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गुजरात दंगों में मोदी की भूमिका की होगी जांच

२७ अप्रैल २००९

ऐसे समय जब गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी को भावी प्रधानमंत्री के रूप में पेश करने की योजनाबद्ध ढंग से कोशिश हो रही है, सुप्रीम कोर्ट ने उनके लिए मुश्किल खड़ी कर दी है. गुजरात दंगों में उनकी भूमिका की जांच होगी.

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मोदी समेत कई अधिकारियों की जांच का आदेशतस्वीर: AP

सोमवार को सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ ने 2002 के मुस्लिम विरोधी दंगों की जांच के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) को निर्देश दिया कि वह इन दंगों, ख़ासकर पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफ़री को जला कर मार दिए जाने की घटना, में नरेंद्र मोदी समेत 64 व्यक्तियों की भूमिका की जांच करे और तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट अदालत के सामने पेश करे. इन व्यक्तियों में मोदी सरकार के कई वरिष्ठ मंत्री, पुलिस अधिकारी और वरिष्ठ नौकरशाह शामिल हैं.

कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा, ''इससे मोदी पर कोई फर्क़ नहीं पड़ने वाला. न तो वह माफ़ी मांगेंगे, न ही अपने पद से इस्तीफा देंगे और न ही यह महसूस करने की प्रक्रिया शुरू करेंगे कि उनके प्रदेश में कुछ भी गलत हुआ है.'' सिंघवी ने याद दिलाया कि स्वाधीन भारत के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि किसी दंगे से संबंधित सभी मुक़दमों को किसी राज्य से बाहर स्थानांतरित किया गया हो जैसा कि गुजरात के मामले में हुआ है. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश एक संवैधानिक पद पर बैठे हुए व्यक्ति के गाल पर संवैधानिक थप्पड़ है.

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता वीरप्पा मोइली ने नरेंद्र मोदी के इस्तीफ़े की मांग की है. उधर बीजेपी के प्रवक्ता अरुण जेटली ने कहा है कि यह एक परंपरा बन गई है कि चुनाव के आते ही गुजरात से संबंधित मामले उठाए जाते हैं. मोदी के खिलाफ कई जांच हो चुकी हैं और यह जांच भी उनकी श्रृंखला में एक कड़ी होगी. लेकिन जेटली यह भूल गए कि मोदी का मामला विरोधी दलों के कारण नहीं बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के कारण उछला है. एहसान जाफ़री की विधवा जकिया नसीम एहसान ने सुप्रीम कोर्ट के सामने एक याचिका दायर की थी जिस पर अदालत ने सोमवार को अपना आदेश जारी किया.

पत्रकार से राजनीतिज्ञ बने बीजेपी नेता अरुण शौरी ने हाल ही में लालकृष्ण आडवाणी के बाद नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में पेश किये जाने की वकालत की थी जिसका अरुण जेटली ने समर्थन किया था. लेकिन पार्टी की वरिष्ठ नेता सुषमा स्वराज ने यह कह कर इसका विरोध किया कि हिंदू परिवार में पिता के रहते बेटे या बेटियों को पगड़ी नहीं बांधी जाती यानी उन्हें उत्तराधिकारी घोषित नहीं किया जाता.

उधर सोमवार को गाजियाबाद में पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह का चुनाव प्रचार करते हुए उत्तराखंड के बीजेपी नेता भगत सिंह कोशियारी ने कहा कि उनमें अटल बिहारी वाजपेयी का ह्रदय और लालकृष्ण आडवाणी का दिमाग है और राजनाथ सिंह ही प्रधानमंत्री पद के लिए अगले उम्मीदवार होने चाहिए. यानी नरेंद्र मोदी के मुद्दे पर देश ही नहीं, बीजेपी भी बंटी हुई है.


रिपोर्ट - कुलदीप कुमार, नई दिल्ली

संपादन - ए कुमार