए तत्काल कदम उठाने को कहा है.

एके/एमजे (रॉयटर्स)