1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

मंथन 56 में खास

४ अक्टूबर २०१३

अंतरिक्ष में गुरुत्वाकर्षण के अभाव से शरीर पर कैसा असर पड़ता है? इसे पता करने के लिए वैज्ञानिक प्रयोगशाला में तो कई तरह के टेस्ट करते ही हैं, साथ ही अंतरिक्ष यात्रियों को भी इनसे गुजरना पड़ता है.

https://p.dw.com/p/19tu1
तस्वीर: DW

कोलोन के जर्मन अंतरिक्ष और हवाई उड़ान संस्थान ईएसए में अंतरिक्ष के लिए खास प्रयोग किए जाते हैं. 'स्किन बी' नाम के प्रयोग में धरती पर अंतरिक्ष यात्रियों की त्वचा में नमी नापी जाती है. जब यात्री अंतरिक्ष यान में जाते हैं तो वे खुद ही अपने त्वचा की नमी नापते हैं, वह भी दिन में सात बार. इसके लिए एक उपकरण भी है जो वीडियो के जरिए जानकारी देता है.

ईएसए के अंतरिक्ष यात्री राइनहोल्ड एवाल्ड ने पूरे सात साल तक अंतरिक्ष के सफर के लिए ट्रेनिंग की ताकि अंतरिक्ष में गुरुतवाकर्षण के अभाव से उनके शरीर को परेशानी न हो. उन्हें अंतरिक्ष में प्रयोग भी करने थे जिसके लिए भी उन्हें तैयारी करनी पड़ी.

Alte Frau Symbolbild Altern
अंतरिक्ष में त्वचा पर जल्दी झुर्रियां पड़ती हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है.तस्वीर: Fotolia/macroart

अंतरिक्ष में बुढ़ापा

वैज्ञानिक जानना चाहते हैं कि मनुष्य के शरीर का सबसे बड़ा अंग, उसकी त्वचा, अंतरिक्ष के माहौल का कैसे सामना करती है. फिलहाल वैज्ञानिकों को यह पता है कि अंतरिक्ष में त्वचा पर जल्दी झुर्रियां पड़ती हैं और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है.

इसके अलावा एक और प्रयोग इंसान की प्रतिरोधक क्षमता की जांच करता है. इसके लिए टेस्ट ट्यूब में सेल कल्चर यानी इंसानी कोशिकाओं के नमूने अंतरिक्ष यान में भेजे जाते हैं. एस्ट्रोनॉट अपने साथ इंजेक्शन भी ले जाते हैं जिससे कि वे खुद अपने खून के नमूने ले सकें. यह फिर एक डिब्बे में डाले जाते हैं और उसे एक इनक्यूबेटर में रखा जाता है. बाद में धरती पर इन सैंपल की जांच की जा सकती है.

अंतरिक्ष में जाने से पहले यात्रियों को किन किन बातों का ध्यान रखना होता है, कैसे होती है उनकी पूरी तैयारी जानेंगे इस बार मंथन में. साथ ही बात होगी सैटेलाइट के जरिए आपदा प्रबंधन की.

क्या है अर्बन गार्डनिंग?

जलवायु परिवर्तन से दुनिया का बुरा हाल है. आए दिन ध्रुवों की पिघलती बर्फ के बारे में रिपोर्टें आती हैं. ओजोन परत को पहुंच रहे नुकसान की बात होती है. लेकिन मौसम में हो रहे बदलाव के सीधे असर के बारे में जानना हो, तो किसी किसान से पूछिए. वक्त पर बारिश ना होने का सबसे बड़ा असर उन्हीं पर पड़ता है. उत्तरी अफ्रीकी देश मोरक्को के किसान भी इन समस्याओं से जूझ रहे हैं. इसके लिए मोरक्को के गांवों में खेती के नए तरीके तलाशे जा रहे हैं.

वहीं जर्मनी के शहरों में खेती एक अनोखे मकसद से की जा रही है. बागवानी के जरिए अलग अलग संस्कृतियों के लोग एक दूसरे के साथ घुल मिल पा रहे हैं और नई चीजें भी सीख रहे हैं. अर्बन गार्डनिंग के फायदे इस बार आप मानसी गोपालकृष्णन से बातचीत में भी समझ पाएंगे.

चावल के दाने पर कलाकारी

भारत में लघुचित्रों यानी मिनियेचर पेंटिंग्स की पुरानी परंपरा है जिसके जरिए राजपूत महाराजाओं और मुगलों के जीवन को समझा जा सकता है. कुछ इसी तरह की परंपरा तुर्की में भी है. चावल के छोटे से दाने पर भी कला का हुनर देखा जा सकता है. इस बार हम आपको मिलवा रहे हैं तुर्की के कलाकार हसन काले से जो चावल के दानों, कॉफी की फलियों और चीनी की डली जैसी चीजों पर पेंटिंग बनाते हैं.

इन रोमांचक रिपोर्टों के लिए देखना ना भूलें मंथन शनिवार सुबह 10.30 बजे डीडी-1 पर.

आईबी/एएम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें