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रेसिंग ट्रैक पर फिर टूटा एक जीवन

२४ अक्टूबर २०११

रेस के दौरान हादसे में इटली के मोटरसाइकल रेसर मार्को सिमोनसेली की मौत. 2008 में मलेशिया के जिस सर्किट पर सिमोनसेली वर्ल्ड चैंपियन बने, रविवार को उसी ट्रैक पर उन्होंने दम तोड़ दिया. एक हफ्ते में दो बड़े हादसे हुए.

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मार्को सिमोनसेलीतस्वीर: AP

24 साल के मार्को सिमोनसेली मलेशियन मोटो जीपी के दूसरे ही लैप में हादसे का शिकार हो गए. तीखे मोड़ पर बाइक सिमोनसेली के नियंत्रण से बाहर हो गई. बिल्कुल पीछे चल रहे अमेरिकी बाइकर कॉलिन एडवर्ड्स और इटली के वैलेटिनो रोसी की तेज रफ्तार मोटरसाइकलें पलक झपकने से पहले ही सिमोनसेली से भिड़ गईं.

एडवर्ड्स की मोटरसाइकल ट्रैक पर फिसल रहे सिमोनसेली के सिर और धड़ से टकराई. टक्कर इतनी तेज थी कि सिमोनसेली का हेलमेट दूर छटक गया. सिर पर एडवर्ड्स की मोटरसाइकल चढ़ी तो पैर पर रोसी की बाइक से टक्कर लगी. 'सुपर सिक' के नाम से मशहूर सिमोनसेली ट्रैक पर निढाल पड़ गए. एडवर्ड्स भी गिरे और उन्हें काफी चोटें आईं. वैलेनटिनो रोसी भाग्यशाली रहे, उन्होंने मोटसाइकल पर नियंत्रण बनाए रखा.

Marco Simoncelli
तस्वीर: AP

सदमे में खिलाड़ी

हादसे ने रेसिंग जगत को हिला कर रख दिया है. मोटरसाइकल रेसिंग के सबसे बड़े खिलाड़ियों में शुमार वेलेटिनो रोसी सदमे में हैं. नौ बार वर्ल्ड चैंपियन बन चुके रोसी ने हादसे के बाद ट्विटर पर लिखा, "सिक मेरे छोटे भाई की तरह था. ट्रैक पर बहुत कड़ा और आम जिंदगी में बहुत मीठा. मुझे अब भी भरोसा नहीं हो रहा है."

रोसी पहले रेसर थे जिन्होंने 2009 में सिमोनसेली को भविष्य का सितारा कहा था. 15 साल की उम्र में यूरोपियन 125 सीसी टाइटल जीतने वाले सिमोनसेली 2010 में प्रीमियर रेस कही जाने वाली मोटो जीपी में आए.

ताजा हादसे से रेसिंग जगत एक बार फिर सदमे में है. सिमोनसेली की मौत से ठीक एक हफ्ते पहले अमेरिकी शहर लॉस वेगास में ब्रिटिश ड्राइवर डैन वेलडन की मौत हुई. इंडीकार रेस के दौरान 15 कारें भिड़ गईं. वेलडन बाकी ड्राइवरों की तरह भाग्यशाली नहीं रहे. रेसिंग के खेल में बीते दो रविवार घातक हादसों के नाम रहे हैं. नजरें अब अगले रविवार और भारत पर हैं. 28 अक्टूबर को भारत में पहली बार फॉर्मूला वन रेस हो रही है.

सुरक्षा की चिंता

तेज रफ्तार के खेलों में जोखिम हमेशा से रहा है. सुरक्षा को लेकर तकनीक और मानक बेहतर हुए हैं. लेकिन आए दिन नए रिकॉर्ड भी बन रहे हैं. रेस जीतने, धुरंधरों को हराने या कुछ कर गुजरने की चाहत में खिलाड़ी अक्सर बहुत ज्यादा जोखिम उठाते हैं. 2006 से अब तक मोटरसाइकल रेसों में पांच रेसरों की मौत हो चुकी है. 20 से ज्यादा रेसर बुरी तरह घायल हुए हैं.

Dan Wheldon Tod bei IndyCar Rennen in Las Vegas USA
इंडी कार रैली का हादसातस्वीर: AP

ग्रां प्री मोटरसाइकल रेसिंग यानी मोटो जीपी 800 सीसी की ताकतवर बाइकें ट्रैक पर दौड़ती हैं. टीमें अक्सर इंजन और वजन में बदलाव कर बाइक की ताकत और बढ़ा देती हैं. मोटो जीपी में बाइकें आम तौर पर 330 किमी प्रतिघंटा की रफ्तार पर दौड़ती हैं.

ट्रैक पर रेसरों की बढ़ती संख्या और तीखी होड़ के बीच अब बदलावों की बात हो रही है. मोटो जीपी के मुताबिक 2012 से सभी टीमों के लिए एक समान तकनीकी मानक बनाए जाएंगे. कोई भी टीम किसी भी तरह के बदलाव कर इंजन की क्षमता 1000 सीसी से ज्यादा नहीं कर सकेगी. टायर, सिलेंडर, वजन और पिस्टन को लेकर सभी टीमों को एक नियम मानना होगा.

रिपोर्ट: एएफपी, रॉयटर्स/ओ सिंह

संपादन: ए कुमार