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समाज

चॉक और ब्लैकबोर्ड से कंप्यूटर साइंस पढ़ा दिया

१६ मार्च २०१८

दुनिया में एक स्कूल टीचर ऐसा भी है जिसने ब्लैकबोर्ड पर चॉक से डाइग्राम बना कर अपने छात्रों को कंप्यूटर साइंस पढ़ाई क्योंकि उसके पास लैपटॉप या कंप्यूटर नहीं था.

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Screenshot Youtube Richard Appiah Akoto
तस्वीर: Youtube

सिंगापुर की एक ग्लोबल कांफ्रेंस में घाना के टीचर रिचर्ड अप्पिया अकोटो का किसी मशहूर सितारे जैसा स्वागत हुआ. गरीब छात्रों को ब्लैकबोर्ड के सहारे कंप्यूटर सिखाने की उन्होंने जो पहल की है उसके बलबूते अब वह सिलकॉन वैली के दिग्गजों के साथ मुलाकात कर रहे हैं, उनकी प्रशंसा पा रहे हैं.

अकोटो इससे पहले कभी घाना से बाहर नहीं गए थे. उन्होंने बताया कि जब ब्लैकबोर्ड पर पढ़ाने के तरीके का वीडियो वायरल हो गया तो माइक्रोसॉफ्ट के प्रायोजित कार्यक्रम में उन्हें आने का न्यौता मिला.

फेसबुक यूजर्स ब्लैकबोर्ड पर उनके बनाए कंप्यूटर स्क्रीन के सटीक डायग्राम को देख कर हैरान रह गए. बड़ी सावधानी से उन्होंने ना सिर्फ माउस और कीबोर्ड बल्कि टूलबार और आइकन भी बनाए हैं. उनके छात्रों ने कंप्यूटर को सिर्फ ब्लैकबोर्ड पर ही देखा है.

उन्होंने बताया, "मैं बस माउस और कॉर्ड की ड्राइंग बना देता और उनसे कहता कि यह माउस है. यह इसकी बॉडी और यह इसकी पूंछ."

घाना के गरीब ग्रामीण इलाके सेक्येडोमासे में एक जूनियर हाईस्कूल में इन्फॉर्मेशन एंड कम्युनिकेशन टेक्नोलॉजी के टीचर के रूप में पढ़ाने का नया तरीका ढूंढना पड़ा. इसकी वजह यह थी कि स्कूल में कंप्यूटर नहीं था और उनका अपना लैपटॉप भी टूट गया था. जब उनकी क्लास की तस्वीरें इंटरनेट पर डाली गईं तो दुनिया भर में इसकी प्रतिक्रिया हुई. उनकी मदद के लिए बहुत से लोग और संगठन सामने आ गए.

अकोटो कहते हैं, "लोगों ने मुझे बुलाना शुरू किया...मुझे लगा कि मैंने अपने लिए कैसी मुसीबत मोल ली. लेकिन यह सब अच्छा रहा. आखिरकार इससे कुछ अच्छा निकल कर आया." ब्रिटेन के एक दानदाता ने उन्हें लैपटॉप दिया और घाना की एक आईटी कंपनी ने स्कूल के लिए पांच कंप्यूटर और उनके लिए एक और लैपटॉप दिया.

उनके छात्रों ने जब सचमुच का कंप्यूटर देखा तो खुशी से भर गए. इसके अलग अलग हिस्सों को तो वे पहले से ही ड्राइंग में देख कर पहचान चुके थे. सिंगापुर के तीन दिन के सम्मेलन में उन्हें दुनिया भर के प्रतिनिधियों ने खड़े हो कर सम्मान दिया. अकोटो ने बताया कि इतना दान मिल गया है कि अब उन्हें कभी कंप्यूटर की ड्राइंग नहीं बनानी पड़ेगी. हालांकि वह चाहते हैं कि उन्हें और कंप्यूटर मिलें ताकि उनके इलाके के जिन दूसरे स्कूलों में कंप्यूटर नहीं है, वहां के बच्चों तक इन्हें पहुंचाया जा सके.

एनआर/एके (एएफपी)