1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

रो रहा है हैदराबाद और उसका अब्दुल

२२ फ़रवरी २०१३

2007 में जब मक्का मस्जिद में धमाके हुए तो अब्दुल बुरी तरह घायल हुआ. एक पैर काटना पड़ा. छह साल बाद गुरुवार रात हैदराबाद में फिर धमाके हुए, इस बार भी अब्दुल चपेट में आया. एक बार फिर वह जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं.

https://p.dw.com/p/17jmq
तस्वीर: Reuters

25 साल के अब्दुल वासिफ मिर्जा फेरी लगा कर कपड़े बेचता है. छह साल पहले हुए धमाके के बाद बड़ी मुश्किल से उनकी जान बची. अब्दुल के पिता शाहिद मिर्जा के मुताबिक, "हमने तो उम्मीद ही छोड़ दी थी लेकिन ऊपर वाले की दया रही और डॉक्टरों ने बहुत बढ़िया इलाज किया, उसकी जान बच गई. अब जबकि तीन-चार साल के कष्ट के बाद वह दोबारा सामान्य हो रहा था, यह घटना हो गई."

डॉक्टरों के मुताबिक इस बार अब्दुल की रीढ़ की हड्डी में चोटें आई हैं. यह चोटें कैसा असर करेंगी, यह वक्त के साथ ही पता चलेगा. अब्दुल उन लोगों में से है जो गुरुवार रात दिलसुखबाजार में मौजूद थे. बाजार में हुए दो धमाकों की चपेट में सैकड़ों लोग आए. 15 की मौत हो गई. मृतकों में ज्यादातर लोग दिहाड़ी मजदूरी करने वाले हैं. रात के वक्त वह बाजार से सब्जी-फल खरीदकर घर जाया करते थे. मृतकों में तीन कॉलेज के छात्र और एक तीस साल की महिला भी है. 119 लोग घायल हैं.

हैदराबाद में शिंदे

शुक्रवार सुबह केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे हैदराबाद पहुंचे. पुलिस के आला अधिकारियों के साथ दिलसुख नगर पहुंचे शिंदे ने कहा, "जल्द नतीजे पाने के लिए हम हर चीज की जांच करेंगे." अब तक किसी संगठन ने हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली है.

Indien Hyderabad Anschlag Explosion Bomben Fahrrad Markt
तस्वीर: Reuters

शुरुआती जांच में पता चला है कि हमलावरों ने धमाकों के लिए इम्प्रोवाइज्ड एक्सपोसिव डिवाइस (आईईडी) का इस्तेमाल किया. कुछ मीडिया रिपोर्टों में इंडियन मुजाहिद्दीन की तरफ इशारा किया जा रहा है, लेकिन फिलहाल आधिकारिक तौर पर किसी पर शंका नहीं जताई गई है. गृह मंत्री ने भी किसी संगठन का नाम लेने से इनकार किया. उन्होंने कहा, अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी "जांच शुरू ही हुई है, हम सब कुछ पता कर लेगें"

हैदराबाद पुलिस के मुताबिक, "धमाके आईईडी बांधी गई दो साइकिलों पर हुए, दोनों जगहें 100 मीटर की दूरी पर थी. दोनों जगहों से अमोनियम नाइट्रेट के निशान मिले हैं." एनएसजी और एनआईए के फॉरेंसिक विशेषज्ञ घटनास्थलों से जुटाए गए हर सामान की जांच कर रहे हैं. मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक धमाके से कुछ दिन पहले ही घटनास्थल पर लगे क्लोज सर्किट कैमरों के तार काट दिए गए थे.

दिल्ली पुलिस से मदद

दिल्ली पुलिस ने बीते साल अक्टूबर में इंडियन मुजाहिद्दीन के दो उग्रवादियों को गिरफ्तार किया था. हैदराबाद में हुए धमाकों के बाद शुक्रवार को दिल्ली पुलिस के कमिश्नर एसएन श्रीवास्तव ने कहा, "हमने दो उग्रवादियों से पूछताछ की थी, उन्होंने बताया कि वे दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद और पुणे में हमले की करने के लिए जानकारी जुटा रहे थे. उन्होंने जिन जगहों के बारे में बताया था उनमें दिलसुख नगर भी था, जहां बीती रात धमाके हुए."

UN-Biodiversitätskonferenz in Indien Protest
बार बार निशाना बनता हैदराबादतस्वीर: Getty Images

आंध्र प्रदेश पुलिस के डीजीपी वी दिनेश रेड्डी के मुताबिक ऐसे धमाके "निश्चित तौर आतंकवादी नेटवर्क के लिए पर आसान बात" हैं.

केंद्रीय गृह सचिव आरके सिंह के मुताबिक गुरुवार रात हुए दोनों धमाके बहुत ताकतवर थे. एक चश्मदीद ने बताया कि बस स्टॉप पर हुए धमाके की वजह से दो दुकानों और एक तिमंजिला इमारत को भी नुकसान पहुंचा.

चेतावनी या दोषारोपण

यह भी कहा जा रहा है कि आंध्र प्रदेश पुलिस को हैदराबाद में आतंकवादी हमले की जानकारी दी गई थी. हालांकि यह जानकारी सटीक नहीं थी. हर बार की तरह बस यही कहा गया था कि सावधान रहें, हैदराबाद में आतंकवादी हमले हो सकते हैं. खुद शिंदे ने भी यह बात मानी है कि राज्य पुलिस को कोई सटीक चेतावनी नहीं दी गई थी.

बीते एक दशक में हैदराबाद बार बार आतंकी हमलों का निशाना बना है. 2002 में दिलसुख नगर के ही साईंबाबा मंदिर के बाद धमाका हुआ. मई 2007 में मशहूर मक्का मस्जिद में भी धमाके हुए, जिनमें कम से कम नौ लोग मारे गए. उसी साल अगस्त में लुंबिनी पार्क और एक रेस्तरां में धमाके हुए. इनमें 42 लोग मारे गए.

ओएसजे/एएम (डीपीए, एएफपी पीटीआई)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

और रिपोर्टें देखें