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अफगान तालिबान के नेता ने कहा, पेड़ लगाओ

२७ फ़रवरी २०१७

अफगान तालिबान ने अपनी एक अनोखी अपील से लोगों का ध्यान खींचा है. अकसर जिहाद और लड़ाई की बात करने वाले इस आतंकवादी गुट के नेता ने अफगान लोगों से पेड़ लगाने को कहा है.

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Afghanistan Mullah Haibatullah Akhundzada
तस्वीर: picture alliance/AP Photo/Afghan Islamic Press

पिछले साल मई में तालिबान नेता मुल्ला अख्तर मोहम्मद मंसूर की मौत के बाद हैबतुल्लाह अखुंदजादा ने संगठन की कमान संभाली थी. उसने अपने गुट की वेबसाइट पर लोगों से ज्यादा पेड़ लगाने कहा है. तालिबान नेता का बयान ऐसे समय पर आया है जब आम तौर पर तालिबान लड़ाके सर्दियों के बाद वसंत में लड़ाई शुरू करते हैं. इसके तहत देश में अलग अलग जगहों पर हमले किए जाते हैं.

अखुंदजादा ने कहा है कि पेड़ "पर्यावरण संरक्षण, आर्थिक विकास और पृथ्वी को सुंदर बनाने में" अहम भूमिका अदा करते हैं. रविवार को अंग्रेजी समेत चार भाषाओं में जारी किए गए तालिबान नेता के बयान में कहा गया है, "मुजाहिदीन और प्यारे देशवासियों को एक साथ मिल कर पेड़ लगाने चाहिए और इस बारे में कोई कसर ना छोड़ी जाए."

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अखुंदजादा के इस बयान पर अफगान गृह मंत्रालय के प्रवक्ता सेदिक सिद्दिकी ने कहा है कि तालिबान को पेड़ लगाने की बजाय बम रोपने का काम बंद करना चाहिए. उनके मुताबिक, "उन्हें ईआईडी रोपने बंद करना चाहिए जिनसे हर रोज महिला और बच्चों समेत इतने सारे अफगान लोगों की जान जाती है." संयुक्त राष्ट्र के रिकॉर्ड के मुताबिक 2016 के दौरान अफगानिस्तान में सबसे ज्यादा आम लोगों की मौत हुई. इस दौरान 11,500 लोग मारे गए या जख्मी हुए. अपनी एक हालिया रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने कहा था कि हताहत हुए लोगों में साढ़े तीन हजार से ज्यादा बच्चे थे.

तालिबान नेता के बयान में कहा गया है कि वे "विदेशी आक्रमणकारियों और उनके भाड़े के लोगों के खिलाफ संघर्ष में पूरी तरह से सक्रिय" हैं. भाड़े के लोगों से इशारा अफगान सरकार की तरफ है जिसे तालिबान सत्ता से बाहर करना चाहता है. अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी के प्रवक्ता शाह हुसैन मुर्तजवई ने पेड़ लगाने वाले बयान को लोगों का ध्यान भटकाने वाला कदम बताया है. उन्होंने कहा, "जब से तालिबानी आंदोलन शुरू हुआ है, तब से उसे लेकर लोगों के दिमाग में सिर्फ लड़ाई, अपराध और बर्बादी की बातें आती हैं. तालिबान के लिए यह कैसे संभव है कि वह देश में पेड़ लगाने और पर्यावरण को बचाने की बात करे."

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काबुल समेत अफगानिस्तान के सभी बड़े शहरों में देश की बड़ी आबादी रहती है लेकिन वहां हरे भरे इलाके या पार्कों की बहुत कमी है. काबुल में रहने वाले राजनीतिक विश्लेषक वाहिद मुझदा कहते हैं कि पेड़ लगाने, इमारत और पुल बनाने जैसे बयान देकर तालिबान शायद ये संदेश देना चाह रहा है कि जिन इलाकों पर उसका नियंत्रण है, वह वहां अच्छा नेतृत्व प्रदान करेगा.

एके/एमजे (एएफपी/एपी)