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भारतीय किशोरों की जान लेता ब्लू व्हेल

प्रभाकर मणि तिवारी
१४ अगस्त २०१७

ऑनलाइन खेल ब्लू व्हेल भारतीय किशोरों के लिए जानलेवा साबित हो रहा है. अब पश्चिम बंगाल के एक किशोर ने भी इसकी वजह से गले में फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली है. इसके बाद देश में इस खेल पर पाबंदी लगाने की मांग तेज हो रही है.

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Blue Whale Challenge
तस्वीर: picture-alliance/PHOTOPQR/NICE MATIN/MAXPPP

दुनिया भर में खासकर किशोरों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे इस खेल की वजह से यहां पहले भी कई हादसे हो चुके हैं. इससे पहले बीते सप्ताह दौर में 13 साल के एक छात्र ने स्कूल की इमारत से छलांग लगाने का प्रयास किया था. लेकिन शिक्षकों और दूसरे छात्रों ने उसे बचा लिया. उसके बाद बीते शुक्रवार को देहरादून में पांचवीं कक्षा के एक छात्र ने भी आत्महत्या का नाकाम प्रयास किया था. बीते महीने मुंबई में नौवीं कक्षा के एक छात्र ने इसी खेल की चुनौतियों में फंस कर आत्महत्या कर ली थी.

ताजा मामला

पश्चिम बंगाल के पश्चिम मेदिनीपुर जिले में बीते शनिवार को 15 साल के एक किशोर अंकन दे ने बाथरूम में अपने गले में फांसी का फंदा डाल कर आत्महत्या कर ली. इस मामले को सीधे तौर पर ब्लू व्हेल से जोड़ कर देखा जा रहा है. 10वीं कक्षा में पढ़ने वाले अंकन के घरवालों और उसके मित्रों इस बात की पुष्टि की है कि उसे ऑनलाइन खेल की लत पड़ गई थी. शनिवार को वह जब एक घंटे बाद भी बाथरूम से बाहर नहीं निकला तो घरवालों को संदेह हुआ. उन्होंने पहले उसे आवाज दी. लेकिन कोई जवाब नहीं मिलने पर दरवाजा तोड़ने पर उसका शव जमीन पर पड़ा मिला.

शव पर किसी बाहरी चोट के निशान नहीं थे. अंकन के सहपाठी शिवम राणा बताते हैं, "अंकन ने कहा था कि वह हमें भी यह खेल सिखा देगा. उस खेल में कई चीजें करने को कहा जाता था. लेकिन हमने कभी वह खेल नहीं खेला." पुलिस ने फिलहाल अंकन का मोबाइल और उसके पिता का कंप्यूटर जब्त कर फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है. पुलिस का कहना है कि शुरूआती जांच से पता चला है कि अंकन की मौत का ब्लू व्हेल चैलेंज से संबंध है.

क्या है ब्लू व्हेल

ब्लू व्हेल समूह में खेला जाने वाला ऑनलाइन खेल है जो रूसी सोशल नेटवर्किंग साइट वी कोंटाक्टे के जरिये खेला जाता है. यह साइट काफी हद तक फेसबुक की तरह है. यहां प्रोफाइल खोलने के बाद इस खेल के लिए क्यूरेटर की तलाश की जाती है. वह गुमनाम क्यूरेटर लोगों को खेलने का न्योता देता है. शुरुआत में खेलने वालों को छोटे-छोटे लक्ष्य दिये जाते हैं. उनको पूरा करने और उसका सबूत मुहैया कराने के बाद उनको मुख्य समूह में शामिल कर 50 दिनों की ब्लू व्हेल चुनौती शुरू होती है.

इस खेल में शामिल प्रतियोगियों को कई चुनौतियां पूरी करनी होती हैं. इनमें अकेले हॉरर मूवी देखने से लेकर देर रात को नींद से जागने और आखिर में आत्महत्या करने जैसी चुनौतियां शामिल होती हैं. रूस में नवंबर, 2015 के बाद से अब तक इस खेल के चलते 130 किशोर आत्महत्याएं कर चुके हैं. इस खेल को बनाने वाला फिलिप बुडेकिन फिलहाल जेल में हैं. उसने एक इंटरव्यू में कहा था कि समाज को साफ-सुथरा करने के लिए यह खेल बनाया गया है. इसमें हिस्सा लेने वाले लोग जैविक कचरा हैं.

मनोवैज्ञानिकों की सलाह

मनोवैज्ञानिकों का कहना है कि ऑनलाइन खेलों में किशोरों की दिलचस्पी कोई नई नहीं है. लेकिन आत्महत्या की ओर धकेलने वाले ऐसे खेल पहले नहीं बने थे. उनका कहना है कि किशोर मन कोरी कल्पनाओं में फंस कर इस कदर बहक जाता है कि उसे अपने अच्छे-बुरे का ख्याल नहीं रहता. एक दौर ऐसा भी आता है जब क्यूरेटर के कहने पर वह अपनी जान देने की चुनौती स्वीकार कर लेता है. बाल मनोवैज्ञानिक डा. राधारमण साहा कहते हैं, "किशोर मन को फंतासी से लुभाना कोई मुश्किल नहीं है. ऐसे में मां-बाप को यह ध्यान रखना चाहिए कि उनका बच्चा कौन सा खेल खेल रहा है. कहीं वह उस खेल का आदी तो नहीं हो गया है?"

विशेषज्ञों का कहना है कि एकल परिवारों की तादाद बढ़ने की वजह से खासकर किशोर कंप्यूटर और मोबाइल के जरिये अपना एकाकीपन दूर करने का प्रयास करते हैं. सोशल नेटवर्किंग साइटों से गुजरते हुए इसी वजह से वह आसानी से ऐसे खेलों के चक्कर में फंस जाते हैं. पहले तो इसमें उनको मजा आता है. लेकिन बाद में वह इस कदर फंस जाते हैं कि वापस लौटने की राह नहीं सूझती. उसके बाद उनके समक्ष आत्महत्या के सिवा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचता.

अब देश में इस खेल की वजह से बढ़ती आत्महत्याओं के बाद इस पर पाबंदी लगाने की मांग उठने लगी है. केरल के मुख्यमंत्री पिनयारी विजयन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिख कर इस पर पाबंदी लगाने की मांग की है. विजयन ने लिखा है, ब्लू व्हेल खेल पूरे समाज के लिए एक चुनौती है. तमाम जिमेदार एजेंसियों को इसके खिलाफ तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए ताकि देश के नौनिहालों को असमय मौत के चंगुल में फंसने से बचाया जा सके.