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अंतरिक्ष में पहुंचा सबसे लंबा रॉकेट

२९ अक्टूबर २००९

अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने अगली पीढ़ी के रॉकेट का पहला सफल प्रक्षेपण किया है. ये अब तक सबसे लंबा रॉकेट यान है. इसी रॉकेट के ज़रिए नासा 2020 में चांद पर इंसान को फिर उतारने की तैयारी कर रहा है.

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अंतरिक्ष में नई पीढ़ी का यानतस्वीर: AP

आरएस फर्स्ट-एक्स नामके इस रॉकेट को बुधवार को फ्लोरिडा के स्पेस सेंटर से छोड़ा गया. आरएस आई-एक्स का ये पहला परीक्षण था और कामयाब रहा. अंतरिक्ष में एक निश्चित ऊंचाई पर पहुंचने के बाद रॉकेट से बूस्टर सेक्शन कामयाबी से अलग हो गया. इस दौरान नासा के कुछ अधिकारियों की आंखों में आंसू तक झलक आए. प्रोग्राम डायरेक्टर जेफ़ हानली ने कहा, ''ये अब तक सबसे ख़ूबसूरत रॉकेट लॉन्च था. मैं अपने आपको बेहद ख़ास महसूस कर रहा हूं. मेरी आंखों में आंसू आ रहे है.''

नासा के मुताबिक अंतरिक्ष में भेजा गया ये अब तक का सबसे लंबा रॉकेट है. आरएस फर्स्ट-एक्स रॉकेट की लंबाई 100 मीटर है. नासा को उम्मीद है कि 2010 तक ये रॉकेट उसके पुराने अंतरिक्ष यानों की जगह ले लेगा. इसमें छह अतंरिक्ष यात्री सफर सकेंगे. नासा के सभी अंतरिक्ष यानों को 2010 में रिटायर होना है. लेकिन इस रॉकेट की सेवाएं 2015 से ली जाएंगी. 2010 से 2015 के बीच नासा अपने अंतरिक्ष यात्रियों को रूसी यानों के ज़रिए भेजेगा.

Ares I-X Rakete im NASA Kennedy Space Center in Florida, USA Flash-Galerie
2015 से भरेगा नियमित उड़ानतस्वीर: AP Photo/NASA

बुधवार को प्रक्षेपण के क़रीब छह मिनट बाद ही एरस धरती के वायुमंडल को चीरता हुआ 46 किलोमीटर ऊपर पहुंच गया. आरएस फर्स्ट-एक्स के शुरुआती सफल प्रयोग के बाद वॉशिंगटन में नासा हेड क्वार्टर के अधिकारी डाउग कुक ने कहा, ''यान बेहद अच्छे ढंग से उड़ा और हमें उम्मीद है कि ये कई आंकड़े भेजेगा. भविष्य के लिहाज़ से अब हम एक बेहतर जगह पर आ गए है.''

नासा 2020 में फिर से इंसान को चंद्रमा पर उतारना चाहता है. योजनाएं मंगल और कई अन्य ग्रहों को लेकर भी बनी है. इन्हें पूरा करने के लिए ही नासा अब आरएस फर्स्ट-एक्स को तैयार कर रहा है. 1981 के बाद ये पहला मौक़ा है जब नासा ने अंतरिक्ष में जाने वाला नया वाहन बनाया है. ये नासा की अब तक की सबसे मंहगी परियोजनाओं में से एक है. इसे तैयार करने में नासा ने कम से कम 4400 करोड़ डॉलर ख़र्च किए हैं. अंतरिक्ष एजेंसी का कहना है कि अभी इस पर और पैसा ख़र्च करना पड़ेगा.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ ओ सिंह

संपादन: ए जमाल