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डील से हमास मजबूत होगा

१८ अक्टूबर २०११

पांच साल से इस्लामी कट्टरपंथी हमास द्वारा कैद इस्राएली सैनिक गिलाद शालित को 1000 से अधिक फलीस्तीनी बंदियों के बदले रिहा कर दिया गया है. राइनर सोलिच का कहना है कि डील से इस्लामी कट्टरपंथी हमास संगठन मजबूत होगा.

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तस्वीर: AP

क्या एक इस्राएली सैनिक की आजादी का मोल एक फलीस्तीनी बंदी की आजादी का एक हजार गुना है? यह सवाल अजीब लगता है, लेकिन एक इस्राएली के बदले 1000 से अधिक फलस्तीनी बंदियों की अदला बदली का अनदेखा न किया जा सकने वाला नैतिक आयाम है. इस्राएल भले ही अपनी बस्ती नीति के कारण अंतरराष्ट्रीय निंदा का शिकार हो, वह कितना भी फलस्तीनियों का दमन कर रहा हो, और अंतरराष्ट्रीय कानून का हनन कर उनकी जमीन पर कब्जा किए हुए हो, फिर भी यह बात माननी होगी कि यह देश स्वयं अपने यहूदी नागरिकों की इस तरह रक्षा और सम्मान करता है जो कट्टरपंथी हमास जैसे विचारधारा पर आधारित गुटों के लिए समझ के बाहर है.

इस्राएली नजरिए से 1000 से अधिक बंदियों की रिहाई गिलाद शालित की रिहाई की लगभग बर्दाश्त से बाहर ऊंची कीमत देनी पड़ी है. उनमें हालांकि ऐसे भी लोग हैं जिन्हें विवादास्पद मुकदमों में सजा दी गई थी. लेकिन उनमें ऐसे अपराधी भी शामिल हैं जो बिना किसी झिझक के इस्राएली नागरिकों की हत्या का दावा करते हैं और फलीस्तीन में उनके परिवार उनका हीरो जैसा सम्मान करते हैं. इसीलिए यह बात इस्राएल के पक्ष में जाती है कि उसने अपनी ओर से हिंसा-स्तुति और फलीस्तीन विरोधी घृणा का प्रदर्शन नहीं किया है, जैसा कि हमास करता रहा है.

मानवीय नजरिए से यह समझौता खुशी की वजह है, जिसके लिए मध्यस्थों तुर्की, जर्मनी और मिस्र की सराहना होनी चाहिए. लेकिन इस पर संदेह ही है कि बंदियों के आदान प्रदान से मध्यपूर्व में शांति प्रक्रिया के लिए नए अवसर पैदा हुए हैं, जैसा कि कुछ दिन पहले जर्मन विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले ने कहा था और अब रिहाई के बाद गिलाद शालित ने भी पहली प्रतिक्रिया में कहा है.

इसका विपरीत प्रभाव पड़ने की आशंका है. हमास इस असमान डील में अपने को विजेता महसूस कर सकता है. उसकी उग्रपंथी नीति को बल मिलेगा, फलीस्तीनी राष्ट्रपति महमूद अब्बास के नेतृत्व वाले नरमपंथी धड़े के खिलाफ भी. वे अपनी जनता के सामने बंदियों को छुड़वाने का दावा नहीं कर सकते. वे अंतरराष्ट्रीय मंच पर फलीस्तीनी राज्य की मान्यता की विफल कोशिश कर रहे हैं. यह काम वे शांतिपूर्ण तरीके से कर रहे हैं, इससिए डील में नुकसान उठाने वालों में शामिल हैं.

हमास को अब यह मालूम हो गया है कि एक इस्राएली सैनिक का भी अपहरण उसके लिए फायदे का सौदा हो सकता है. उसे उसके योद्धा वापस मिल रहे हैं, उसका राजनीतिक दबदबा बढ़ रहा है, और उसकी लोकप्रियता बढ़ी है. इस्राएली पक्ष में भी खतरा इस बात का है कि बंदियों की अदला बदली की डील का उपयोग सोच में बदलाव के लिए नहीं होगा. ज्यादा संभावना इस बात की है कि बेंजामिन नेतान्याहू की दक्षिणपंथी सरकार गजा पट्टी की अमानवीय नाकेबंदी और वेस्टबैंक में बस्तियों के विस्तार की नीति को जारी रखेगी. उसके लिए जरूरी दलील उसे मजबूत होता हमास देगा.

समीक्षा: राइनर सोलिच/मझा

संपादन: ए कुमार

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