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दिल करेगा खुद की मरम्मत

२३ मई २०१२

दिल के मरीज परेशान न हों. जल्द ही दिल खुद ही अपना इलाज कर सकेगा. वैज्ञानिकों का नया प्रयोग सफल होने पर तो दिल की मरम्मत बेहद आसान हो जाएगी.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

दिल की बीमारी से निपटने के लिए वैज्ञानिकों ने पहली बार ऐसे ऊतक विकसित किए हैं जो दिल के मरीजों से ली गई कोशिकाओं से बनाए गए थे. हालांकि अभी इसका चिकित्सकीय परीक्षण नहीं हुआ है लेकिन इससे एक उम्मीद जगी है.

हाफिया, इस्राएल के वैज्ञानिकों ने कहा है कि अभी इसकी सफलता निश्चित नहीं है. और प्रयोग किए जाने हैं. लेकिन इससे दिल के मरीजों की कोशिकाओं को फिर से विकसित कर दिल की मरम्मत की जा सकेगी.

शोधकर्ता इन दिनों स्टेम सेल यानी मूल कोशिकाओं पर कई शोध कर रहे हैं. उन्हें उम्मीद है कि ये सेल्स खुद को कई तरह की कोशिकाओं में बदल सकती है. और इससे कई बीमारियों के इलाज में मदद मिलेगी. स्टेम सेल के दो मुख्य प्रकार होते हैं एक जो भ्रूण से मिलते हैं. और दूसरे मनुष्य की त्वचा या खून से मिलते हैं. इन्हें ह्यूमन इंड्यूस्ड प्लरिपोटेंट स्टेम सेल कहते हैं. दिल खुद को कैसे ठीक करेगा इसके शोध के लिए वैज्ञानिकों ने दिल के मरीजों की त्वचा से कुछ मूल कोशिकाएं लीं. इसके बाद उन्होंने इसमें तीन जीन और मिलाए, वालप्रोइक एसिड नाम का एक छोटा सा मॉलिक्यूल न्यूक्लियस में डाला. और टीम ऐसी कोशिकाएं बना सकीं जो दिल में धड़कती हैं. 24 से 48 घंटे के अंदर दिल में पाई जाने वाली कोशिका और कृत्रिम रूप से बनाई गई कोशिका धड़कने लगी. इसके बाद इसे चूहे में डाला गया. वैज्ञानिकों ने पाया कि डाली गई कोशिकाएं दिल की कोशिकाओं से तालमेल बिठाने की कोशिश कर रही हैं.

टेक्नोन इस्राएल इंस्टीट्यूट के लिओर गेपस्टीन का कहना है, 'दिल के मरीजों की कोशिकाएं लेकर हमने प्रयोगशाला में इन्हे विकसित किया. और ये बिल्कुल मरीज के दिल की कोशिकाओं से मिलती हैं. और उसी तरह धड़कती भी हैं'.

ये शोध यूरोपियन हार्ट जरनल में प्रकाशित हुआ है. और शोध करने वाले वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि इसका चिकित्सकीय परीक्षण अगले 10 साल में शुरु हो जाएगा. हार्ट अटैक के मरीजों का दिल कमजोर हो जाता है इससे शरीर के बाकी हिस्सों में खून की आपूर्ति रुक जाती है. हार्ट अटैक की गंभीर अवस्था में मरीजों की स्थिति दिल के प्रत्यारोपण पर निर्भर करती है. एडिनबरो यूनिवर्सिटी में हृदय रोग विशेषज्ञ निकोलस मिल्स का कहना है कि दिल के मरीजों पर इसका प्रयोग करने से पहले इस तकनीक को पूरी तरह से परिष्कृत करना होगा. हालांकि इसके नतीजे काफी उत्साहवर्धक हैं. और इससे दिल की मरम्मत बेहद आसान हो जाएगी.

वीडी,एएम (रायटर्स)

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