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बोनस के लिए डिलीवरी लटका रही हैं महिलाएं

२९ दिसम्बर २०१०

ताइवान में कई गर्भवती महिलाएं डिलीवरी की तारीख को आगे बढ़ाने की फिराक में हैं जिससे कि सरकार से नगद बोनस की वो भी हकदार बन सकें. ताइवान के एक अखबार ने ये खबर दी है.

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तस्वीर: picture-alliance / OKAPIA KG, Germany

ताइवान के दो शहरों ताइपेई और न्यू ताइपेई सिटी ने अपनी तरफ से 2011 में पैदा होने वाले सभी बच्चों के मां-बाप को नगद बोनस देने के एलान किया है. ऐसा रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना की 100वीं सालगिरह के उपलक्ष्य में किया जा रहा है. बोनस उन सभी बच्चों को मिलेगा जिनके मां या बाप में से कोई एक ताइपेई या न्यू ताइपेई सिटी का नागरिक हो. बोनस के रूप में 20 हजार ताईवानी डॉलर यानी करीब 30 हजार रुपये मिलेंगे.

Findelkind Station in Hamburg Babyklappe
तस्वीर: AP

न्यू ताइपेई सिटी में हाल ही में नगरपालिका का गठन हुआ है यहां करीब 38 लाख की आबादी रहती है. बोनस कार्यक्रम शनिवार यानी नए साल के पहले दिन से ही शुरू हो जाएगा. ऐसे में जिन महिलाओं की डिलीवरी इस हफ्ते होनी है वो उसे शनिवार तक आगे बढ़वा रही हैं.

प्रसूति डॉक्टर सू शिह पिन ने बताया कि अब तक पांच महिलाओं ने उनसे प्रसव ऑपरेशन में देरी करने का अनुरोध किया है. सू शिह पिन ने ताइवानी अखबार से कहा,"मैं उनकी इच्छा पूरी करने की इजाजत दे सकता हूं. मैंने उनसे कहा है कि वो चुपचाप बिस्तर पर लेटी रहें जिससे कि बच्चा जन्म लेने के लिए ज्यादा उतावलापन न दिखाए."

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वैसे सारे डॉक्टर सू शिह जैसे नहीं. ताइपेई सिटी अस्पताल की प्रसूति विभाग की प्रमुख शियांग ली मेंग ने बच्चों की डिलीवरी रोकने से इंकार कर दिया. खासतौर से उन बच्चों का जो बिना ऑपरेशन किए पैदा होने वाले हैं. शियांग ली मेंग का कहना है,"जब कोई महिला पहली बार मां बनती है तो लेबर पेन(बच्चे के जन्म से पहले होने वाला दर्द) शुरू होने के 8-12 घंटे के भीतर बच्चे का जन्म हो जाता है. अगर वो दूसरी बार मां बनी हो तो 6-8 घंटे के भीतर ही बच्चा जन्म ले लेता है, जन्म में देरी करना असामान्य है और दवा के जरिए बच्चे का जन्म रोकना खतरनाक है."

रिपब्लिक ऑफ चाइना का 1911 में जन्म हुआ तब डॉ सुन याट सेन के नेतृत्व में जनता ने मंचाउ वंश की सत्ता उखाड़ फेंकी. 1949 में रिपब्लिक ऑफ चाइना की सरकार चीन के गृहयुद्ध में हार गई और भाग कर ताइवान में निर्वासित सरकार का गठन किया.

चीन की कम्युनिस्ट सरकार ने देश का नाम बदल कर पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना कर दिया. ताइवान खुद को संप्रभु देश मानता है जिसे 23 देशों ने मान्यता दे रखी है. हालांकि चीन अब भी ताइवान को अपना खंडित राज्य मानता है जिसका एकीकरण होना बाकी है.

रिपोर्टः एजेंसियां/एन रंजन

संपादनः एस गौड़

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