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विश्व युद्ध के बाद पहली बार रूस में सेना जुटाने का अभियान

२२ सितम्बर २०२२

रूस में दूसरे विश्वयुद्ध के बाद पहली बार रिजर्व सेना की लामबंदी की जा रही है. पिछले दिनों यूक्रेन के साथ जंग में रूसी सेना को कई मोर्चों से पीछे हटना पड़ा है. रूसी राष्ट्रपति पुतिन दोबारा हमला तेज करना चाहते हैं.

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रूस में सेना जुटाने का अभियान
सेना जुटाने की घोषणा करते रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिनतस्वीर: Russian Presidential Press and Information Office/Russian Look/picture alliance

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन की लड़ाई को पूर्व और पश्चिम का संघर्ष मानते हैं. लड़ाई उनकी उम्मीद से ज्यादा लंबी खिंच गई है. कई मोर्चे यूक्रेनी सैनिकों के हाथ गंवाने के बाद उन्होंने सेना को दोबारा संगठित करने की मुहिम शुरू की है. 'पार्शियल मोबिलाइजेशन' के जरिये अगले कुछ महीनों में 3 लाख रिजर्व सैनिकों को वापस सेना में बुलाया जायेगा. रूस के पास रिजर्व सैनिकों की भारी जमात है और रूसी रक्षा मंत्री के मुताबिक अगर यह अभियान पार्शियल यानी आंशिक नहीं होता तो फिर सभी 25 लाख रिजर्व सैनिकों को बुलाया जाता.

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सैनिकों की कमी

रूसी कानून के मुताबिक 18 से 60 साल की उम्र के स्त्री और पुरुष सैद्धांतिक रूप से रिजर्व सैनिक के रूप में बुलाये जा सकते हैं. पश्चिमी रक्षा विश्लेषकों का लंबे समय से कहना है कि रूस यूक्रेन युद्ध के लिये बड़ी संख्या में सैनिकों की कमी से जूझ रहा है क्योंकि इस लड़ाई में रूस ने भारी नुकसान उठाया है. रूसी राष्ट्रवादी कई महीनों से इस मोबिलाइजेशन की मांग कर रहे थे ताकि सेना में नई जान फूंकी जा सके.

24 फरवरी को यूक्रेन पर रूसी हमले से दो दिन पहले ही यूक्रेन ने भी मोबिलाइजेशन प्रोग्राम शुरू किया था. इसके तहत 18-60 साल की उम्र के पुरुषों के देश छोड़ने पर पाबंदी लगा दी गई थी. फिलहाल यूक्रेन में सेना की लामबंदी का चौथा दौर चल रहा है. यूक्रेन में कितने रिजर्व सैनिकों को बुलाया गया है इसकी संख्या तो नहीं बताई गई लेकिन आधिकारिक घोषणाओं के आधार पर लगाये अनुमान में यह संख्या 4 लाख होने की उम्मीद है. 

रूस में सेना जुटाने का अभियान
मोबिलाइजेशन का विरोध करते लोगों को रोकती मास्को पुलिस तस्वीर: Alexander Nemenov/AFP

रूस में सेना जुटाने के अभियान के अध्यादेश पर पुतिन के दस्तखत हैं. रूसी राष्ट्रपति और रक्षा मंत्री ने कई जगहों पर इस अध्यादेश को प्रदर्शित किया है. 

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किन लोगों को सेना में भर्ती किया जायेगा

रूस में राष्ट्रपति ने 3 लाख रिजर्व सैनिकों को सेना में शामिल होने के लिए बुलाया है. ये वो लोग हैं जो रूसी सेना में पहले काम कर चुके हैं और उनके पास युद्ध का अनुभव या विशेष सैन्य कुशलता है.  इनमें छात्र और 12 महीने की अनिवार्य सैन्य सेवा करने वाले सैनिक शामिल नहीं हैं. रूसी सेना ऐसे पूर्व सैनिकों की तलाश कर रही है जो टैंक ड्राइवर, स्नाइपर या इसी तरह की विशेष कुशलता वाले काम कर चुके हैं. हालांकि खासतौर पर जिन क्षेत्रों में काम कर चुके लोगों की तलाश की जा रही है उसकी लिस्ट गोपनीय रखी गई है क्योंकि इससे यह पता चल जायेगा कि रूसी सेना में किन लोगों की कमी है.

आलोचकों का कहना है कि मोबिलाइजेशन डिक्री के शब्द और जिन लोगों को इसमें शामिल नहीं किया जायेगा उनका ब्यौरा जान बूझ कर अस्पष्ट रखा गया है ताकि इसे लागू करने वाले अधिकारी अपने तरीके से इसे इस्तेमाल कर सकें. जो डिक्री छापी गई है उनमें 3 लाख की संख्या का जिक्र भी नहीं है. रक्षा मंत्री सर्गेई शोइगु ने सरकारी टीवी चैनल को दिए एक इंटरव्यू में इस संख्या का जिक्र किया. 

