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कला

दिल्ली पहुंचे सारे राष्ट्रपतियों के रसोइये

२६ अक्टूबर २०१६

दुनिया के सबसे ताकतवर लोगों के रसोइये जब एक साथ जमा होंगे तो क्या खुश्बूदार समां होगा. दिल्ली में ऐसा ही हुआ. 16 देशों के राष्ट्रपतियों के रसोइये दिल्ली में जमा हुए.

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Indien Konferenz der Chefköche in Neu-Delhi
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Quadri

दुनिया के सारे बड़े नेताओं को विशेष खानसामे मिले होते हैं. लेकिन लोग उनके बारे में कुछ नहीं जानते. वे रसोई तक ही सिमटे रहते हैं और बस अपना काम किए जाते हैं. हां, साल में एक बार उन्हें छुट्टी मिलती है और तब उन्हें मेहमान की तरह का ऐश ओ आराम भी दिया जाता है. तब वे सब किसी एक देश में जमा होते हैं, खाते पीते हैं और मजे करते हैं. इस बार वे दिल्ली में जमा हुए हैं.

यह आयोजन क्लब डेस शेफ्स डेस शेफ्स यानी बॉस के रसोइयों का क्लब करता है. इस क्लब में शामिल होना कितना मुश्किल होता होगा, इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल नहीं है. ये ऐसे लोग होते हैं जो जानते हैं कि दुनिया के सबसे ताकतवर लोग क्या खाते पीते हैं. 1977 में इस क्लब की स्थापना पेरिस में हुई थी. तब से हर साल ये लोग किसी एक देश में जमा होते हैं. इस बार मेहमाननवाजी का मौका भारत के राष्ट्रपति के निजी रसोइये मोंटू सैनी को मिला है. क्लब के संस्थापक गिलेस ब्रागार्द ने बताया, "राष्ट्रपति तो हर साल मिलते ही हैं. मैंने सोचा कि क्यों ना उनके रसोइयों को मिलवाया जाए. अगर राजनीति लोगों को बांटती है तो अच्छे खाने से सजी मेज उन्हें जोड़ती है."

Indien Konferenz der Chefköche in Neu-Delhi
क्रिस्टेटा कमरफर्डतस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Quadri

साल में एक बार जब ये लोग मिलते हैं तो उस देश के खाने पीने का लुत्फ उठाते हैं, जहां बैठक हो रही है. इस बार सैनी अपने मेहमानों को पूरे भारत के स्वाद चखा रहे हैं. इनमें भारत का मशहूर स्ट्रीट फूड जैसे गोलगप्पा और आलू टिक्की भी है जो एक फाइव स्टार रेस्तरां में तैयार किया गया. वह कहते हैं, "वे सारे विदेशी हैं. मैं उन्हें नुक्कड़ पर तो नहीं ले जा सकता. उनके पेट बहुत संवेदनशील होंगे. इसलिए मैं होटलों में ही वैसा खाना बना रहा हूं."

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और मेहमानों को भारत में कैसा लग रहा है? फ्रांस के छह राष्ट्रपतियों के लिए खाना बना चुके बर्नार्ड वोसाँ कहते हैं, "शानदार. मतलब गंदा और शोर भरा तो है लेकिन क्या फर्क पड़ता है. यह तो शानदार अनुभव है." लेकिन सबके लिए अनुभव इतना अच्छा नहीं रहा. सैनी को जिस बात का डर था वही हुआ. तीसरे ही दिन एक मेहमान बीमार हो गया और एक अन्य का पेट भी गुड़गुड़ा रहा है. इतालवी राष्ट्रपति के खानसामा फाबरित्सियो बोका कहते हैं, "चार दिन तक मसालेदार खाने के बाद आपको महसूस तो होगा ही. ऐसा शायद इसलिए है क्योंकि आदत पड़ने में थोड़ा वक्त लगता है."

भारत में जो मेहमान पहुंचे हैं उनमें 16 पुरुष हैं और एकमात्र महिला. यह महिला हैं अमेरिका की क्रिस्टेटा कमरफर्ड. फिलीपीनी मूल की कमरफर्ड को भारतीय खाना रूहानी लगता है. वह कहती हैं, "यह खाना रेसिपी से नहीं बनता. फिलॉसफी से बनता है."

वीके/एमजे (एएफपी)

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