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21 जनवरी को सड़कों पर होंगी भारत और अमेरिका की महिलाएं

१० जनवरी २०१७

बेंगलुरु में नए साल के जश्न के दौरान और उसके बाद महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की घटनाओं का विरोध करने के लिए 21 जनवरी को देशभर में प्रदर्शनों की तैयारी की जा रही है.

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Indien Frauen reisen im Zug
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Maqbool

द इंडिया प्रोटेस्ट नाम का यह आंदोलन सोशल मीडिया पर #IWillGoOut नाम से प्रचारित किया जा रहा है. इसी दिन यानी 21 जनवरी को वॉशिंगटन में मिलेनियम विमिन मार्च भी है. 20 जनवरी को अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप नए राष्ट्रपति के रूप में शपथ लेंगे और 21 जनवरी को महिलाएं विरोध मार्च करेंगी. ट्रंप ने चुनाव प्रचार के दौरान कई महिला विरोधी टिप्पणियां की थीं.

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बेंगलुरु में 31 दिसंबर की रात हजारों लोगों की भीड़ ने दर्जनों महिलाओं के साथ छेड़छाड़ और दुर्व्यवहार किया था. इस दौरान भारी संख्या में पुलिसबल मौजूद था लेकिन महिलाओं की सुरक्षा करने में नाकाम रहा. उसके बाद एक वीडियो आया जिसमें दो बाइक सवार एक युवती के साथ उसके घर के सामने ही छेड़खानी करते नजर आए जबकि कुछ लोग वहां उन्हें देख रहे थे. 31 दिसंबर की घटना पर कर्नाटक के गृह मंत्री ने कहा कि ऐसी घटनाएं तो होती रहती हैं. एक अन्य नेता अबु आजमी ने इस घटना के लिए पश्चिमी संस्कृति पर चलतीं महिलाओं को ही दोषी ठहरा दिया. उन्होंने कहा कि छोटे छोटे कपड़े पहनना और देर रात घर से बाहर रहना ऐसी घटनाओं का कारण है.

इस पूरे नजरिये का विरोध करने के लिए 'द इंडिया प्रोटेस्ट' का आयोजन किया जा रहा है. एक ऑनलाइन प्रोजेक्ट सेफ सिटी की संस्थापक एल्सामारी डीसिल्वा कहती हैं, "बेंगलुरु जैसे शहर में भीड़भाड़ वाले इलाके ऐसा होना खौफनाक है. और फिर उन अधिकारियों की ओर से ऐसी प्रतिक्रियाएं तो और ज्यादा परेशान करती हैं जिन पर हमारी सुरक्षा की जिम्मेदारी है."

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बेंगलुरु को दिल्ली के मुकाबले ज्यादा सुरक्षित माना जाता है. देश की राजधानी दिल्ली बलात्कार और अन्य महिला विरोधी अपराधों के मामले में सबसे ऊपर है. लेकिन यह सिर्फ शहरों की समस्या नहीं है. पूरा भारत बलात्कार नाम के इस महासंकट से गुजर रहा है. 2015 में देश में 34 हजार बलात्कार के मामले दर्ज हुए हैं. अधिकारी कहते हैं कि ज्यादातर मामले तो सामने ही नहीं आ पाते क्योंकि महिलाएं कथित अपमान के डर से चुप हो जाती हैं.

कार्यकर्ताओं को उम्मीद है कि 21 जनवरी को भारत के लगभग एक दर्जन शहरों में लोग सड़कों पर उतरकर महिला अधिकारों पर बात करेंगे. मुंबई में इस प्रदर्शन को आयोजित कर रहीं डीसिल्वा कहती हैं, "इस देश में हम महिला विरोधी हिंसा पर उतनी भी बात नहीं करते जितनी जरूरी है. और इसे रोकने के लिए तो कार्रवाई तो बहुत ही कम करते हैं. हमें महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिष्ठानों पर दबाव बनाए रखना होगा."

वीके/एके (रॉयटर्स)