रूस में सेना जुटाने का अभियान
यूक्रेन पर हमला करने जाती रूसी सेनातस्वीर: Sergei Malgavko/TASS/dpa/picture alliance

क्या काम करेंगे सैनिक

शोइगु के मुताबिक रिजर्व सैनिकों का प्रमुख काम यूक्रेन में मोर्चा संभालना होगा जो फिलहाल एक हजार किलोमीटर लंबा है. शोइगु ने कहा, "जाहिर है कि जो कुछ भी इस रेखा के पीछे है उसे दोबारा से मजबूत करने की जरूरत है, इलाके पर नियंत्रण की जरूरत है." रिजर्व सैनिकों को सेना में बुलाने के बाद उन्हें रिफ्रेशर ट्रेनिंग से गुजरना होगा जिसके तुरंत बाद उन्हें तैनात कर दिया जाएगा.

ट्रेनिंग के दौरान उन्हें यह भी बताया जाएगा कि विशेष सैन्य अभियान के दौरान रूस किस तरह से काम कर रहा है. पश्चिमी सैन्य विश्लेषकों का कहना है कि इस काम में कई महीने भी लग सकते हैं.

सेना से निकलना मुश्किल होगा

रूसी सेना में फिलहाल काम कर रहे पेशेवर सैनिकों को कोंट्राक्टनिकी कहा जाता है. इन सैनिकों के करार अपने आप ही आगे बढ़ा दिए जाएंगे और यह तब तक चलेंगे जब तक कि अधिकारी मोबिलाइजेशन को खत्म करने का फैसला नहीं कर लेते. इसका मतलब साफ है कि काम कर रहे पेशेवर सैनिकों के लिए नौकरी छोड़ना मुश्किल होगा.

केवल उम्र और वाजिब स्वास्थ्य की दिकक्तों या फिर कोर्ट से जेल की सजा सुनाये जाने के बाद ही सैनिकों को सेना के काम से मुक्ति मिल सकती है. स्वास्थ्य की दिक्कतों की भी मेडिकल मिलिट्री कमीशन से पुष्टि करानी होगी.

रूस में सेना जुटाने का अभियान
युक्रेन में रूसी सेना को काफी नुकसान हुआ हैतस्वीर: Sergei Chuzavkov/SOPA Images via ZUMA Press/picture alliance

राष्ट्रपति की घोषणा से एक दिन पहले रूसी संसद ने एक बिल को मंजूरी दी जिसमें सेना छोड़ने, सैन्य संपत्ति को नुकसान पहुंचाने और मोबिलाइजेशन या सैन्य अभियान के दौरान अवज्ञा के लिए कड़ी सजा देने का प्रावधान किया गया है. रूसी सैनिकों के लिये स्वैच्छिक समर्पण के लिए 10 साल की सजा तय की गई है.

नियमित सैनिकों से ज्यादा पैसा

रिजर्व सैनिकों को आर्थिक प्रोत्साहन मिलेगा और साथ ही पेशेवर सैनिकों की तरह पैसे मिलेंगे. रूस में इन सैनिकों को नियमित सैनिकों से ज्यादा पैसे मिलते हैं. जाहिर है कि सेना में जा रहे इन पूर्व सैनिकों को अच्छे पैसे मिलेंगे. फिलहाल रूसी शहरों में पारंपरिक रूप से नौकरी कर रहे लोगों को कम ही पैसे मिलते हैं.

रूसी सेना के हथियारों और सैनिक साजो सामान के बारे में भी कयास लगाये जा रहे हैं क्योंकि यूक्रेन की लड़ाई में इस लिहाज से भी रूस ने काफी नुकसान झेला है. इसके साथ ही रिजर्व सैनिकों को तैनात करने से पहले ट्रेनिंग के लिए पर्याप्त लोगों की मौजूदगी को लेकर भी सवाल उठे हैं. हालांकि रूस का कहना है कि इसकी दिक्कत नहीं है.

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रिजर्व सैनिकों में बेचैनी

मोबिलाइजेशन की घोषणा के बाद रिजर्व सैनिकों में बेचैनी दिखाई दी है. रूस से एकतरफा हवाई जहाज की टिकटें बुधवार को बड़ी तेजी से बिक गईं. इसके साथ ही अपुष्ट खबरों में कहा जा रहा है कि रूसी सीमा पर गार्डों ने बहुत से लोगों को वापस भेजा है.

जेल में बंद विपक्षी नेता अलेक्सी नावाल्नी का कहना है कि बहुत से लोग इससे बचने की कोशिश करेंगे. युद्ध का विरोध करने वाले लोगों ने बुधवार को शहरों के केंद्र में इसके खिलाफ प्रदर्शन भी किया. हालांकि सरकार ऐसे प्रदर्शनों को दबा रही है. रूसी कानून सिर्फ उन्हीं प्रदर्शनों की अनुमति देता है जिसके लिए पहले से मंजूरी ली गई हो.

एनआर/एमजे (रॉयटर्स)