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मानवाधिकारअफगानिस्तान

यूएन: मुस्लिम देश तालिबान को 21वीं सदी में ले जाएं

२६ जनवरी २०२३

संयुक्त राष्ट्र ने मुस्लिम देशों से अफगानिस्तान में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा को समाप्त करने में मदद करने का आग्रह किया है.

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तस्वीर: Wakil Kohsar/AFP

संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने अफगानिस्तान की हालिया यात्रा के दौरान कहा कि उन्होंने अफगान महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ कार्रवाई को समाप्त करने के लिए तालिबान अधिकारियों के साथ बातचीत में सभी "साधनों" का इस्तेमाल किया.

तालिबान के साथ वार्ता

नाइजीरिया की पूर्व मंत्री और संयुक्त राष्ट्र की उप महासचिव अमीना मोहम्मद ने बुधवार को एक संवाददाता सम्मेलन में बताया कि उन्होंने पिछले सप्ताह संयुक्त राष्ट्र के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ देश का दौरा किया. उन्होंने वहां विदेश मंत्री और उप प्रधानमंत्री समेत तालिबान के चार सदस्यों के साथ वार्ता की.

अमीना मोहम्मद ने कहा कि तालिबान के अधिकारियों ने उन्हें समझाने की कोशिश की कि उन्होंने महिलाओं के लिए सुरक्षित माहौल बनाने के लिए कदम उठाए हैं, लेकिन उन्हें पहचाना नहीं गया.

अमीना ने कहा, "मैं कहूंगी कि उनकी (तालिबान की) सुरक्षा की परिभाषा महिलाओं के उत्पीड़न के बराबर है."

काबुल और कंधार में बैठकों के बाद संयुक्त राष्ट्र मानवीय मिशन के प्रमुख मार्टिन ग्रिफिथ्स और अन्य प्रमुख सहायता समूहों के प्रमुखों ने भी इस सप्ताह अफगानिस्तान का दौरा किया, जहां उन्होंने तालिबान पर दबाव डाला कि वह अफगान महिलाओं पर राष्ट्रीय कानून लागू करे और अपने प्रतिबंध को वापस ले, ताकि वे अंतरराष्ट्रीय गैर-सरकारी सहायता समूहों के लिए काम कर सकें.

ग्रिफिथ्स ने कहा, "जिन (अफगान तालिबान नेताओं) से मैं मिला, उन्होंने कहा कि वे अफगान महिलाओं के काम करने की जरूरत के साथ-साथ उनके अधिकारों के बारे में जानते हैं. इन महिलाओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए काम कर रहे हैं और दुनिया इसे उचित समय पर होते देखेगी."

महिलाओं के साथ भेदभाव नहीं करने को कहा

अमीना ने कहा कि उन्होंने तालिबान नेताओं के साथ अपनी बातचीत में मानवीय सिद्धांतों पर जोर दिया और उन्हें याद दिलाया कि मानवीय सिद्धांत में गैर-भेदभाव सबसे महत्वपूर्ण बिंदु है.

अमीना के मुताबिक, "तालिबान की तरह सुन्नी मुसलमान होने के नाते, मैंने अफगान मंत्रियों से कहा कि जब लड़कियों की छठी कक्षा से आगे की शिक्षा पर प्रतिबंध लगाने और महिलाओं के अधिकारों को छीनने की बात आती है, तो वे इस्लाम का पालन नहीं कर रहे हैं और लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं."

अमीना ने कहा कि तालिबान ने उन्हें आश्वासन दिया कि समय आने पर महिलाओं और लड़कियों के अधिकारों को बहाल किया जाएगा. जब संयुक्त राष्ट्र द्वारा एक समयरेखा के लिए दबाव डाला गया, तो तालिबान नेताओं ने कहा कि यह "जल्द ही" होगा.

तालिबान के आने के बाद बड़ी संख्या में महिलाओं को सरकारी नौकरियों से हटा दिया गया है. कई मामलों में तनख्वाहें घटा दी गईं और महिलाकर्मियों को घर भेज दिया गया. अफगानिस्तान में महिलाओं पर किसी पुरुष के बिना यात्रा करने पर प्रतिबंध है. उन्हें घर से बाहर निकलने पर खुद को पूरी तरह ढक कर रखना होता है. नवंबर महीने में ही उन्हें पार्कों, मेलों, जिम और मनोरंजन के अन्य सार्वजनिक आयोजनों में जाने से रोक दिया गया था.

तालिबान इन सभी पाबंदियों का आधार इस्लामिक कानून शरिया को बताते हैं. तालिबान के सुप्रीम लीडर हैबतुल्ला अखुंदजादा और उनके करीबी नेता आधुनिक शिक्षा के विरोधी हैं. खासकर महिलाओं और लड़कियों को लेकर.

एए/सीके (एएफपी)