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भारत और चीन के छात्र बढ़ा रहे हैं ओबामा की चिंता

२६ जुलाई २००९

भारत और चीन के छात्रों से मुकाबला करने के लिए अमेरिका अपनी शिक्षा प्रणाली में चार अरब डॉलर खर्च करेगा. अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के मुताबिक अगर शिक्षा का स्तर नहीं सुधरा तो अमेरिका 21वीं सदी में सफल नहीं होगा.

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शिक्षा पर ओबामा का ज़ोरतस्वीर: AP

वॉशिंगटन में शिक्षा विभाग के सम्मेलन में अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा कि भारत और चीन के छात्रों के सामने प्रतिस्पर्द्धा में बने रहने के लिए अमेरिका के शिक्षा तंत्र में बदलाव करने ही होंगे. चार महीनों के भीतर दूसरी बार ओबामा ने इस बात पर ज़ोर दिया है.

शनिवार को शिक्षा के स्तर को सुधारने के लिए चार अरब यूरो ख़र्च करने का एलान करते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, ''बढ़िया नौकरी अच्छे ढंग से पढ़े लिखे व्यक्ति को ही मिलेगी. चाहे वो अमेरिका का हो, भारत का हो या चीन का हो.'' ओबामा का मानना है कि शिक्षा के क्षेत्र में बड़े बदलावों के ज़रिए ही अमेरिकी छात्र प्रतिस्पर्द्धा में शीर्ष पर आ सकेंगे.

कार्यक्रम के दौरान अमेरिकी राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि, ''जब तक हमारे बच्चों को बेहतरीन शिक्षा नहीं मिलती, तब तक अमेरिका 21वीं सदी में सफल नहीं हो सकता.'' ओबामा ने कहा कि राज्य और ज़िला स्तर भी प्रतिस्पर्द्धा का माहौल बनाना ही होगा.

इससे पहले मार्च में भी अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा था कि भारत और चीन के छात्रों से मुक़ाबला करने के लिए अमेरिकी छात्रों को अपना स्तर ऊपर उठाना होगा. तब कैलीफोर्निया में एक बैठक को संबोधित करते वक्त ओबामा ने कहा, '' भारत और चीन के बच्चों के साथ प्रतिस्पर्धा करते वक्त अगर हमारे बच्चे पीछे रहेंगे, तो कैसे चलेगा. भारत और चीन के बच्चे एक महीने में हमारे बच्चों से ज़्यादा दिन स्कूल जाते हैं.''

दरअसल अमेरिका में हाई स्कूल के बाद पढ़ाई छोड़ देने वाले छात्रों की तादाद अन्य कई देशों के मुकाबले बहुत ज़्यादा है. बाज़ार और रोजगार पर नज़र रखने वालों के मुताबिक अन्य पश्चिमी देशों के मुकाबले अमेरिकी छात्र पढ़ने और गणित के सवाल हल करने में ज़्यादा कमज़ोर हैं.

रिपोर्ट: रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: महेश झा