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नोटबंदी का असर, फ्री में बांट रहे हैं आलू

फैसल फरीद
५ दिसम्बर २०१६

भारत में नोटबंदी का असर हर तरफ दिख रहा है और आलू किसान भी इससे अछूते नहीं हैं. मांग में कमी और किसानों की तंगहाली की वजह से उत्तर प्रदेश में आलू मुफ्त बांटा जा रहा हैं.

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Hills Kartoffeln
तस्वीर: DW

भारत विश्व में आलू उत्पादन में दूसरे नंबर पर है और उत्तर प्रदेश 136 लाख टन आलू उत्पादन के साथ देश में पहले स्थान पर है. आमतौर में प्रदेश में किसान आलू की पहली बुआई 15-25 सितंबर, दूसरी बुआई 15-25 अक्टूबर, और आखिरी बुआई 15 नवंबर से 25 दिसंबर के बीच करते हैं. आलू उत्पादन के बाद उसे कोल्ड स्टोरेज में रख देते हैं जहां से वो उसको व्यापारियों को बेचते हैं और कुछ आलू अगले वर्ष के लिए बीज के रूप में इस्तेमाल करते हैं. आमतौर पर एक क्विंटल आलू का कोल्ड स्टोरेज का किराया 200 रूपये आता है.

अब जब आलू को कोल्ड स्टोरेज से निकलने का समय आया तब देश में नोटबंदी लागू हो गयी. इसका असर ये हुआ की व्यापारियों ने कोल्ड स्टोरेज का रुख नहीं किया. मांग गिर गयी तो किसान को कोल्ड स्टोरेज का किराया देने के पैसे नहीं बचे. अब किसान भी कोल्ड स्टोरेज नहीं जा रहे हैं. कोल्ड स्टोरेज मालिकों को अपना स्टोर खाली करना है और मशीन बंद करनी है. अपने खर्चे पर उन्होंने आलू को बाहर निकल कर रख दिया है. बाराबंकी जनपद में आलू किसान राकेश वर्मा के अनुसार स्टोरेज किराया ही 200 रुपये प्रति क्विंटल है और बिक्री बहुत मुश्किल से 100 रुपये क्विंटल होगी, ऐसे में स्टोर जाने का मतलब है अपने पास से किराया देना. इसीलिए हम लोग स्टोर नहीं जा रहे हैं. हालांकि वो मानते हैं की इस विषम स्थिति में उनकी आर्थिक स्थिति पर असर पड़ा है क्योंकि आगे के कई काम आलू बेचने पर निर्भर थे.

जनपद जौनपुर के सी बी पाण्डेय जिन्होंने प्रदेश सरकार के खाद्य एवं संस्करण विभाग में अधिकारी के पद से इस्तीफा दे दिया है मानते हैं कि हालात खराब हैं. उनके अनुसार, "आलू पेरिशेबिल कमोडिटी है और सरकार को उसके भण्डारण पर सब्सिडी देनी चाहिए. यही नहीं आगे उसके उपभोग पर आधारित उद्योग लगाना चाहिए जिससे मांग बनी रहे." पाण्डेय इस समय किसानों के बीच उन्नत कृषि पर कार्य कर रहे हैं. मुख्यमंत्री ने इस ओर कुछ कदम बढ़ाये थे लेकिन सफलता नहीं मिल पाई. किर्गिस्तान के सहयोग से आलू से वोडका बनाने का प्लांट कन्नौज जनपद में शुरू करना था लेकिन बात नहीं बन पाई.

हालात पूरे प्रदेश में लगभग समान हैं. जनपद औरैय्या, फर्रुखाबाद में कोल्ड स्टोरेज मालिकों ने स्थानीय मीडिया में मोबाइल नंबर जारी कर दिए हैं जिस पर फोन करके कोई भी आलू ले जा सकता है. एक निजी स्टोरेज एस आर कोल्ड स्टोरेज के मालिक मोहन अग्रवाल इसकी पुष्टि करते हैं. अग्रवाल ने बताया, "दाम इतने गिर गए हैं कि 100-50 रुपये प्रति क्विंटल बेचने का कोई मतलब नहीं. इससे अच्छा है किसी की मदद ही हो जाये." हालांकि अग्रवाल इस बात का अपने कर्मचारियों को निर्देश दे चुके हैं कि केवल गरीबों को ही आलू बांटा जाये, किसी व्यापारी को नहीं क्योंकि बाजार में अभी भी आलू 10 रुपये प्रति किलो है. कुछ ऐसा ही हाल औरैय्या जनपद में है. वहां भी कई कोल्ड स्टोरेज ने फ्री आलू देने का एलान कर रखा है. कुछ स्वयंसेवी संगठन भी आगे आये हैं और आलू को गरीबों में पहुचाने में मदद कर रहे हैं. जनपद कानपुर नगर में बिल्हौर के ब्लॉक प्रमुख अनिल कटियार ने भी घोषणा की है कि उनसे भी गरीब लोग आलू ले जा सकते हैं. कटियार के अनुसार शादी ब्याह वाले लोग आकर ज्यादा ले जा रहे हैं. एक क्विंटल 100-150 का पड़ रहा है इससे अच्छा है कि हम मदद ही कर दें. एक बोरी में उसकी शादी निपट जायेगी. समीपवर्ती जनपद शिकोहाबाद, इटावा, फिरोजाबाद जो कि मुख्य आलू उत्पादक जिले हैं वहां भी स्टोर आलू से पटे पड़े हैं. उनकी निकासी की समस्या है.

आलू चूंकि प्रदेश के किसानों की नकदी क्रॉप है इसीलिए प्रदेश सरकार का भी इस पर ध्यान रहता है. खाद्य एवं संस्करण विभाग के अनुसार वर्ष 2016-17 में 180 लाख मीट्रिक टन आलू उत्पादन संभावित है. इस बार प्रदेश में 6.75 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आलू की फसल लगायी गयी है. प्रदेश में कुल 1651 कोल्ड स्टोरेज हैं जिनकी भण्डारण क्षमता लगभग 150 लाख मीट्रिक टन है. प्रदेश में आलू के विकास और उत्पादन बढ़ाने के लिए राज्य द्वारा आलू नीति वर्ष 2014 से लागू की गयी है. एक राजकीय आलू अनुसंधान केंद्र, हापुड़ में स्थित है, जहां आलू की उन्नत किस्में विकसित करके किसानों को बीज के रूप में दी जाती हैं.