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नेपाल में मीडिया पर हमले का विरोध

सुनन्दा राव२४ दिसम्बर २००८

रविवार को नेपाल में माओवादियों द्वारा अखबार के दफ्तर पर हुए हमले के बाद से देश के मुख्य अखबारों ने विरोध किया है. मीडिया संगठन इसे मत अभिव्यक्ति और लोकतंत्र पर हमला क़रार दे रहे हैं.

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माओवादियों की पार्टी नेपाल में हुए चुनाव में सबसे बड़ी पार्टी बनकर सत्ता में आईतस्वीर: AP

नेपाल में देश भर के अखबारों ने सत्तारूढ़ माओवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं द्वारा पत्रकारों और अखबारों के दफ्तरों पर किये गए कथित हमलों के विरोध में संपादकीय की जगह खाली छोड़ने का फैसला किया है.

खबर है कि पिछले रविवार को पार्टी से जुड़ी लेबर यूनियन के दर्जनों कार्यकर्ताओं ने अंग्रेज़ी अखबार नेपाली टाइम्स के प्रकाशन घर, हिमाल मीडिया के दफ्तर पर हमला किया और पत्रकारों समेत कई लोगों के साथ बल-प्रयोग किया. हमला करने वाले लोगों का कहना था कि वे "अखबार में की जा रही रिपोर्टिंग" से नाखुश हैं. हिमल पत्रिका के संपादक कनक मणी दिक्षित ने डॉएचे वेले को बताया कि, "लगभग 50 माओवादियों ने अखबार के दफ्तर में घुस कर पत्रकारों और स्टाफ के साथ बल प्रयोग किया और तोड़-फोड़ भी की."

"मत-अभिव्यक्त्ति पर हमला"

विरोध के तौर पर देश के मुख्य अंग्रेज़ी और नेपाली भाषाओं के अखबारों ने संपादकीय की जगह खाली रखी. एक संयुक्त बयान में मीडिया सोसाइटी और नेपाली मीडिया संगठन ने इस घटना को "मतअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और लोकतंत्र पर हमला बताया है." इस बयान में इस बात पर भी नाराज़गी जताई गई कि हमला करने वाले सत्तारूढ़ पार्टी के सदस्य हैं जो चुनाव जीतकर सत्ता में आई. साथ ही बताया कि नेपाल में यह विरोध तब तक जारी रहेगा जब तक माओवादी पार्टी प्रेस की स्वतंत्रता का उल्लंघन नहीं रोकती.

Maoistenführer Prachanda in Katmandu vor der Wahl
प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस मामले में माओवादियों के शामिल होने से इंकार किया हैतस्वीर: AP

काठमंडू में विरोध प्रदर्शन

क़रीब 300 पत्रकारों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने राजधानी काठमंडू में इस हमले के विरोध में मार्च किया जिस दौरान पुलिस के साथ भी मुठभेड़ में छह लोग घायल हो गये. प्रधानमंत्री प्रचंड ने इस बात से इंकार किया कि माओवादी किसी प्रकार से हमले में शामिल थे और इसे पार्टी की बदनामी की साज़िश बताया लेकिन साथ ही कहा कि अपराधियों के साथ सख्त कार्रवाई करने का आश्वासन दिया है.

नेपाल में विपक्षी पार्टियों समेत अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने इस हमले की कड़ी निंदा की है. नेपाल स्थित अमेरिकी दूतावास द्वारा जारी किये गए एक बयान में कहा गया कि "ऐसी हिंसा और डराने-धमकाने की कोशिशों को किसी भी रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता."

माओवादी पार्टी की तरफ से कहा गया है कि इस मामले की जल्द से जल्द जांच की जाएगी.