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चीनी रक्षा बजट में बढ़ोतरी, एशियाई देशों में चिंता

५ मार्च २०१२

चीन ने इस साल अपने रक्षा बजट में भारी भरकम 11. 2 फीसदी की बढ़ोतरी की है. चीन ने सोमवार को इस साल के लिए विकास दर भी आंकी है. प्रधानमंत्री वेन जियाबाओ ने कहा कि इस साल विकास दर 7.5 ही रहेगी.

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तस्वीर: Reuters

चीन बजट का बड़ा हिस्सा सेना के आधुनिकीकरण में खर्च कर रहा है जिस वजह से उसके एशियाई पड़ोसी देशों के माथे पर चिंता की लकीरे हैं. और अमेरिका बार बार उसके इरादों के बारे में उससे पूछ रहा है. चीन ने रक्षा बजट में बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए कहा, हमारे देश में 1.3 अरब लोग रहते. हमारा देश बड़ा है और बड़ा तट भी है. लेकिन दूसरे देशों की तुलना में हमारे देश में सेना पर खर्च बहुत ही कम है. चीन की सीमित सेना उसकी संप्रभुता, सीमा और राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा के लिए है. चीन दूसरे किसी भी देश के लिए कोई खतरा नहीं है. चीन हमेशा से ही यह कहता आया है लेकिन उसके पड़ोसी देशों जापान, भारत, ताइवान और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों की सांसे फूली हुई हैं.

चीनी संसद के प्रवक्ता ली जाओशिंग ने चीन के रक्षा बजट में बढ़ोतरी की घोषणा करते हुए कहा कि चीन 2012 में 110 अरब डॉलर सेना के लिए खर्च करेगा. पिछले साल चीन ने सैन्य बजट में 12.7 फीसदी की बढ़ोतरी की थी.

जापान की ओसाका यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर काजुया साकामोतो कहते हैं, "चीन की सीमा 14 देशों से जुड़ी है. पहले आप समझ सकते थे कि इस तरह का कोई देश पारंपरिक सेना पर इतनी तेजी से इतना खर्च कर रहा है. लेकिन परमाणु हथियारों के इस दौर में कोई मतलब ही नहीं कि परमाणु हथियारों से लैस चीन सेना को इस गति से बढ़ा रहा हो."

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तस्वीर: dapd

वहीं हॉर्वर्ड यूनिवर्सिटी में बेल्फेर सेंटर में चीन अमेरिकी मामलों पर शोध करने वाले माइकल बेकले कहते हैं, "इसमें कोई दो राय नहीं कि चीन के नए हार्डवेयर की प्रतीकात्मक कीमत महत्वपूर्ण है. चीनी तट के पास जाने में अब अमेरिकी सेना को दो बार सोचना पड़ेगा. लेकिन पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) में विकास को चीन के कम आर्थिक विकास के संदर्भ में भी देखा जाना चाहिए."

भारत के संदर्भ में अगर बात की जाए तो चीन के साथ अरुणाचल की सीमा, हिमालय में सियाचीन सीमा और वीजा को लेकर विवाद हैं. सबसे बड़ा तथ्य तो यह है कि दोनों एशिया में अपना दबदबा बनाना चाहते हैं. चीन ने श्रीलंका, पाकिस्तान, म्यांमार और वियतनाम सहित सभी देशों में विकास कार्यों में, बंदरगाह, परमाणु बिजली घर (पाकिस्तान) बनाने के लिए काफी मदद की है. वहीं भारत की भी इन सभी इलाकों में रणनीतिक रुचि है और कई मामलों में वह चीन की तुलना में काफी पीछे है.

ओबामा अपने एशियाई दोस्तों को आश्वासन दे रहे हैं कि एशिया प्रशांत इलाके में अभी भी अमेरिका एक मुख्य साझेदार है और वह इस इलाके के सैन्य संतुलन को बनाए रखेगा. नई दिल्ली में डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिसि इंस्टीट्यूट के रक्षा विशेषज्ञ उदय भास्कर कहते हैं, "चीन के रक्षा बजट में 11 प्रतिशत की बढ़ोतरी, मैं कहूंगा कि यह बहुत ज्यादा बढ़ोतरी है. यह सामान्य तौर पर मुद्रा स्फीती को रोकने के लिए किए जाने वाले उपायों से भी ज्यादा है. इस बढ़ोतरी पर चीन के मुख्य प्रतिद्वंद्वियों की नजर गड़ी रहेगी."

वहीं अमेरिका ने 2013 के लिए अपने रक्षा बजट के लिए 525.4 अरब डॉलर के बजट का प्रस्ताव रखा है जो 2012 की तुलना में 5.1 अरब डॉलर कम होगा. मुख्य तथ्य यह भी है कि अमेरिका में जहां राष्ट्रपति चुनाव हो रहे हैं वहीं चीन की सत्ताधारी कम्यूनिस्ट पार्टी के नेतृत्व में बदलाव होने जा रहा है. एशिया प्रशांत के बारे में अमेरिकी पाइवट नीति को वैसे भी चीन प्रश्नवाचक नजरों से देख रहा है.

रिपोर्टः रॉयटर्स/रुथ किर्शनर/आभा एम

संपादनः मानसी गोपालकृष्णन