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जर्मनी में कार्निवाल की धूम

१० फ़रवरी २०१०

जर्मनी के राइनलैंड और आसपास के इलाकों में आजकल कोई आपको स्पाइडरमैन बना दिखेगा तो कोई फूल. धूम ऐसी कि कोई भी इससे अपना जी न चुरा सके फिर आप दुनिया के किसी भी कोने से क्यों न आए हों.

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कार्निवल की धूमतस्वीर: AP

रंग बिरंगी पोशाकें, गाना बजाना और ख़ूब सारी मस्ती यही तो है कोलोन कार्निवाल की आत्मा. ये समय होता है जब आमतौर पर संजीदगी से रहने वाले जर्मन उस प्रणाली को त्याग कर कहीं खो जाते हैं इस 179 साल से चले आ रहे सास्कृतिक उत्सव की धूम में.

कोलोन कार्निवाल को यूरोप की सबसे बड़ी स्ट्रीट पार्टी भी कहा जाता है और जितनी शिद्दत से इसे जर्मनी के नॉर्थराइन वेस्टफ़ेलिया राज्य में मनाया जाता है शायद ही दुनिया के किसी और कोने में मनाया जाता होगा.

बात जब कार्निवल की हो तो मस्ती के मामले में कोई रियायत नहीं मिलेगी. ये समय होता है जब काम और दुनियादारी की चिंता को त्याग कर पूरा यूरोप लग जाता है सिर्फ़ और सिर्फ़ मस्ती भरे कार्निवल की तैयारी में. कोलोन जर्मनी का चौथा सबसे बड़ा शहर है और सबसे पुराना भी. दस लाख की आबादी वाले शहर कोलोन ने तो रोमन साम्राज्य का भी मन मोह लिया था. यहां मनाया जाने वाला कार्निवल दुनिया के सबसे श्रेष्ठ उत्सवों में से एक माना जाता है.

पतझड़, सावन, बसंत, बहार...

इस गाने की पंक्तियों की तरह, जर्मनी में, पांचवां मौसम प्यार का तो नहीं पर कार्निवल का होता है. कोलोन के साथ पूरे जर्मनी में कार्निवल साल के पांचवें मौसम की तरह मनाया जाता है.

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तस्वीर: AP

कोलोन के कार्निवल की धूम देखकर लगता है जैसे क़ुदरत भी इसमें शामिल होने को विवश हो जाएंगे. अजीबोग़रीब पोशाकें पहने लोग कोलोन की सड़कों पर हर जगह नज़र आते हैं, कभी कार्निवल के संगीत में झूमते तो कभी ड्रमों और बांसुरी की धुनों पर थिरकते.

झूम बराबर झूम

ये समय होता है मास्क, परे़ड और साथ ही कार्निवल के राजा और रानी चुनने का. ये समय होता है ऑफिशियल मैडनेस यानी अधिकारिक तौर पर पागलपन करने का. समारोह के दिन, समय और परंपराएं जगहों के हिसाब से अलग अलग होते हैं लेकिन आमतौर पर कार्निवल का उत्सव ईस्टर से ठीक सात हफ़्ते पहले, बसंत की शुरुआत में मनाया जाता है जबकि इसकी बैकस्टेज प्लानिंग या शुरुआती तैयारियां साल के ग्यारहवें महीने यानी नवंबर की ग्यारहवीं तारीख़ को सुबह ग्यारह बजकर ग्यारह मिनट से ही शुरू हो जाती हैं.

