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समाज

अमेरिका ने फ्रांस को मनाया, ब्रिटेन ने कहा गुस्सा थूको

२३ सितम्बर २०२१

ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने कहा है कि उन्होंने फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों से बातचीत करने की कोशिश की है लेकिन वह अब तक सफल नहीं हो पाए हैं. ब्रिटेन ने फ्रांस को गुस्सा थूकने को कहा है.

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तस्वीर: Phil Noble/REUTERS

संयुक्त राष्ट्र और क्वाड नेताओं की बैठक में हिस्सा लेने अमेरिका पहुंचे ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री स्कॉट मॉरिसन ने बुधवार को वॉशिंगटन में कहा कि वह फ्रांस के साथ संबंधों को दोबारा बनाने में सब्र से काम लेंगे.

पिछले हफ्ते फ्रांस ने अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन के बीच हुए समझौते पर नाराजगी जताते हुए ऑस्ट्रेलिया और अमेरिका से अपने राजदूत वापस बुला लिए थे. इस समझौते के चलते ऑस्ट्रेलिया और फ्रांस के बीच 2016 में हुआ अरबों डॉलर का पनडुब्बी समझौता टूट गया था जिससे फ्रांस नाराज है.

बाइडेन-माक्रों बातचीत

अमेरिका ने फ्रांस के साथ बातचीत करके संबंधों को सामान्य करने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं. फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों ने अमेरिकी नेता जो बाइडेन से बुधवार को फोन पर बात की. इसके बाद फ्रांस ने कहा है कि उसका राजदूत अगले हफ्ते अमेरिका लौट जाएगा.

आधे घंटे तक चली इस बातचती को व्हाइट हाउस ने दोस्ताना बताया और कहा कि दोनों नेताओं ने अगले महीने मिलने का कार्यक्रम बनाया है. बातचीत के बाद एक साझा बयान भी जारी किया गया जिसमें कहा गया कि बाइडेन और माक्रों ने विस्तृत मश्विरे की प्रक्रिया शुरू की जिसका मकसद एक दूसरे का भरोसा जीतना है.

व्हाइट हाउस प्रवक्ता जेन साकी ने कई बार पत्रकारों के इस सवाल को नजरअंदाज किया कि जो बाइडेन ने माक्रों से माफी मांगी या नहीं. कई बार पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि बाइडेन ने माना है कि "ज्यादा सलाह मश्विरा किया जा सकता था."

साकी ने कहा, "राष्ट्रपति को उम्मीद है कि यह फ्रांस के साथ अमेरिका से लंबे, महत्वपूर्ण और सहयोगी रिश्तों के सामान्य होने की ओर लौटने की ओर कदम है."

तस्वीरों मेंः सिर्फ 6 देशों के पास है परमाणु पनडुब्बी

साझा बयान के मुताबिक बाइडेन और माक्रों इस बात पर सहमत हुए हैं कि "फ्रांस और यूरोपीय सहयोगियों से जुड़े रणनीतिक मसलों पर और ज्यादा खुली बातचीत से स्थिति को ज्यादा फायदा होता."

बोरिस जॉनसन की दो टूक

आकुस समझौते के तीसरे पक्ष ब्रिटेन के रुख में ज्यादा नरमी नहीं दिखी है. वॉशिंगटन पहुंचे ब्रिटिश प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने बिना किसी लाग लपेट के कहा कि फ्रांस को गुस्सा थूक कर आगे बढ़ने के बारे में सोचना चाहिए.

जॉनसन ने कहा कि आकुस समझौता "मूलभूत रूप से वैश्विक सुरक्षा के लिए एक महान कदम है." उन्होंने कहा, "तकनीक साझा करने की एक नई साझीदारी के लिए बहुत समदर्शी तीन सहयोगी कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हुए हैं. ऐसा नहीं है कि इसमें अन्य देश नहीं आ सकते. यह किसी को बाहर धकेलने की कोशिश नहीं है. मिसाल के तौर पर यह चीन के खिलाफ नहीं है."

