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फीस बढ़ोत्तरी के खिलाफ लंदन में हिंसक प्रदर्शन

११ नवम्बर २०१०

इंग्लैंड में यूनिवर्सिटी फीस में भारी बढ़ोत्तरी की योजना का विरोध कर रहे हजारों लोगों के प्रदर्शन ने हिंसक रूप धारण कर लिया जिसमें 14 लोग घायल हुए हैं. प्रदर्शनकारियों ने कंजरवेटिव पार्टी के मुख्यालय पर तोड़फोड की है.

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तस्वीर: AP

इंग्लैंड के विश्वविद्यालयों में सरकार की योजना है कि ट्यूशन फीस को तीन गुना बढ़ा दिया जाए. लेकिन छात्र सरकार की इस योजना से खासे रुष्ट हैं और इसी के विरोध के लिए उन्होंने बुधवार को लंदन में प्रदर्शन का आयोजन किया. प्रदर्शनों में हजारों लोग शामिल हुए लेकिन जल्द ही शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया.

प्रदर्शनकारियों ने कंजरवेटिव पार्टी के मुख्यालय पर धावा बोला और कार्यालय की खिड़कियों के शीशे तोड़ दिए. कुछ प्रदर्शनकारी तो पार्टी मुख्यालय की छत पर भी चढ़ गए. बैनरों और तख्तियों को आग लगा दी गई और उन्हें हथियार बनाकर पुलिस की ओर फेंका गया. पुलिस ने कार्रवाई करते हुए अब तक 32 लोगों को हिरासत में ले लिया है. स्कॉटलैंड यार्ड के मुताबिक हिंसक प्रदर्शनों में 14 लोग घायल हुए हैं जिनमें सात पुलिसकर्मी हैं. हालांकि किसी को गंभीर चोट नहीं आई है.

पुलिस पर आरोप लगे हैं कि नाजुक स्थिति से निपटने के लिए उचित संख्या में पुलिसकर्मियों को तैनात नहीं किया गया जिससे बात बिगड़ गई. लंदन मेट्रोपॉलिटन पुलिस कमिश्नर सर पॉल स्टीफनसन ने कहा है यह स्वीकार्य नहीं है. यह घटना लंदन और हमारे लिए शर्मनाक है. पुलिस को बेहतर तैयारी के साथ आना चाहिए था. पुलिस कमिश्नर ने कहा है कि इस मामले की जांच कराई जाएगी.

वहीं लंदन के मेयर बॉरिस जॉनसन ने कहा है कि जिस तरह कुछ लोगों ने विरोध करने के अधिकार का नाजायज इस्तेमाल किया उससे उन्हें दुख हुआ है. जॉनसन के मुताबिक यह असहनीय है और हिंसा के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी.

इंग्लैंड के कई शहरों से बसों में भरकर सैंकड़ो छात्र और शिक्षक लंदन आए थे ताकि यूनिवर्सिटी फीस में बढ़ोत्तरी की योजना का विरोध कर सकें. नेशनल यूनियन ऑफ स्टूडेंट्स के अध्यक्ष आरून पोर्टर ने हिंसा की निंदा करते हुए कहा है कि हिंसक प्रदर्शन उनके विरोध का हिस्सा नहीं है. पोर्टर के मुताबिक कुछ लोगों ने इस मौके का गलत फायदा उठाया और शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन को हिंसक बनाने की कोशिश की.

इंग्लैंड में उच्च शिक्षा के लिए धन में 40 फीसदी तक की कटौती पर विचार किया जा रहा है. इसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ेगा क्योंकि उन्हें तीन गुना ज्यादा फीस देनी होगी. विज्ञान और गणित को छोड़ कर अन्य विषयों के लिए शिक्षकों को मिलने वाले अनुदान पर भी तलवार लटक रही है. सरकार का कहना है कि 2012 से ट्यूशन फीस में बढ़ोत्तरी की जा सकती है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/एस गौड़

संपादन: उज्ज्वल भट्टाचार्य

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