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अयोध्या फैसले से दोषमुक्त हुआ: आडवाणी

५ अक्टूबर २०१०

बीजेपी के लिए मंदिर आंदोलन का नेतृत्व करने वाले एलके आडवाणी मानते हैं कि अयोध्या विवाद पर हाई कोर्ट के निर्णय से वह 1989 में रथयात्रा निकालने के मुद्दे पर दोषमुक्त महसूस कर रहे हैं. सोमनाथ से अयोध्या तक की रथयात्रा.

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तस्वीर: UNI

भारतीय जनता पार्टी के मंदिर आंदोलन के प्रतीक के रूप में उभरे एलके आडवाणी ने 1989 में रथयात्रा शुरू की थी. आडवाणी ने हाई कोर्ट के फैसले की आलोचना को खारिज कर दिया है. कुछ हलकों में कहा जा रहा है कि हाई कोर्ट ने कानून के बजाए आस्था को तरजीह दी है लेकिन आडवाणी ऐसा नहीं मानते और उनके मुताबिक अदालत ने आस्था को बरकरार रखा है.

Indien Ayodhya Urteil Moscheegelände wird geteilt
तस्वीर: AP

बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने मुस्लिम समुदाय को विवादित स्थल से हट कर सरयू नदी के तट पर मस्जिद बनाने का सुझाव दिया है और आडवाणी ने इस सुझाव का समर्थन किया है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के साथ इंटरव्यू में बीजेपी नेता ने संयम बरतते हुए कई सवालों के जवाब दिए हैं ताकि मुस्लिम समुदाय को नाराज होने का मौका न मिल पाए.

सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा के मुद्दे पर आडवाणी ने कहा, "हां, मैंने खुद को दोषमुक्त महसूस कर रहा हूं क्योंकि 1989 तक बीजेपी मंदिर आंदोलन का हिस्सा नहीं थी. यह आंदोलन तो 1949 में ही शुरू हो गया था."

जब आडवाणी से पूछा गया कि क्या बीजेपी और आरएसएस बातचीत के जरिए इस मामले का समाधान निकालने का प्रयास करेंगे तो आडवाणी ने बताया, "आगे का रास्ता तो दो समुदायों को आपसी सहमति के जरिए ही तय करना है. क्या होना है यह दोनों को तय करने दीजिए."

आडवाणी के मुताबिक हाई कोर्ट के फैसले से उन करोड़ों लोगों की इच्छाएं साफ होती हैं जो अयोध्या में राम मंदिर बनते हुए देखना चाहते हैं. लेकिन उनका मानना है कि बेहतर होगा अगर यह सिर्फ कोर्ट का फैसला न होकर दोनों समुदायों का भी फैसला हो. अयोध्या फैसले का असर काशी और मथुरा विवाद पर पड़ने और वहां भी विवाद गहराने की संभावना को उन्होंने खारिज किया है.

आडवाणी का कहना है कि अयोध्या विवाद ने देश की राजनीति पलट दी थी. हालांकि कुछ मुद्दों पर वह राय जाहिर करने से बचते नजर आए. उन्होंने यह नहीं बताया कि क्या हाई कोर्ट के फैसले से बाबरी मस्जिद का विध्वंस सही साबित होता है या फिर बाबरी विध्वंस का केस कमजोर होता है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उ भट्टाचार्य

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