समंदर का सुराग लगाने वाले रोबोट

समझौते के बाद फ्रांस ने ब्रिटेन के साथ होने वाली विदेश मंत्री स्तरीय बैठक रद्द कर दी थी. यह बैठक इसी हफ्ते होनी थी नाराज फ्रांस ने बैठक रद्द करने का फैसला किया. फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ली ने अपने ब्रिटिश समकक्ष बेन वॉलेस से न मिलने का फैसला खुद किया. इस बारे में ब्रिटिश रक्षा मंत्रालय ने कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

ऑस्ट्रेलिया से नहीं हुई बात

लेकिन ऑस्ट्रेलिया के साथ संबंधों को सामान्य करने की दिशा में खास प्रगति नहीं हो पाई है. मॉरिसन ने कहा है कि उन्होंने भी फ्रांसीसी राष्ट्रपति से फोन पर बात करने की कोशिश की थी लेकिन कामयाबी नहीं मिल पाई.

मॉरिसन ने कहा, "हां, हमने कोशिश की है. और अब तक वह मौका नहीं आया है. लेकिन हम धैर्य रखेंगे."

ऑस्ट्रेलियाई नेता ने कहा कि वह फ्रांस की निराशा समझते हैं और मानते हैं कि अमेरिका फ्रांस के बीच मतभेद अलग तरह के हैं. उन्होंने कहा, "मैं इंतजार करूंगा और जब सही वक्त आएगा और मौका मिलेगा तो हम भी ऐसी ही बातचीत करेंगे."

आकुस समझौते पर अमेरिकी नेताओं से चर्चा करने के बाद मॉरिसन ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया, यूके और अमेरिका के बीच त्रिपक्षीय समझौते को दोनों दलों के नेताओं का समर्थन मिला है.

फ्रांस की नाराजगी

फ्रांस ऑस्ट्रेलिया के साथ करीब 60 अरब डॉलर का समझौता रद्द किए जाने से नाराज है. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और युनाइटेड किंग्डम ने मिलकर एक नया रक्षा समूह बनाया है जो विशेषकर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर केंद्रित होगा. इस समूह के समझौते के तहत अमेरिका और ब्रिटेन अपनी परमाणु शक्तिसंपन्न पनडुब्बियों की तकनीक ऑस्ट्रेलिया के साथ साझा करेंगे जिसके आधार पर ऐडिलेड में नई पनडुब्बियों का निर्माण होगा.

इस कदम को क्षेत्र में चीन के बढते प्रभाव के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है. लेकिन नए समझौते के चलते फ्रांस की जहाज बनाने वाली कंपनी नेवल ग्रुप का ऑस्ट्रेलिया के साथ हुआ समझौता खत्म हो गया है.

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नेवल ग्रुप ने 2016 में ऑस्ट्रेलिया के साथ समझौता किया था जिसके तहत 40 अरब डॉलर की कीमत की पनडुब्बियों का निर्माण होना था, जो ऑस्ट्रेलिया की दो दशक पुरानी कॉलिन्स पनडुब्बियों की जगह लेतीं.

फ्रांस का दावा है कि इस समझौते से पहले उससे सलाह-मश्विरा नहीं किया गया. पिछले हफ्ते फ्रांस के विदेश मंत्री ज्याँ-इवेस ला ड्रिआँ ने कहा था कि ऑस्ट्रेलिया ने आकुस के ऐलान से जुड़ीं अपनी योजनाओं के बारे में उनके देश को सिर्फ एक घंटा पहले बताया.

टीवी चैनल फ्रांस 2 को ला ड्रिआँ ने कहा, "असली गठजोड़ में आप एक दूसरे से बात करते हैं, चीजें छिपाते नहीं हैं. आप दूसरे पक्ष का सम्मान करते हैं और यही वजह है कि यह एक असली संकट है."

रिपोर्टः वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)

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