1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

परिवार घटाएंगे जहरीली गैसों का उत्सर्जन

१५ अगस्त २०११

जर्मनी के कोलोन शहर में एक फील्ड रिसर्च परियोजना उन 90 परिवारों की रोजमर्रा के कामों पर नजर बनाए रखी है जो जलवायु परिवर्तन को बचाने में मदद करने के लिए अपनी जीवन शैली में बदलाव लाने की कोशिश कर रहे हैं.

https://p.dw.com/p/12GpI
तस्वीर: Fotolia/Fredy Sujono

राज्य के उपभोक्ता संरक्षण संगठन इन स्वयंसेवकों पर निगरानी रख रहे है. कोलोन के कोर्डिंग परिवार ने खाने के टेबल पर प्लास्टिक की बोतल में आने वाले मिनेरल वॉटर की जगह जग में नल का पानी रखना शुरु कर दिया है. बेटे नल का पानी पीते हैं, पिता काई को भी कोई ऐतराज नहीं लेकिन मां को थोड़ी परेशानी है.

गाबी कहती हैं कि उसने नल के पानी में जीवाणु और विषलै तत्वों की बात सुनी है. नॉर्थ राइन वेस्टफालिया के ग्राहक सुझाव केंद्र की सोन्या पानेनबेकर गाबी को पानी के परीक्षण की सलाह देती है. गाबी अब यह जानेंगी कि नल का पानी कितना पीने योग्य है. सोन्या का गाबी के घर यह दूसरा दौरा है. जब वह पहली बार आई थी तो उसने बत्तियां, बिजली से चलने वाले उपकरण और हीटिंग सिस्टम का मुआयना किया था. इसके अलावा उसने कई सवाल जवाब भी कोर्डिंग परिवार से किए थे.

Mann und Frau mit Fahrradkarte
कोर्डिंग परिवार की पहलतस्वीर: DW

हर छोटी कोशिश मददगार

कोर्डिंग के घर को "जलवायु कुटुंब" की उपाधि दी गई है. कोलोन शहर के 90 घरों में से एक कोर्डिंग का भी घर है. ये घर अनुसंधान परियोजना का हिस्सा हैं. इन परिवारों ने स्वेच्छा से 6 महीने अपनी जीवन शैली का आकलन करने के लिए दिए हैं. इसके जरिए यह परिवार देखेगा कि कैसे वातावरण को कम से कम नुकसान पहुंचाया जा सकता है. इस प्रोजेक्ट में शामिल परिवार अलग अलग स्तर के हैं. माली हालत, शिक्षा, आयु, इलाका और परिवार के सदस्यों की संख्या इस प्रोजेक्ट के लिए मायने रखते है.

एक चौथाई परिवार अप्रवासी हैं. कुछ परिवार पर्यावरण के मुद्दे को लेकर रूचि रखने वाले हैं. इस परियोजना का मौलिक विचार फ्रैंकफर्ट के इंस्टीट्यूट फॉर सोशियो-इकोलॉजिकल रिसर्च (आईएसओई) ने ऑस्ट्रिया के ग्राज शहर में कार्ल फ्रांजेन्स यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर तैयार किया है. प्रोजेक्ट का उद्देश्य औसत उपभोक्ताओं की बुरी आदतों को विश्लेषण करना है. साथ ही उन्हें बदलने के उपाय ढूंढने हैं.

प्रोजेक्ट के आयोजकों का कहना है कि जर्मनी लंबी अवधि में कार्बन डाइऑक्साइड को कम करने का लक्ष्य आम इंसान को साथ मिलाकर पूरा किया जा सकता है जो कम कार्बन डाइऑक्साइड पैदा करने वाली जीवन शैली में रहे. अगर हर जर्मन नागरिक हर साल एक टन कार्बन डाई ऑक्साइड बचा लें तो करीब 4 करोड़ टन कार्बन डाई ऑक्साइड को वातावरण में घुलने से बचाया जा सकता है.

जर्मनी में हर साल प्रति व्यक्ति करीब 11 टन कार्बन डाई ऑक्साइड पैदा होती है. इनमें से आधे से अधिक घरों से निकलती हैं. लंबी अवधि में ऊर्जा की खपत और कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन को कम करने के लिए जरूरी इनसुलेशन और इलेक्ट्रिक कारों की जरूरत नहीं.

आप भी छोटी छोटी बातों को ध्यान में रख कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर सकते हैं. जैसे खाना बनाते वक्त ढक्कन लगाकर खाना बनाना, जहां तक मुमकिन हो साइकिल चलाना और मांस की कम खपत करना. प्रोजेक्ट के निदेशक फ्रैंक वास्को कहते हैं, "यह तकनीक के बारे में नहीं है. अगर मैं हिटिंग सिस्टम को बदल देता हूं तो कुछ नहीं होगा नए हिटिंग सिस्टम को अगर गलत जगह लगा लेते हैं. तो घर में सही हिटिंग नहीं होगी. ऐसे ही व्यवहार में बदलाव की जरूरत है."

कोर्डिंग परिवार के लिए कहीं आना जाना एक मुद्दा है. क्योंकि परिवार एक फार्महाउस में रहता है. बच्चे स्कूल जाते हैं तो कभी साइकिल और कभी बस का इस्तेमाल करते हैं. गाबी कोर्डिंग गाड़ी से दफ्तर जाती हैं लेकिन वह साइकिल का भी इस्तेमाल करती हैं जब खरीदारी के लिए बाहर जाना पड़ता है. काई कोर्डिंग का दफ्तर शहर में है.

उन्हें दफ्तर तक जाने के लिए कार की जरूरत पड़ती है. नहीं तो उन्हें सुबह जल्दी निकलना पड़ेगा. लेकिन वह इसके लिए तैयार हैं. काई कहते हैं, "मैं शनिवार को काम करता हूं. लेकिन वहां सुबह नहीं जाना पड़ता है. मैं साइकिल लेकर जा सकता हूं. अगर यह ठीक रहा तो मैं हफ्ते में भी जा सकता हूं."

कोर्डिंग परिवार के पास दो कारें हैं. वह तीसरी कार लेने की क्षमता में नहीं है. उनकी पुरानी मर्सिडीज कार शहरी रास्तों पर 10 लीटर तेल पीती है. जब भी मुमकिन होता है कोर्डिंग परिवार कार के बगैर जाने की कोशिश करता है. प्रोजेक्ट ने उन तीन बिंदुओं को खोज निकाला है जहां चौथाई के करीब कार्बन डाई ऑक्साइड को घटाने का उद्देश्य है. ऊर्जा की खपत, पोषण और गतिशीलता ये वह तीन क्षेत्र हैं जहां से उत्सर्जन को कम किया जा सकता है.

रिपोर्टः माटिल्डा योरदानोवा-डूडा/आमिर अंसारी

संपादनः आभा एम

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें