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इतिहास में आजः 30 अक्टूबर

२९ अक्टूबर २०१३

1960 में पहली बार एक जिंदा इंसान को किडनी का सफल ट्रांसप्लांट किया गया था. सर माइकल वुडरफ के इस कदम के बाद से ना जाने कितने मरीजों को नई जिंदगी मिली.

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तस्वीर: fotolia/Bergringfoto

आज ही के दिन सर माइकल वुडरफ ने ब्रिटेन के अस्पताल में पहली बार किसी जिंदा इंसान के शरीर से किडनी का प्रत्यारोपण किया था. सर वुडरफ के नाम ऐसी दवा बनाने का श्रेय भी जाता है जो शरीर में मौजूद अंग अस्वीकृति की प्रतिरक्षा प्रणाली को खत्म करती है. इससे पहले अमेरिकी डॉक्टर जोसेफ ई मरे ने 1954 में इंसान के शरीर पर पहला ट्रांसप्लांट किया लेकिन ट्रांसप्लांट मुर्दा के शरीर से किया गया था. सर माइकल वुडरफ ने किडनी प्रत्यारोपण करने के पहले इस विषय पर विस्तार से शोध किया. साथ ही उन्होंने ऑर्गन रिजेक्शन की विशेष समस्या के बारे में भी रिसर्च किया.

सर वुडरफ जब इस विषय पर शोध कर रहे थे तो उन्होंने पाया कि उनके एक मरीज जो कि किडनी की समस्या से ग्रसित था उसका जुड़वां भाई है. सर वुडरफ को यह एहसास हुआ कि जुड़वां भाइयों के बीच प्रत्यारोपण करने से रिजेक्शन की जोखिम कम होती है. एडिनबरा के रॉयल अस्पताल में ऑपरेशन के बाद मरीज में जटिल समस्याएं पैदा हो गईं. क्योंकि ऑपरेशन के बाद दी जाने वाली दवाएं उतनी विकसित नहीं थी. ऑपरेशन के बाद मरीज कई दिनों तक खतरे में था. लेकिन ऑपरेशन सफल रहा और इसके बाद वुडरफ एक सफल चिकित्सक के रूप में स्थापित हुए. माइकल फ्रांसिस एडिसन वुडरफ का जन्म लंदन में 3 अप्रैल 1911 को हुआ था. 1960 में सर वुडरफ को शल्य चिकित्सा विज्ञान में योगदान के लिए लिस्टर पदक से सम्मानित किया गया.