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कार्निवल मतलब मौज, मस्ती और मसखरापन

२१ फ़रवरी २००९

जर्मनी में राइनलैंड और कई दूसरे इलाक़ों में आजकल कोई तितली बना है, कोई फूल. कोई शेर तो कोई बिल्ली. कोई दरबान बनकर ही ख़ुश हैं तो कोई शहंशाह बना फिर रहा है. मौक़ा कार्निवल का है तो हर कोई एक दूसरे को पछाड़ने में लगा है.

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हलो, आइए कार्निवल मेंतस्वीर: AP

जर्मनी के कोलोन शहर में लोगों के पास मौक़ा है जो चाहो बन जाओ. वैसे कोलोन ही क्यों राइन नदी के किनारे बसे बॉन, ड्यूसलडॉर्फ और मैंत्स जैसे जर्मन शहरों में भी अचानक बेशुमार समुद्री लुटेरे, जादूगरनियां, पादरी और काउब्वॉय दिख रहे हैं. सचमुच में नहीं, बल्कि कार्निवल की मस्ती में डूबे लोग इन ड्रेसों को पहने घूम रहे हैं.

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कहिए, कैसा लगा मेरा रूपतस्वीर: AP

नए ट्रेंड

कार्निवल की कुछ पारंपरिक ड्रेसों से अलग इस साल लोग कुछ नई ड्रेसें भी आज़मा रहे हैं, जो परियों की कहानियों, फ़िल्मों और फ़ंतासी किरदारों से जुड़ी हैं. मिसाल के तौर पर एलेना ने अपनी ड्रेस ख़ुद ही तैयार की है. उसकी लंबी ड्रेस पूरी तरह काली है और इस पर पंख लगे हुए हैं. वह कहती हैं, ''मैं इस साल काली परी बनी हूं क्योंकि हर कोई सफ़ेद परी के कपड़े पहनता हैं. इसलिए मैंने सोचा कि क्यों न काली परी बना जाए. लेकिन इसका यह मतलब क़तई नहीं है कि मैं बुरे काम करूंगी. मैं मानती हूं कि कभी कभी गंदी हो सकती हूं, लेकिन इसका काली परी से कोई लेना देना नहीं है.

ब्राजील के शहर रिओ डि जेनेरिओ के हॉट कार्निवल के अलग जर्मनी में इन दिनों जब कार्निवल मनाया जाता है तो मौसम काफ़ी ठंडा होता है. इसलिए बहुत से लोगों ने अपने लिए ऐसी ड्रेसें चुनी हैं जो उन्हें गर्म रख सकें. मसलन भालू, ख़रगोश या फिर फर वाले मेंढक. बेशक़ ऐसी ड्रेसें आपको उन महिलाएं के मुक़ाबले ठंड से कहीं ज़्यादा बचाती हैं, जो छोटी छोटी स्कर्ट पहने हुए हैं.

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बिन लादेन भी मौजूद है कार्निवल मेंतस्वीर: AP

बनिए मस्त और मसखरे

हेल्गा रेश कार्निवल के दौरान ड्रेसों पर एक किताब लिख चुकी हैं. कार्निवल मनाने के लिए वह कुछ नसीहतें भी देती हैं, ''जब कार्निवल आता है तो आपको कुछ हटकर पहनना होता है. इसके अलावा कोई चारा भी तो नहीं है. वरना आप सबसे अलग दूर मानों किसी कोने में खड़े नज़र आते हो. म्यूनिख के मुक़ाबले कोलोन में ख़ास बात यह है कि आपकी ड्रेस मज़ाकिया और मसखरी होनी चाहिए. जरूरी नहीं कि वह सेक्सी हो. कोलोन में बेहतर होगा आप जोकर बनिए या फिर औरतें आदमियों के कपड़े पहनें. मसलन सैनिक या फिर समुद्री लुटेरे.'' कार्निवल में अब धीरे धीरे भारतीय ड्रेसों का भी चलन बढ़ रहा है. कई बार आपको हिंदुस्तानी राजा महाराजा दिखते हैं तो कहीं तलवार लिए और घोड़े पर सवार होने को बिल्कुल तैयार दुल्हा. कहीं सजना के साथ जाने के लिए सजी संवरी दुल्हन और हाथो में चूड़ा और सलवार कमीज पहने लड़कियां. बेशक यह सब यहां दिन ब दिन लोकप्रिय होती बॉलिवुड फ़िल्मों का असर है.

