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कॉन्डम के बाद आ रही हैं नैपकीन की वेंडिंग मशीनें

विश्वरत्न१० जून २०१६

महिलाओं की झिझक और स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता को ध्यान में रखते हुए देश में सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाने की योजना पर काम चल रहा है. कई जगहों पर यह सेवा शुरू भी हो चुकी है.

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तस्वीर: Imago

देश की ज़्यादातर महिलाएं पीरियड्स के दौरान सैनिटरी नैपकिन का उपयोग नही करतीं. झिझक, जागरूकता और धन की कमी के चलते आज भी देश के कई भागों में, खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में, महिलाएं पुराने कपड़ों, अखबार और कहीं कहीं सूखे पत्तों का उपयोग करती हैं. इसके चलते महिलाओं को पीरियड्स के दौरान होने वाले संक्रमण के सैकड़ों मामले रोजाना सामने आते हैं. सेहत से जुड़े इस गंभीर सवाल पर विभिन्न राज्यों की सरकारों ने अब ध्यान देना शुरू किया है.

राजस्थान में भी शुरू हुई यह सेवा

राजस्थान उन राज्यों में शामिल है जहां महिलाएं झिझक और जानकारी के अभाव में सैनिटरी नैपकिन का प्रयोग नहीं करतीं. अब महिलाओं को सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की सुविधा देते हुए राज्य सरकार इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने का प्रयास कर रही है. राज्य सरकार द्वारा अजमेर में इस सेवा की शुरुआत इसी हफ्ते से हो गयी है. ऐसी पहली मशीन बुधवार को यहां के राजकीय महिला अस्पताल में लगायी गयी. शहर की 70 और जगहों पर सरकार ऐसी मशीनें लगाई जाएंगी. इसमें कोई भी महिला 10 रुपए डालकर नैपकिन ले सकती है. शहर के कलेक्टर गौरव गोयल का कहना है कि लड़कियों में सैनिटेशन और स्वास्थ्य जागरूकता बढ़ाने और उनकी झिझक मिटाने के लिए यह कोशिश की जा रही है. स्कूल, कॉलेज, अस्पताल, रेलवे स्टेशन और बस स्टैंड समेत लड़कियों और महिलाओं की पहुंच वाले क्षेत्रों में ये नैपकिन वेंडिंग मशीनें लगाई जाएंगी.

पीरियड्स से जुड़ीं 10 गलतफहमियां

यूनिसेफ का साथ

उत्तर प्रदेश के सभी 75 जिलों के बस अड्डों और रेलवे स्टेशनों पर यूनिसेफ की तरफ से सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन लगाई जा रही है. इसके लिए यूनिसेफ ने उत्तर प्रदेश सड़क परिवहन निगम और रेलवे के साथ एक समझौता किया है. यूनिसेफ के इस मुहिम का उद्देश्य महिलाओं को आसानी से सैनिटरी नैपकिन मुहैया कराने के अलावा पीरियड्स को लेकर समाज में व्याप्त भ्रांतियों व कुंठाओं को दूर करना भी है. उत्तर प्रदेश परिवहन निगम के चेयरमैन प्रवीर कुमार का कहना है कि स्वच्छता को लेकर यह एक अनोखी पहल है जिसका विस्तार किया जाएगा.

एक अनुमान के मुताबिक राज्य में नैपकिन का इस्तेमाल करने वाली महिलाओं की संख्या बहुत ही कम है. उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन ने राज्य की समस्त महिलाओं और किशोरियों को स्वस्थ रखने तथा उन्हें संक्रमण से बचाने के लिए सस्ते मूल्य पर सैनिटरी नैपकिन उपलब्ध कराने की आवश्यकता जताई है. कार्यक्रम को अधिक गति प्रदान करने के लिए राज्य सरकार ने पंचायतों को भी इस योजना में शामिल किया है.

छात्रओं को मुफ्त नैपकिन

मध्य प्रदेश सरकार ने महिला स्वास्थ्य से जुड़े इस मामले को गंभीरता से लेते हुए सैनिटरी नैपकिन मुफ्त में वितरित करने का निर्णय लिया है. राज्य सरकार इसे एक अभियान का रूप देना चाहती है ताकि सभी महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन पहुंचाया जा सके. पहले चरण के तहत स्कूल, कॉलेज और हॉस्टल में लगी वेंडिंग मशीनों से मुफ्त नैपकिन मिलेंगे. दूसरे चरण में आंगनबाड़ियों के जरिए सभी को सैनिटरी नैपकिन का मुफ्त में दिया जाएगा. राज्य के आंगनबाड़ी केंद्रों में महिलाओं के लिए समग्र स्वच्छता कार्यक्रम चलाया जाएगा. महिलाओं के स्व सहायता समूहों और सखी-सहेली समूहों को सैनिटरी नैपकिन की उत्पादन प्रक्रिया से जोड़ा जाएगा.

पीरियड्स से जुड़ीं 5 जरूरी बातें

कॉन्डम वेंडिंग मशीन का हाल

एचआईवी एड्स की रोकथाम के लिए सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन की तरह ही कॉन्डम वेंडिंग मशीन लगाये जाने की योजना पर काफी समय से काम चल रहा है. हालांकि इसमें वह प्रगति नहीं हो पायी जो सैनिटरी नैपकिन के मामले में होती दिख रही है. ज़्यादातर राज्यों में कॉन्डम वेडिंग मशीन के प्रति उदासीनता का रवैया रहा है. जिन कुछ राज्य सरकारों ने एड्स कंट्रोल सोसाइटी की मदद से अस्पतालों, पेट्रोल पंप और टोल प्लाजा में इस तरह की मशीनों को लगवाया भी था उनमें से ज़्यादातर अब बेकार ही पड़ी हैं. अधिक से अधिक लोगों तक कॉन्डम को सरलता से पहुंचाने के लिए दिल्ली एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने प्रमुख जगहों पर जो मशीनें लगाई थीं उनमें से ज़्यादातर काम नहीं कर रही हैं.

कॉन्डम वेंडिंग मशीन का हाल भले ही ठीक ना हो पर सैनिटरी नैपकिन वेंडिंग मशीन के साथ भी ऐसा ही होगा, यह ज़रूरी नहीं है. कॉन्डम को लेकर भारतीय समाज में आज भी नकारात्मकता का भाव है जबकि सैनिटरी नैपकिन को लेकर केवल झिझक और जागरूकता का आभाव है. सभी महिलाओं तक सैनिटरी नैपकिन पहुंचाने के अभियान में अगर मध्य प्रदेश में आंशिक रूप से भी सफल रहता है, तो छत्तीसगढ़, हरियाणा और अन्य राज्यों में भी इस तरह के कार्यक्रमों को गति मिलेगी.

रिपोर्ट: विश्वरत्न