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दुनिया भर के कूड़ेदान में क्या ढूंढते हैं शिमाजू?

१६ मार्च २०१८

एक मशहूर कहावत है "किसी का कूड़ा किसी के लिए खजाना" होता है, इसी को मूलमंत्र बना कर जापानी कलाकार फुयुकी शिमाजू ने दुनिया भर के कूड़ेदानों की खाक छान मारी और अपने काम से कहावत को सच साबित कर दिया.

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Der japanische Künstler Fuyuki Shimazu
तस्वीर: Reuters/S. Jenkins

30 साल के शिमाजू कार्डबोर्ड जमा करते हैं और उन्होंने 27 देशों से घूम घूम कर कूड़ेदान में जा रहे कार्डबोर्ड के बक्से जमा किए. इन बेकार हो चुके बक्सों से वह पर्स, बिजनेस कार्ड होल्डर और दूसरी चीजें बनाते हैं. इन सामानों को ना सिर्फ डिजाइन के जानकारों की वाहवाही मिली है बल्कि इतने पैसे भी मिल रहे हैं कि वह दूरदराज के देशों तक जा कर कूड़े दान से बक्से जमा कर सकें.

Der japanische Künstler Fuyuki Shimazu
तस्वीर: Reuters/S. Jenkins

अमेरिकी राज्य टेक्सस की राजधानी ऑस्टिन में साउथवेस्ट फिल्म फेस्टिवल के दौरान एक इंटरव्यू में शिमाजू ने कहा, "मुझे सचमुच बहुत अच्छा लगता है जब किसी खास देश में इस्तेमाल होने वाले अलग तरह के कार्डबोर्ड बॉक्स मेरी आंखों के सामने से गुजरते हैं." फिल्म फेस्टिवल में उनके काम पर बनी एक डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई गई जिसका नाम है "फ्रॉम ऑल कॉर्नर्स मेड इट्स वर्ल्ड प्रीमियर."

शिमाजू जो कर रहे हैं उसे आजकल अपसाइक्लिंग कहा जाता है जिसका मतलब है बेकार हो चुकी चीजों को रचनात्मक रूप से दोबारा इस्तेमाल करने लायक बनाना. कूड़े की तलाश में शिमाजू स्पेन से लेकर ग्रीस, भारत और कम्बोडिया तक जा चुके हैं. इनमें सबसे यादगार इस्राइल की यात्रा रही जहां इमिग्रेशन काउंटर पर उन्हें पकड़ लिया गया और वह अधिकारियों को चार घंटे तक समझाते रहे कि उनकी इस यात्रा का क्या मकसद है और वह इन कार्डबोर्ड बॉक्स के जरिए क्या करना चाहते हैं.

शिमाजू ने बताया, "ऐसे कार्डबोर्ड जिन्हें बहुत पटका गया हो, जिन पर खूब सारे निशान बना हो, या फिर जिन पर टेप के अंश हों, या नीचे से खुरच दिए गए हों...इन सब को देख कर मैं उनके पीछे की कहानी के बारे में कल्पना करना पसंद करता हूं." फिल्म निर्देशक रायुसुके ओकाजिमा शिमाजू के पीछे पीछे तब गए जब वह जापानी आलुओं को ढोने में इस्तेमाल होने वाले एक खास तरह के पीले हरे कार्डबोर्ड की तलाश में निकले थे. टोक्यो के बाजार में इन बक्सों को देख कर शिमाजो झूम उठे. 

Der japanische Künstler Fuyuki Shimazu
तस्वीर: Reuters/S. Jenkins

शिमाजू की बनाई चीजें खूब रंगीन होती हैं और अकसर पैकेजिंग में इस्तेमाल हुई डिजाइन अपने में समेटे रहती हैं. उनके बनाए पर्स की कीमत 100 डॉलर यानी करीब साढ़े छह हजार तक होती है. इस साल उन्होंने टोक्यो के नेशनल आर्ट सेंटर में अपने सामानों की प्रदर्शनी भी लगाई. उनका मकसद है अपसाइक्लिंग को बढ़ावा देना, ज्यादा से ज्यादा सामान बेचना और ऐसे कार्डबोर्ड की तलाश करना जो उनके दिल में हलचल मचा दे. वह कहते हैं, "जब आपके ऐसी चीज हो जिसे आप प्यार करते हैं, तो जिंदगी मजेदार बन जाती है."

एनआर/एके (रॉयटर्स)