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बच्चों को मोटा बनाता पिज्जा अमेरिका में सब्जी है

२० नवम्बर २०११

अमेरिका में बच्चों के मोटापे की बढ़ती समस्या से लड़ रहे लोगों को संसद के निचले सदन ने करारा झटका दिया है. पिज्जा और फ्रेंच फ्राइज जैसी चीजों से बच्चों की दूरी बढ़ाने की कोशिशों के खिलाफ संसद ने एक बिल पास कर दिया है.

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तस्वीर: AP

अमेरिका में मोटापे के खिलाफ जंग लड़ रहे लोगों ने एक प्रस्ताव तैयार किया था जिसमें सरकारी खर्च से स्कूली बच्चों को दिए जाने वाले लंच में पिज्जा को सब्जी मानने से इंकार और कितनी बार फ्रेंच फ्राइज परोसना है यह तय कर देने की बात थी. पर अब संसद में पास बिल ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया है. यह प्रस्ताव 2010 में तैयार किए गए बाल पोषण कानून के अंतर्गत ही तैयार किया गया था जिसमें अमेरिका के 3.2 करोड़ स्कूली बच्चों को परोसे जाने वाले भोजन में पोषण को सुधारने की बात थी.

Ein dicker Mann
तस्वीर: picture alliance/dpa

कंपनियां खुश

संसद की इस कार्रवाई ने फ्रोजन फ्रेंच फ्राइज और पिज्जा बनाने वाली कंपनियों को खुश कर दिया है. कुछ ही दिन पहले डिब्बाबंद भोजन, पेय और रेस्तरां उद्योग ने बच्चों के लिए खाने पीने की चीजों की मार्केटिंग में नियम बनाने के सरकार के प्रस्ताव को कमजोर करने में सफलता पा ली. अमेरिकन फ्रोजन फूड इंस्टिट्यूट, एएफएफआई के प्रवक्ता कोरे हेनरी ने इस फैसले पर कहा, "यह एक बड़ी जीत है." इस कारोबारी संगठन ने फ्रोजन पिज्जा बेचने वाली कॉनएग्रा, स्वान फूड कंपनी और फ्रेंच फ्राइ बनाने वाली मैक्केन फूड्स लिमिटेड, और जे आर सिम्प्लॉट की तरफ से कांग्रेस में खेमेबाजी की. हेनरी ने कहा, "हमारी चिंता यह है कि इन मानकों की वजह से कंपनियों को अपने उत्पाद में इस तरह के बदलाव करने पड़ते कि फिर उन्हें बच्चों की प्लेट में कभी जगह नहीं मिलती." दूसरे एएफएफआई के सदस्यों में एचजे हाइंत्स को, जनरल मिल्स इंक और क्राफ्ट फूड इंक भी शामिल हैं.

बच्चों के स्कूल का लंच का मामला उस विशाल बिल का बहुत छोटा हिस्सा है जिसमें संघीय सरकार के सभी हिस्सों के लिए पैसे का प्रावधान किया गया है. संसद का निचला सदन हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने इस बिल को ऊपरी सदन यानी सीनेट की मंजूरी के लिए भेजा है ताकि संसद से अंतिम मंजूरी मिल सके. कोलोराडो के डेमोक्रैट सांसद जेयर्ड पॉलिस स्कूली भोजन के जरिए अस्वास्थ्यकर भोजन के लिए मिलती सरकार की सब्सिडी के खिलाफ आवाज उठा रहे हैं. पोलिस ने कहा, "इन लोगों ने पहले फ्रेंच फ्राइज से शुरू किया और अब यह पिज्जा तक पहुंच गए. केवल पिज्जा को सहज ज्ञान के आधार पर भी सब्जी नहीं कहा जा सकता."

Corn Flakes Rekord
तस्वीर: AP

पिज्जा सब्जी कैसे है

पोलिस ने फ्रेंच फ्राइज का जिक्र बिल के उस प्रावधान के बारे में किया जिसमें सरकार से कहा गया कि वह बच्चों को दिए जाने वाले भोजन में सफेद आलू की मात्रा हर हफ्ते एक कप पर सीमित कर दे. अमेरिकी स्कूलों में बच्चों को भोजन देने पर 18 अरब अमेरिकी डॉलर का खर्च आता है. यह कार्यक्रम अमेरिकी कृषि विभाग, यूएसडीए के जिम्मे है. इन आलुओं के अलावा कृषि विभाग ने यह भी प्रस्ताव दिया कि आलुओं के साथ ही स्टार्च वाली दूसरी सब्जियों जैसे कॉर्न, हरा मटर, और लीमा बीन्स की मात्रा को भी सीमित किया जाए और खाने में दूसरे फलों और सब्जियों को शामिल किया जाए.

बिल के एक और प्रावधान ने यूएसडीए पर पिज्जा में इस्तेमाल होने वाले टमाटर के पेस्ट की मात्रा के बारे में भी नियम में शामिल करने से इनकार कर दिया. अगर यूएसडीए की चलती तो पिज्जा में कम से कम आधा कप टमाटर पेस्ट लगाने के बाद ही उसे सब्जी में गिना जाता लेकिन अब मौजूदा दो चम्मच के नियम से ही काम चल जाएगा.

मोटापे की फिक्र किसे

यूएसडीए की 2007 में तैयार की गई एक रिपोर्ट के मुताबिक पिज्जा और फ्रेंच फ्राइज नेशनल स्कूल लंच प्रोग्राम में सबसे ज्यादा इस्तेमाल होने वाले व्यंजन हैं. कैलिफॉर्निया के डेमोक्रैट नेता सैम फार कहते हैं कि यूएसडीए के नियमों में दखलंदाजी गलता है और यह नहीं होना चाहिए. उधर कृषि मंत्री टॉम विल्सैक कहते ने कहा कि अमेरिका के स्कूली बच्चों को भोजन में ज्यादा फल और सब्जियां, ज्यादा अनाज, कम वसा वाला दूध और कम नमक, वसा मिलेगा भले ही बिल में कुछ भी कहा गया हो. कहा जा रहा है कि यूएसडीए भोजन की गुणवत्ता सुधारने के लिए हर संभव कोशिश करेगा. विल्साक ने कहा, "सबसे पहले हम स्कूली बच्चों के मां बाप को यह भरोसा देना चाहते हैं कि जो कुछ भी मुमकिन है यूएसडीए करेगा."

अमेरिका में हर तीसरा स्कूली बच्चा मोटापे का शिकार है और यह संख्या लगातार बढ़ रही है. साफ है कि स्कूलों में पिज्जा और फ्रेंच फ्राइज बच्चों के लिए ठीक नहीं है बल्कि उन कंपनियों के लिए अच्छा है जो इन्हें बनाती हैं. कंपनियां खेमेबाजी कर अपने हक में नियमों को बदलवा रही हैं और बच्चों का मोटापा बढ़ रहा है.

रिपोर्टः रॉयटर्स/एन रंजन

संपादनः वी कुमार

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