1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

युद्ध की चपेट में 10 लाख से भी अधिक सीरियाई

आरआर/एमजे (एएफपी)९ फ़रवरी २०१६

युद्ध की चपेट में आए दस लाख से भी ज्यादा सीरियाई लोग अपने दी देश में घेराबंदी में हैं. एक गैर सरकारी संगठन की नई रिपोर्ट सीरियाई संकट को यूएन के अनुमान से कहीं ज्यादा बुरा बता रही है.

https://p.dw.com/p/1HsDn
तस्वीर: Reuters/O. Orsal

पांच साल से युद्ध की चपेट में आए सीरिया के 46 समुदायों का अध्ययन करने वाला सीज वॉच प्रोजेक्ट दिखाता है कि 10 लाख से भी ज्यादा लोग यहां घेराबंदी में फंसे हैं. एक डच समूह और अमेरिकी संगठन के संयुक्त प्रोजेक्ट सीज वॉच ने पाया कि इनमें से ज्यादातर सीरियाई इलाकों को राष्ट्रपति बशर अल असद की वफादार सेना ने घेर रखा है. रिपोर्ट में लिखा है, "सीज वॉच का नया डाटा दिखाता है कि 10 लाख से भी ज्यादा सीरियाई दमिश्क, दमिश्क देहात, होम्स, दियर एजोर और इदलीब प्रशासनिक इलाकों में घिरे हुए हैं."

इस इलाके के लोगों पर "जान जाने का गंभीर खतरा" मंडरा रहा है क्योंकि उन्हें खाने पीने से लेकर बिजली, पानी सब तरह की कमी झेलनी पड़ रही है. रिपोर्ट आगे बताती है, "इस क्षेत्र में संकट यूएन के कोऑर्डिनेशन ऑफ ह्यूमैनिटेरियन अफेयर्स (OCHA) के अनुमान से कहीं ज्यादा बुरा है." वॉशिंगटन स्थित संगठन, दि सीरियन इंस्टीट्यूट और नीदरलैंड्स के एक शांति समूह पैक्स ने मिलकर इस रिपोर्ट को जारी किया है.

Infografik Syrienkrieg Februar 2016 Englisch

संयुक्त राष्ट्र ने जनवरी में जारी अपनी एक रिपोर्ट में घेराबंदी में फंसे सीरियाई लोगों की संख्या को 486,700 यानि एनजीओ के अनुमान से करीब आधा बताया था. अमेरिकी और डच समूहों का यह संयुक्त प्रोजेक्ट सीज वॉच दिखाता है कि यूएन की मासिक रिपोर्टों में "सीरिया के घेराबंदी संकट को लगातार कम करके" बताया जाता रहा है. रिपोर्ट का मानना है कि यूएन रिपोर्टें "जमीनी हकीकत को सही तरीके से नहीं दिखा पा रही" है. सीज वॉच ने बताया कि कुछ 46 समुदायों में से केवल दो को ही सीरिया की विपक्षी सेना ने घेर रखा है, बाकी असद समर्थित सेना की घेराबंदी में हैं.

दियर एजोर शहर में करीब दो लाख लोग फंसे हैं, जिनके चारों ओर इस्लामिक स्टेट के जिहादियों और प्रशासन की सेना का जमावड़ा है. यूएन रिपोर्टों की आलोचना में सीज वॉच ने कहा है कि इससे समस्या का सही अंदाजा नहीं लगता और नतीजतन अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया भी धीमी होती है. मदाया जैसे कुछ शहरों में व्याप्त भूखमरी और बदहाली की तस्वीरें बाहर आने पर दुनिया को सीरियाई लोगों के हाल का सही अंदाजा लग सका था.