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विवाद

गजा इस्राएल बॉर्डर पर सात की मौत

३० मार्च २०१८

इस्राएल और अमेरिकी नीतियों के खिलाफ गजा में छह हफ्ते का प्रदर्शन शुरू हुआ. प्रदर्शन के पहले ही दिन इस्राएली सेना की फायरिंग में सात लोगों की मौत हुई.

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Israel Palästina Tausende Palästinenser beteiligen sich an Massenprotesten gegen Israel in Gaza
तस्वीर: Reuters/A. Cohen

गजा में हो रहे प्रदर्शन के पहले ही दिन इस्राएली सेना की फायरिंग में सात लोगों की मौत हो गई. गजा के स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक शुक्रवार को 33 साल के जिहाद फरीना इस्राएली सेना की गोली से जान गंवाने वाले छठे शख्स बने. इससे पहले पूर्वी गजा शहर में एक 16 साल के किशोर की मौत हुई. सेना की फायरिंग में तीन और प्रदर्शनकारी भी मारे गए. एक किसान की मौत टैंक के गोले से हुई. 30 मार्च का दिन हाल के समय में सबसे हिंसक दिन कहा जा रहा है. दिन भर की हिंसा में 650 लोग घायल हुए.

शुक्रवार को गजा में हजारों लोग इस्राएल के खिलाफ प्रदर्शन के लिए जुटे. फलीस्तीनी प्रदर्शनकारियों ने वहां पांच कैंप लगाए. गजा पर शासन करने वाले इस्लामिक संगठन हमास ने कहा था कि प्रदर्शन शांतिपूर्ण होंगे. लेकिन इस्राएल की सीमा पर पहुंचते ही कुछ प्रदर्शनकारियों ने बाड़ तोड़ने की कोशिश की. वहां बड़ी संख्या में मौजूद इस्राएली सेना ने इसके बाद फायरिंग शुरू कर दी.   

माना जा रहा है कि हमास द्वारा समर्थित ये प्रदर्शन छह हफ्ते से ज्यादा चलेगा. प्रदर्शन को "द ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न" का नाम दिया गया है. प्रदर्शनकारी येरुशलम को इस्राएल की राजधानी के रूप में मान्यता देने अमेरिकी फैसले का विरोध कर रहे हैं. माना जा रहा है कि येरुशलम में अमेरिकी दूतावास का उद्घाटन 14 मई को होगा.

यह प्रदर्शन फलीस्तीनी लैंड डे की याद में भी किया जा रहा है. 1976 में लैंड डे के दिन इस्राएल में छह निहत्थे अरबों को मारा गया था. "द ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न" के आयोजक कहते हैं कि प्रदर्शन 15 मई तक चलेंगे. आखिर में नाकबा में श्रद्धाजंलि सभा होगी. 1950 के दशक में युद्ध के दौरान नाकबा से सात लाख फलीस्तीनी या तो भागे थे या उन्हें भगा दिया गया था. उस युद्ध के चलते 1948 में इस्राएल बना.

संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक गजा के 20 लाख बाशिंदों में से अभी करीब 13 लाख या तो रिफ्यूजी हैं या रिफ्यूजी जैसी जिंदगी बिता रहे हैं. वह ऐसी जमीन पर हैं, जिस पर अब इस्राएल अपना दावा जताता है. प्रदर्शनकारी इन लोगों की सुरक्षित घर वापसी की भी मांग कर रहे हैं.

हमास के राजनीतिक ब्यूरो के प्रमुख इस्माएल हानिया ने जर्मन न्यूज एजेंसी डीपीए से कहा, "द ग्रेट मार्च ऑफ रिटर्न ट्रंप के लिए संदेश है. येरुशलम पर कोई रियायत दी जा सकती है, फलीस्तीन के पास और कोई विकल्प नहीं है, इसे (येरुशलम को) वापस किया जाए. यह फलीस्तीनी लोगों की फलीस्तीन के लिए शुरू की गई एक पहल है, ये येरुशलम और वापसी के अधिकार के लिए हो रहा है."

इस्राएल डिफेंस फोर्सेस के मुताबिक बॉर्डर की बाड़ के पास पांच जगहों पर 17.000 फलीस्तीनी जमा हुए. डिफेंस फोर्सेस का दावा है कि भीड़ टायर जला रही थी और बाड़ पर बोतल बम और पत्थर फेंक रही थी. सेना ने लोगों को भड़काने वालों पर फायरिंग करने की पुष्टि की है.

ओएसजे/एमजे (एएफपी, डीपीए, एपी)