आखिरी बार कड़केगी बोल्ट नाम की बिजली
धरती पर मौजूद सबसे तेज इंसान लंदन में आखिरी बार दौड़ लगाएगा. लंदन की वर्ल्ड एथेलेटिक्स चैंपियनशिप के बाद यूसेन बोल्ट अपने प्यारे खेल को अलविदा कह देंगे.
रिकॉर्डधारी बोल्ट
9.58 सेकेंड में 100 मीटर की दौड़ और 19.1 सेकेंड में 200 मीटर का फर्राटा भरने वाले यूसेन बोल्ट अब तक के सबसे तेज फर्राटा धावक हैं.
रिकॉर्डों की झड़ी
2008 में बीजिंग ओलंपिक के दौरान बोल्ट दुनिया के सामने आये. इसके एक अगले ही साल बर्लिन में आयोजित वर्ल्ड एथेलेटिक्स चैंपियनशिप के दौरान जमैका के यूसेन बोल्ट अपने ही रिकॉर्ड ध्वस्त कर दिये. बिजली जैसी रफ्तार के चलते उन्होंने दुनिया भर में सुर्खियां बटोरीं.
टीम जमैका
2008 के बीजिंग ओलंपिक, फिर 2012 के लंदन ओलंपिक और अंत में 2016 के रियो ओलंपिक में जमैका के इस खिलाड़ी ने गोल्ड मेडलों की झड़ी लगा दी. 100 मीटर, 200 मीटर और 100X4 रिले में वह जमैका के लिए अकेले स्वर्ण पदक बटोरते गये.
जीत की हैट्रिक
छह फुट पांच इंच लंबे यूसेन बोल्ट अकेले धावक हैं, जिन्होंने लगातार तीन अलग अलग ओलंपिक खेलों में 100 और 200 मीटर स्प्रिंट के स्वर्ण पदक जीते हैं. रिले रेस में भी उनका यह रिकॉर्ड बनता, लेकिन एक साथी की डोपिंग के चलते रियो ओलंपिक का गोल्ड मेडल छिन गया.
बेदाग करियर
बोल्ट से पहले और उनके साथ दौड़ने वाले कई धुरंधरों पर डोपिंग के आरोप लगे. वो पकड़े भी गए. इस सब विवादों के बीच बोल्ट कोयले की खदान में हीरे की तरह बेदाग रहे. यही वजह है कि उन्हें मौजूदा दौर में एथेलेटिक्स का सबसे बड़ा ब्रांड एम्बेसडर माना जाता है.
हार का अफसोस नहीं
2010 में बोल्ट चोट का शिकार हुए. मांसपेशियों की चोटों के कारण वह काफी वक्त तक ट्रैक से दूर रहे. और जब लौटे तो अपने ही देश के असाफा पावेल से हार गए. हार के बाद भी बोल्ट के चेहरे पर कोई शिकन नहीं थी. वे पावेल की जीत में झूम रहे थे.
मस्तमौला और फक्कड़
30 साल के यूसेन बोल्ट मीडिया के भी पसंदीदा खिलाड़ी हैं. स्टारडम के बावजूद वह एक आम इंसान की तरह पेश आते हैं. खूब हंसी मजाक भी करते हैं. लेकिन जब भी उसने ये पूछा जाता है कि आगामी रेस कौन जीतेगा, तो वो कहते है, "मैं."
निराला अंदाज
आम तौर पर 100 और 200 मीटर फर्राटा दौ़ड़ के मुकाबले बहुत टाइट होते हैं. हार और जीत के बीच मिलीसेकेंड का फर्क होता है. लेकिन यूसेन बोल्ट जब से ट्रैक पर आये हैं, तब से यह फासला कुछ मीटर में होता है. जीत के बाद ये उनका पसंदीदा स्टाइल है.
शो मैन
आम तौर पर एथेलेक्टिस के मुकाबलों में स्टेडियम फुल नहीं होता. लेकिन यूसेन बोल्ट जब से आये हैं, तब से उन्हें देखने के लिए हर जगह स्टेडियम खचाखच भर जाता है. लंदन में भी उनकी आखिरी दौड़ देखने के लिए दुनिया भर के लोग जमा होने वाले हैं. शो मैन का आखिरी शो हाउस फुल है.
भारत से प्यार
यूसेन बोल्ट के दिल में भारत और क्रिकेट के लिए भी खास जगह है. बोल्ट जब बच्चे थे तो वेस्ट इंडीज दौरे पर जाने वाली भारतीय टीम के मैच देखा करते थे. बोल्ट खुद भी एक तेज गेंदबाज बनना चाहते थे. 2014 में वह भारत गये जहां उन्होंने क्रिकेट भी खेला और 100 मीटर की दौड़ भी लगायी.
आगे क्या
यूसेन बोल्ट पहले रियो ओलंपिक के बाद ही संन्यास लेने की इच्छा जता चुके थे. लेकिन फिर उन्होंने लंदन में स्प्रिंट को अलविदा कहने का मन बनाया. बोल्ट के मुताबिक रिटायर होने के बाद वह फुटबॉल और एक्टिंग में हाथ आजमाना चाहेंगे.