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मस्ती में झूमते लोगतस्वीर: picture alliance / dpa

सिर्फ़ कोलोन में ही नहीं राइन नदी के किनारे बसे बॉन, ड्यूसलडॉर्फ, माइंस, आख़न आदि जर्मन शहरों में भी इस उत्सव की धूम कई दिन पहली ही दिखने लगती है. दुकानें कार्निवल की ड्रेसेस और एक्सेसरीज़ से भर जाती हैं. कार्निवल के लिए ख़रीददारी करने से पहले यहां लोग पैसे का सोचते भी नहीं हैं. सबसे अलग लगने की होड़ में कई लोग तो कार्निवल के कपड़ों पर चालीस यूरो यानि क़रीब ढाई हज़ार रुपए से भी ज़्यादा ख़र्च देते हैं. सबसे मज़ेदार बात तो ये है कि आजकल कार्निवल में भारतीय पोशाकों की भी धूम है. तो अगर कोई भारतीय सम्राट या फिर दूल्हे के कपड़े पहने दिखे तो हैरान मत होइएगा. वैसे ये सब जर्मनी में लगातार लोकप्रिय होती भारतीय फ़िल्मों का असर है.

कार्निवल की धूम के पांच दिन

पांच दिन और पांच रात कोलोन इस उत्सव के आनंद में जैसे डूब जाता है. इनमें से सबसे पहला दिन होता है वुमन्स कार्निवल डे. ये वो दिन होता है जब आप कार्निवल को उसके परंपरागत रूप में मनाते हैं. इस दिन ठीक ग्यारह बजकर ग्यारह मिनटों पर कार्निवल के आग़ाज़ का एलान होता है. ये दिन पूरी तरह महिलाओं का दिन होता है और अगर आपने टाई पहनने की ग़लती कर दी है तो उसे कटवाने के लिए भी तैयार रहिएगा. साथ ही शाम को होने वाले मास्क बॉल यानि डांस में जिसमें पुरुष भी शामिल हो सकते हैं, बशर्ते वो महिलाओं के ड्रिंक्स के ख़र्चे उठाने को राज़ी हों.

अगला दिन कहलाता है वाइबर फास्टनाख्ट. कार्नेवाल कैथोलिक ईसाइयों के 40 दिन के फास्टिंग या उपवास के दौरान मनाया जाता है. इस अवधि को लेंट के नाम से जाना जाता है.

तीसरा दिन होता है फ्र्यूहशॉपेन का यानि सुबह सुबह की ड्रिंक पीने का दिन. फिर पूरा दिन मस्ती और गाने बजाने के बाद आती है घोस्ट प्रोसेशन या भूतों के जुलूस की बारी. जिसे जर्मनी में गाइस्टर त्सूग कहा जाता है. इसमें लोग अलग अलग तरह कि डरावने मास्क और पोशाकें पहनकर घूमते हैं.

चौथा दिन पांचवें और आख़िरी दिन के छोटे रूप के तौर पर देखा जा सकता है. स्कूली बच्चे, क्लब्स और छोटे बच्चे फैंसी ड्रेस परेड में शामिल होकर शहर के हर कोने में घूमते नज़र आते हैं.

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तस्वीर: DW / Nelioubin

पांचवें दिन इस धूम का ख़ास दिन होता है. ये दिन कहलाता है रोज़नमॉनटाग या रोज़ मंडे. इस दिन शहर में बड़ी परेड निकलती है. सजे हुए रथ और कोच इस जुलूस की शान होती है और इस माहौल में जान फूंकता है कार्निवल का ख़ास संगीत जिसके शब्द चाहे आप न भी समझ पाएं लेकिन इनकी धुनें आपको थिरकने पर मजबूर कर देती हैं. कई हज़ार चॉकलेट,टॉफ़ियां, मिठाई फूल लोगों पर फेंकी जाती हैं.

ब्राज़ील के शहर रियो डी जेनेरियो में इन दिनों मौसम गर्म होने के कारण इस उत्सव को यहां हॉट कार्निवल कहा जाता है. जर्मनी में अभी भी हड्डियां कंपकंपाने वाली ठंड है, बर्फ़ भी है, लेकिन कार्निवाल के उत्साह को कहां कुछ भी ठंडा नहीं कर सकता है क्योंकि ये तो समय है परिवार और दोस्तों के साथ बेहिसाब मस्ती का!

रिपोर्टः तनुश्री सचदेव

संपादनः आभा मोंढे