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कानून पर तूफानः बिल जिससे डर रहे ओबामा

१८ मई २०१६

यह एक ऐसा कानून है जो पास तो अमेरिकियों के हित के लिए होगा लेकिन डर यह है कि सबसे ज्यादा मुकदमे अमेरिका पर ही न हो जाएं. इसलिए सरकार भी डरी हुई है.

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USA Saudi-arabischer König Salman bei Barack Obama
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/E. Vucci

9/11 आतंकी हमले के अमेरिकी पीड़ितों को हर्जाने के लिए सऊदी अरब पर मुकदमा करने का अधिकार मिल सकता है. अमेरिकी सीनेट ने मंगलवार को इस बारे में कानून पास कर दिया है. इस कानून के तहत 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले में मारे गए लोगों के रिश्तेदार सऊदी अरब पर मुकदमा कर सकते हैं. यह कानून अमेरिका और सऊदी अरब के संबंधों में तूफान ला सकता है.

जस्टिस अगेंस्ट स्पॉन्सर्स ऑफ टेररिजम ऐक्ट के तहत उन लोगों, संस्थाओं या देशों के खिलाफ मुकदमा किया जा सकेगा जिन पर आतंकवाद में सहयोग करने का संदेह होगा. अब यह कानून पास होने के लिए हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स में जाएगा. हालांकि स्पीकर पॉल रेयान इस कानून को लेकर कुछ अहसमतियां जाहिर कर चुके हैं. वाइट हाउस इस कानून का विरोध कर रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति का दफ्तर कह चुका है कि यह कानून संप्रभुता के सिद्धांत का विरोधी है. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा अप्रैल में सऊदी अरब की यात्रा पर गए थे और इस यात्रा का मकसद ही दोनों देशों के बीच तनाव को दूर करना था.

USA Washington Senatoren John Cornyn und Chuck Schumer
सीनेटर जॉन कॉरनिम और चक शुमरतस्वीर: Getty Images/D. Angerer

व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जोश अर्नेस्ट ने कहा, “यह कानून उस अंतरराष्ट्रीय कानून के विरुद्ध है जिसके तहत संप्रभु प्रतिरक्षा की बात की गई है. और अमेरिकी राष्ट्रपति इस बात को लेकर भी चिंतित हैं कि ऐसे कानून से दुनियाभर की अदालतों में अमेरिका पर मुकदमों के खतरे बढ़ जाएंगे.” अर्नेस्ट ने कहा कि किसी भी अन्य मुल्क के मुकाबले अमेरिका दुनिया में ज्यादा जगहों पर किसी न किसी गतिविधि में शामिल है. इनमें कई शांति और मानवीय मिशन भी हैं. अर्नेस्ट ने कहा कि इस कानून से इन गतिविधियों में लगे अमेरिकी नागरिकों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है.

प्रस्तावित कानून के तहत ऐसे देशों के खिलाफ मुकदमा किया जा सकेगा जिनकी आतंकी हमलों में भूमिका साबित हो सकती है. इनमें सबसे ज्यादा खतरा तो सऊदी अरब को है जिसके 15 नागरिक 11 सितंबर के आतंकी हमले में शामिल थे. हालांकि आतंकी संगठन अल कायदा के इस हमले में सरकारी भूमिका कभी साबित नहीं हुई है और वहां की राजशाही पर भी कभी कोई आरोप नहीं लगा है. लेकिन फरवरी में 9/11 के 20वें अपहरणकर्ता बताए जाने वाले जकारियास मौसूदी ने अमेरिकी वकीलों को बताया था कि 1990 के दशक में सऊदी शाही परिवार ने अल कायदा को अरबों रुपये की सहायता दी थी.

USA Präsidentschaftskandidaten Clinton und Sanders
तस्वीर: Reuters/L. Jackson

लेकिन यह कानून अमेरिकी अर्थव्यवस्था को भी खतरे में डाल सकता है. अमेरिका में सऊदी अरब सरकार का करीब 750 अरब डॉलर्स का निवेश है. पिछले महीने न्यू यॉर्क टाइम्स ने लिखा था कि सऊदी अरब के विदेश मंत्री अब्देल अल-जुबैर ने वॉशिंगटन में सांसदों से कहा था कि कानून पास होने की सूरत में उसे यह निवेश निकालना होगा ताकि इसे फ्रीज न कर दिया जाए. स्पीकर पॉल रेयान भी इस बिल के पक्ष में नहीं हैं. वह इस बिल को वोटिंग के लिए पेश करने को लेकर भी बहुत ज्यादा उत्साहित नहीं हैं. उन्होंने अप्रैल में ही कह दिया था कि यह सुनिश्चित करना होगा कि हम अपने सहयोगी देशों को लेकर कोई गलती न कर बैठें.

अमेरिका के राष्ट्रपति बनने की दौड़ में डेमोक्रैटिक दावेदारी पाने की कोशिश में लगे बर्नी सैंडर्स और हिलेरी क्लिंटन इस बिल को अपना समर्थन दे चुके हैं.

वीके/एमजे (एएफपी)