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पर्यावरण में बदलाव भारत, बांग्लादेश के लिए ज्यादा बुरा

२० अक्टूबर २०१०

एक नई रिपोर्ट के मुताबिक पर्यावरण में बदलाव से भारत और बांग्लादेश को सबसे ज्यादा खतरा है. शोधकर्ताओं के मुताबिक इस रिपोर्ट से कंपनियां इन देशों में अपने निवेशों को सुरक्षित करने के लिए सही कदम उठा सकेगी.

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तस्वीर: AP

ब्रिटेन की मेपलक्राफ्ट कंपनी ने कहा कि उसकी रिपोर्ट में आने वाले कल की एशिया की सारी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं. 171 देशों के इस शोध में गरीबी, जनसंख्या, स्थानीय मौसम, खेती पर जनता की निर्भरता और पर्यावरण के अनुसार देशों के ढलने की क्षमता को आंका गया है.

पहले नंबर पर बांग्लादेश

शोध के मुताबिक पहले स्थान पर बांग्लादेश है. तटीय इलाकों में बाढ़ और तूफान और इसके साथ पर्यावरण में बदलाव होने से देश को सबसे ज्यादा खतरा होगा. वहीं दूसरे स्थान पर भारत के लिए एक अरब से ज़्यादा जनसंख्या परेशानी का कारण बन सकती है. तीसरे स्थान पर मैडागास्कर और चौथे पर नेपाल है जबकि म्यांमार और पाकिस्तान 13वें और 16वें स्थान पर हैं.

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तस्वीर: AP


नॉर्वे को सबसे कम खतरा

सूचि में नॉर्वे 171वें स्थान पर है यानी एक ऐसा देश जिसे पर्यावरण में बदलाव से सबसे कम खतरा है. यूरोप के सबसे अमीर देश माने जाने वाले फिनलैंड, आइसलैंड, स्वीडेन और डेनमार्क, सारे कम खतरों वाले देशों में गिने जा रहे हैं. पर्यावरण में बदलाव और पृथ्वी पर बढ़ रही गर्मी से इन्हें बल्कि फायदा हो सकता है. यह देश उत्तरी ध्रुव के पास स्थित हैं और बढ़ती गर्मी से इनकी खेती भी बढ़ेगी. जहां ज्यादातर यूरोपीय देश सूची में सबसे नीचे पाए जा रहे हैं, वहीं अमेरिका 149वें स्थान पर है, चीन 49वें पर और जापान 89वें स्थान पर है.

निवेश सुरक्षित कर सकती हैं कंपनियां

मेपलक्रॉफ्ट में मुख्य विश्लेषक मैथ्यू बंस ने कहा कि पर्यावरण के प्रति संवेदनशीलता की जांच करने से इन देशों में निवेश कर रही कंपनियां खतरों का सामना और अच्छे तरीके से कर सकती हैं. मेपलक्रॉफ्ट की ही फियोना प्लेस का कहना है कि इस शोध से कंपनियां इन देशों में अपनी योजनाओं को और कारगार बना सकती हैं और उन बाजारों पर ध्यान दे सकती हैं जिन्हें पर्यावरण के अनुकूल तकनीक की जरूरत हो. साथ ही संयुक्त राष्ट्र अपने पर्यावरण बैठकों में खास इन देशों पर ध्यान दे सकता है.

रिपोर्टःरॉयटर्स/एमजी

संपादनः एन रंजन

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