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पाकिस्तान को सुधार के लिए तीन महीने की मोहलत

२१ फ़रवरी २०१८

अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के धन पर नजर रखने वाली संस्था ने पाकिस्तान को तीन महीने के लिए राहत दे दी है. अमेरिका और कुछ यूरोपीय देश पाकिस्तान को उन देशों की सूची में डालना चाहते है जो अंतरराष्ट्रीय नियमों का पालन नहीं करते.

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पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने मंगलवार देर रात यह जानकारी दी. पाकिस्तान बीते कुछ महीनों से इस सूची में जाने से बचने के लिए कूटनीतिक स्तर पर कोशिश कर रहा है. यह सूची उन देशों की है जिन पर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पैसों की हेराफेरी और आतंकवादियों के लिए धन रोकने के लिए नियम बनाने और उन्हें लागू करने में नाकाम रहने का आरोप है. यह नियम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स यानी एफएटीएफ तय करती है. अगर पाकिस्तान को इस सूची में डाल दिया जाता है तो उसकी अर्थव्यवस्था पर इसका असर पड़ सकता है.

USA Donald Trump
तस्वीर: Getty Images/W. McNamee

एफएडीएफ के सदस्य पिछले हफ्ते से पेरिस में बैठक कर रहे हैं. पाकिस्तान को इस सूची में डालने का प्रस्ताव अमेरिका ने किया है जिसे जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन समर्थन दे रहे हैं. फिलहाल रूस की यात्रा पर गए पाकिस्तान के विदेश मंत्री आसिफ ने ट्वीट कर बताया, "कोशिशें रंग लाई हैं. पाकिस्तान को नॉमिनेट करने पर सहमति नहीं बनी." ट्वीट के जरिए ही विदेश मंत्री ने यह भी बताया है कि तीन महीने के लिए यह प्रक्रिया रोकी गई है और एशिया प्रशांत ग्रुप से इस बारे में रिपोर्ट मांगी गई है. यह ग्रुप भी एफएटीएफ का हिस्सा है. जून में एशिया प्रशांत ग्रुप की अगली रिपोर्ट आएगी और तब इस बारे में कोई नया फैसला किया जा सकता है. पाकिस्तानी विदेश मंत्री ने इसके लिए मित्र देशों का आभार भी जताया है.

वॉशिंगटन में अमेरिकी विदेश विभाग के एक अधिकारी ने नाम जाहिर नहीं करने की शर्त पर कहा कि वे इस बात की पुष्टि नहीं कर सकते कि फैसला टाला गया है या नहीं क्योंकि यह गोपनीय मामला है और जब तक सार्वजनिक रूप से घोषणा नहीं होती कुछ नहीं कहा जा सकता.

इस अधिकारी ने यह भी कहा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान में मनी लाउंड्रिंग और आतंकवाद के लिए धन रोकने के तंत्र की कमियों को लेकर चिंतित है, हालांकि पाकिस्तान ने इन कमियों को दूर करने कि लिए कई कदम उठाए हैं. पाकिस्तान ने इससे पहले एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें इस दिशा में हुई प्रगति का ब्यौरा दिया गया था. हालांकि अमेरिका इससे पहले ही अपना प्रस्ताव दाखिल कर चुका था. मुमकिन है कि पाकिस्तान की रिपोर्ट पर भी पेरिस में चर्चा हुई हो.

पाकिस्तान के दो और अधिकारियों ने भी तीन महीने की मोहलत मिलने के बात की पुष्टि की है. अमेरिका लगातार पाकिस्तान पर अपने रुख में सख्ती बढ़ा रहा है. बीते महीने राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के प्रशासन ने पाकिस्तान को 2 अरब डॉलर की सहायता रोक दी. पाकिस्तान अफगानिस्तान और भारत में आतंकवादियों का समर्थन करने से इनकार करता है. उसने अमेरिका की चेतावनियों पर भी नाराजगी जताई है. हालांकि पाकिस्तान सरकार एफएटीएफ की कार्रवाई को लेकर चिंतित है क्योंकि यह फैसला वहां बैंकिंग सेक्टर को नुकसान पहुंचा सकता है. इसका असर देश की अर्थव्यवस्था पर होग. देश में जल्दी ही चुनाव भी होने हैं.

एनआर/एके (रॉयटर्स)