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पृथ्वी पर वन्य जीवों की आबादी आधी रह गई है

२८ अक्टूबर २०१६

दुनिया में वन्य जीवों की आबादी में भारी गिरावट आई है. 1970 से अब तक वन्य प्राणियों की संख्या 60 फीसदी कम हो चुकी है. वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड की एक रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई है.

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Deutschland Australien Umwelt WWF und Greenpeace Demonstration für Great Barrier Reef in Bonn
तस्वीर: DW/P. Henriksen

डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की रिपोर्ट कहती है कि मानवीय गतिविधियों के कारण ही जानवरों की आबादी घटी है. जूलॉजिकल सोसायटी ऑफ लंदन के साथ मिलकर किए गए एक व्यापक अध्ययन के बाद पता चला कि 1970 से 2012 के बीच वन्य जीवों की आबादी में 58 फीसदी की कमी आ गई है. 2020 तक यह गिरावट 67 फीसदी हो जाएगी. यह जानकारी इस बात का एक और संकेत है कि धरती पर इंसान सबसे ताकतवर हो चुका है और वही सबके लिए फैसले ले रहा है.

इस रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि वन्य जीवों के संरक्षण के लिए हो रही कोशिशें कोई खास कामयाब नहीं हो रही हैं. डब्ल्यूडब्ल्यूएफ इंटरनेशनल के महानिदेशक मार्को लांबर्टीनी की ओर से जारी एक बयान में इस बात पर चिंता जताई गई है. उन्होंने कहा है, "हमारे देखते देखते ही वन्य जीवन अप्रत्याशित दर पर खत्म हो रहा है. जंगलों, नदियों और सागरों की सेहत का आधार जैव विविधता ही है. हम पृथ्वी पर एक नए युग में प्रवेश कर रहे हैं जिसे एंथ्रोपोसीन कहा जाएगा." एंथ्रोपोसीन हमारे समय को कहा जाता है जबकि इंसान की गतिविधियों का असर पर्यावरण और वन्य जीवन समेत कुदरत की हर गतिविधि पर पड़ रहा है.

तस्वीरों में: कौन जानवर कितना सोता है

अध्ययन में मटर के दाने के आकार के मेंढकों से लेकर 100 फुट लंबी व्हेल मछलियों तक कुल मिलाकर 3700 प्रजातियों के कुल 14,200 जानवरों को शामिल किया गया. इससे पता चला कि इंसान की बढ़ती आबादी वन्य जीवन के लिए सबसे बड़ा खतरा है. शहर बनाने और खेती करने के लिए तेज रफ्तार से जंगल साफ हो रहे हैं. इसके अलावा प्रदूषण, शिकार और जलवायु परिवर्तन भी खतरनाक कारक हैं.

रिपोर्ट कहती है कि अभी मौका है कि इस चलन को पलटा जा सके. जूलॉजिकल सोसाइटी ऑफ लंदन में विज्ञान निदेशक प्रोफेसर केन नोरिस कहते हैं, "जरूरी बात यह है कि अभी आबादी घट रही है, खत्म नहीं हुई है."

वीके/एमजे (एएफपी, रॉयटर्स)

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