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आतंकवाद

ट्रक हमले ने मैर्केल की मुश्किलें बढ़ाईं

२३ दिसम्बर २०१६

बर्लिन के ट्रक हमले ने जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सरकार में मतभेद गहरे कर दिये हैं. क्या सितंबर 2017 में होने वाले चुनावों में इस हमले की गूंज सुनाई पड़ेगी.

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Berlin PK zu LKW Anschlag Merkel, Maas, de Maiziere
तस्वीर: Reuters/H. Hanschke

जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल अब तक सफलता से गठबंधन सरकार चलाती आई हैं. शरणार्थियों के मुद्दे पर मतभेद जरूर उभरे लेकिन अमेरिका में डॉनल्ड ट्रंप की जीत ने मैर्केल की मदद की. लोगों को लगा कि ट्रंप के सत्ता में आने के बाद यूरोप को एक प्रभावशाली नेता की जरूरत है और मैर्केल इस लिहाज से सबसे उम्दा हैं. खुद चांसलर ने भी 2017 के चुनाव में अपने दावेदारी की घोषणा कर दी.

लेकिन इसके बाद बर्लिन के क्रिसमस मार्केट में ट्रक हमला हुआ. 12 लोग मारे गए और 48 घायल हो गए. संदिग्ध ट्यूनीशिया का नागरिक बताया जा रहा है जो शरणार्थी के तौर पर जुलाई 2016 में यूरोप आया. शरणार्थियों के लिए अपने दरवाजे खोलने की मैर्केल की नीति के चलते 8,90,000 लोग जर्मनी पहुंचे. लेकिन बर्लिन के हमले ने सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल खड़े कर दिये हैं. मैर्केल एक बार फिर दबाव में हैं.

दक्षिणी जर्मनी के समृद्ध राज्य बवेरिया के मुख्यमंत्री हॉर्स्ट जेहोफर एक बार फिर आप्रवासन नीति और सुरक्षा को कड़ा करने की मांग कर रहे हैं. वे पहले भी शरणार्थियों के लिए सालाना सीमा तय करने की मांग करते रहे हैं. जेहोफर क्रिश्चियन सोशल यूनियन (सीएसयू) के मुखिया भी हैं. सीएसयू को चांसलर मैर्केल की पार्टी सीडीयू की सिस्टर पार्टी भी कहा जाता है. सीडीयू की उपाध्यक्ष यूलिया क्लोएक्नर कहती हैं, "सीमा तय करना इस बात की गारंटी नहीं देती कि शरणार्थियों में सिर्फ संत होंगे."

मैर्केल सरकार ने हाल के महीनों में शरण के कानून कड़े किये हैं. शरण के लिए अयोग्य साबित होने वाले लोगों को वापस भेजा जा रहा है. सीडीयू भी साफ कर चुकी है कि पार्टी राष्ट्रीय सुरक्षा के प्रति वचनबद्ध है. लेकिन मुश्किल यह है कि मैर्केल की छवि शरणार्थी संकट से बंध गई है. जाहिर है शरणार्थियों से जुड़ी समस्या बार बार उन्हें परेशान करती रहेगी.

कई जर्मन राज्यों में 2017 में प्रांतीय चुनाव भी होने हैं. आशंका है कि शरणार्थियों को लेकर उपज रहे गुस्से का दक्षिणपंथी पार्टियां फायदा उठा सकती हैं. बर्लिन में हुए ट्रक हमले के बाद दक्षिणपंथी पार्टी एएफडी के नेता मार्कुस प्रेत्सेल ने टवीट किया, "ये मैर्केल के मुर्दे हैं." चुनावी सर्वेक्षणों में मैर्केल अभी भी साफ तौर पर बढ़त बनाए हुए हैं, लेकिन अगर जर्मनी में कुछ और आतंकी हमले हुए तो चांसलर के लिए मुश्किलों को अंबार लग जाएगा.

ओएसजे/एमजे (डीपीए)