नहीं मंदी की मार

जब बात कार्निवल की आती है तो आर्थिक संकट का कहीं कोई असर नज़र नहीं आता. कार्निवल ड्रेसें बेचने वाली या उन्हें किराए पर देने वाली दुकानें बढ़िया आमदनी कर रही हैं. ज़्यादातर लोग अपने लिए कार्निवल की अच्छी सी ड्रेस के लिए कम से 40 यूरो यानी ढ़ाई हज़ार रुपये ख़र्च करने को तैयार हैं. हां, कई नौजवान लोग ज़रा समझ से काम ले रहे हैं. या तो उन्होंने अपनी पिछले साल की ड्रेस को ही झाड़पोंछ कर पहन लिया या फिर किसी दोस्त की ड्रेस मांग ली है. ड्रेस किराए पर देने वाली एक दुकान चलाने वाले हेअबर ग्राइस कहते हैं कि ये अच्छा है क्योंकि कुछ ड्रेस कभी आउट ऑफ़ फ़ैशन नहीं होती हैं. येक्केन को पूरे साल अपने लिए ऐसी बेहतरीन ड्रेस की तलाश रहती हैं जिसे आने वाले कार्निवल पर पहन सकें. दरअसल येक्केन का मतलब होता है भांड और यह वह उपाधि है जो राइनलैंड के कार्निवल मसखरे अपने आपको देते हैं. स्ट्रीट यानी गलियों और सड़कों पर कार्निवल की शुरूआत इस गुरुवार को हुई. इस दिन को महिला कार्निवल के नाम से भी जाना जाता है. दरअसल इस दिन महिलाओं का राज होता है. पारंपरिक तौर पर वे पुरुषों की टाई काटती हैं. कई तो इन कटी हुई टाइयों को ट्रॉफ़ी के तौर पर संजोकर भी रखती हैं.

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राजनैतिक कटाक्ष भी ख़बू होते हैं कार्निवल मेंतस्वीर: AP

ड्रेस के लिए कुछ भी करेगा!

आम तौर पर बात करें तो कार्निवल पर ज़्यादातर लोग पारंपरिक ड्रेस पहनना ही ज़्यादा पसंद करते हैं. अब कोलोन के सबसे पुराने और प्रभावशाली कार्निवल क्लबों में से एक रेड स्पार्क को ही लीजिए. यह क्लब 1823 में बना था, और इस क्लब के सदस्य जो ड्रेस पहनते हैं वह ठीक वैसी ही है जैसी कि 18वीं सदी में कोलोन के पुलिसकर्मियों की वर्दी हुआ करती थी. लाल जैकेट और सफेद पैंट या फिर लड़कियों के लिए स्कर्ट्स. इस क्लब के तक़रीबन 250 सदस्य हैं और सभी के पास इस तरह की ड्रेस या कहिए वर्दी है. और आप जानते हैं ऐसी एक ड्रेस को तैयार कराने के लिए हर सदस्य को साढ़े तीन हजार यूरो यानी तकरीबन सवा दो लाख रुयपे खर्च करने पड़े हैं. यानी सौदा ख़ासा महंगा है. लेकिन क्लब के प्रवक्ता डीठर ज़ारी कहते हैं कि उनका पैसा पूरी तरह वसूल होता है. वह कहते हैं, ''जब आप इस वर्दी को पहनते हैं, तो आपकी तमाम तकलीफ़े और चिंताएं दूर हो जाती हैं. यह एक अद्भुत अहसास होता है, क्योंकि आप इसे पहनकर एक अलग ही इंसान बन जाते हो. यह बहुत बढिया है. और बेशक बहुत से लोग आपकी तरफ़ देखते हैं. उन्हें मज़ा आता है. और भला कार्निवल के दौरान क्या चाहिए.''

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बच्चो को ख़ूब भाता है कार्निवलतस्वीर: AP

बिल्कुल कार्निवल होता ही है सब चिंताओं, गमों और परेशानियों को कुछ देर के लिए भुलाने के वास्ते. अब कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि ड्रेस ख़रीदकर पहनी हो या फिर किराए पर लेकर. बस मस्ती कीजिए.