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रोहिंग्या शरणार्थियों के मामले में बांग्लादेश पर दबाव

१३ जून २०१२

म्यांमार में सांप्रदायिक हिंसा से भाग रहे रोहिंग्या शरणार्थी बांग्लादेश का रुख कर रहे हैं लेकिन बांग्लादेश की समुद्री पुलिस ने नावों से आ रहे 600 से ज्यादा लोगों को वापस भेज दिया है. इनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं.

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तस्वीर: dapd

बांग्लादेशी अधिकारी मेजर शफीक उर रहमान ने कहा, "हमारी सुरक्षा नाव ने उनके नाव को 2 बजे रात पकड़ा. अंदर एक डेढ़ महीने की छोटी रोहिंग्या बच्ची मिली." रहमान के मुताबिक अब तक पता नहीं चल पाया है कि बाकी रोहिंग्या कहां गए लेकिन हो सकता है कि उनकी नाव पर हमला हुआ हो. बांग्लादेश के सुरक्षाकर्मियों ने सोमवार से लेकर अब तक 16 नावों को रोका है जिसमें करीब 660 लोग सवार थे. पिछले दिनों में ज्यादातर नाव शाहुपुरी द्वीप के पास पाई गई हैं जो बंगाल की खाड़ी में है.

पिछले दिनों में म्यांमार के अल्पसंख्यक रोहिंग्या समुदाय पर कई हमले हुए हैं जिनमें पिछले पांच दिनों में 25 लोग मारे गए हैं और 41 से ज्यादा लोग घायल हैं. लेकिन रोहिंग्या नेताओं का कहना है कि मारे गए लोगों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं ज्यादा है. अब तक नहीं पता चल पाया है कि मारे गए लोग मुस्लिम या बौद्ध धर्म के थे. पश्चिमी म्यांमार में रहने वाले रोहिंग्या भाग कर बांग्लादेश का रुख कर रहे हैं लेकिन ढाका में सरकार का कहना है कि वे और लोगों को शरण नहीं दे सकते क्योंकि उनके देश के दक्षिण पूर्वी हिस्से में पहले से ही तीन लाख से ज्यादा रोहिंग्या लोग रह रहे हैं. 1990 में करीब ढाई लाख रोहिंग्या ने म्यांमार के सेना शासन से बचने के लिए बांग्लादेश में शरण ली थी. म्यांमार का मानना है कि रोहिंग्या बांग्लादेश से आए गैर कानूनी प्रवासी हैं और उन्हें अब तक म्यांमार की नागरिकता नहीं दी गई है. बांग्लादेश के मुताबिक रोहिंग्या सदियों से म्यांमार में रह रहे हैं.

Rohingya Flüchtlinge
तस्वीर: AP

वहीं अंतरराष्ट्रीय संगठन बांग्लादेश से शरणार्थियों को राहत दिलाने की बात कर रहे हैं. ह्यूमन राइट्स वॉच के बिल फ्रेलिक का कहना है कि बांग्लादेश अपने रवैये से कई रोहिंग्या की जानों को जोखिम में डाल रहा है. फ्रेलिक के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत बांग्लादेश को अपनी सीमाएं उन लोगों के लिए खुली रखनी होंगी जिनकी जान को खतरा है. संयुक्त राष्ट्र शरणार्थी संगठन ने भी बांग्लादेश की सरकार से इस मामले को लेकर अपील की है. इस बीच म्यांमार के पश्चिमी रखीन राज्य में इमर्जेंसी लागू कर दी गई है. रखीन में दंगों और आगजनी को रोकना म्यांमार की नई सरकार की पहली परीक्षा है.

एमजी/ आभा एम(एपी, एएफपी)

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