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भारत में लंबी ही सजाए मौत की फेहरिस्त

२२ नवम्बर २०१२

मुंबई में 26/11 वाले आतंकवादी हमले को लेकर अजमल कसाब को भले ही फांसी की सजा हो गई हो लेकिन अभी भी फांसी पाने वालों की लंबी लाइन लगी है. कुछ अपराधी आतंकवाद तो कुछ अस्थिरता फैलाने के दोषी करार दिए जा चुके हैं.

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तस्वीर: picture-alliance/dpa

भारत में अब फांसी की सजा बहुत दुर्लभ हो गई है और पिछले 17 साल में कसाब से पहले सिर्फ दो लोगों को फांसी दी गई थी. ऐसे में उसे पुणे के यरवाडा जेल में गुप चुप तरीके से फंदे पर लटका दिया गया.

जानकारों का मानना है कि सरकारों में इस बात का भय होता है कि फांसी की सजा के बाद देश में अस्थिरता फैल सकती है या दंगे हो सकते हैं. इसी वजह से फांसी की कम से कम सजा दी जाती है.

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की 1991 में हुई हत्या के आरोप में तीन लोगों को बहुत पहले मृत्युदंड मिल चुका है लेकिन उन्हें अभी तक फांसी पर नहीं लटकाया गया है. तमिलनाडु में पिछले साल उनके समर्थन में जबरदस्त प्रदर्शन हुए, जिसके बाद उनकी सजा को रोक दिया गया.

कसाब से पहले 2004 में भारत में किसी को फांसी की सजा दी गई. पश्चिम बंगाल के एक सिक्योरिटी गार्ड धनंजय चटर्जी ने 14 साल की बच्ची का बलात्कार करने के बाद हत्या कर दी थी. उसे मौत की सजा दी गई.

Gefängnis in Pune Hinrichtung des Attentäters Ajmal Kasab
तस्वीर: STR/AFP/Getty Images

सुप्रीम कोर्ट के वकील संजय हेगड़े का कहना है कि कसाब को फांसी देने के मामले में आम लोगों का समर्थन था, इसलिए सरकार को घरेलू मंच पर किसी परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा, "कसाब का मामला ऐसा था, जिसमें राजनीतिक तौर पर कोई दुश्वारी नहीं थी. राष्ट्र भर में इस बात की भावना थी कि उसे फांसी दे देनी चाहिए."

दूसरे मामलों में याचिकाकर्ता राष्ट्रपति के फैसलों का इंतजार कर रहे हैं. भारत में किसी को फांसी देने से पहले आखिरी फैसला राष्ट्रपति ही करता है और इस काम के लिए उसके पास कोई समय सीमा नहीं है.

कसाब के बाद सबसे बड़ा मामला भारतीय संसद पर हमला करने वाले अफजल गुरु का है. कश्मीरी नागरिक गुरु को 2001 में संसद पर हमले के लिए दोषी पाया गया और उसे भी फांसी की सजा सुनाई गई है. उस हमले में 15 लोगों की मौत हो गई थी.

गुरु को क्षमा देने पर भारत में समाज का एक तबका भड़क सकता है, जबकि सजा देने पर कश्मीर का मामला संवेदनशील हो सकता है, जहां के लोगों ने कई बार गुरु के लिए प्रदर्शन किया है.

भारतीय प्रांत पंजाब के मुख्यमंत्री बेअंत सिंह की 1995 में हत्या करने वाले को भी पिछले साल फांसी देनी थी. लेकिन आखिरी मौके पर उसे भी टाल दिया गया. पंजाब के अमृतसर शहर में 1984 के ऑपरेशन ब्लू स्टार के बाद प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उन्हीं के सिख अंगरक्षकों ने कर दी थी.

Ajmal Kasab Anschläge Mumbai Indien 2008 Archivbild
तस्वीर: AP

दिल्ली के राजनीतिक समीक्षक आर जगन्नाथन का कहना है, "दूसरे मामलों में, चाहे वह पंजाब का हो या तमिलनाडु का, दोषियों को स्थानीय समर्थन मिल रहा है. कसाब का भारत में कोई गॉडफादर नहीं था. यह एक राजनीतिक फांसी थी और सरकार ने अपने पत्ते चल दिए. उसे पता था कि इस मामले में उसे विरोध का सामना नहीं करना पड़ेगा."

उनका कहना है कि कसाब को रंगे हाथों पकड़ा गया था और सरकार पर इस बात का दबाव बढ़ता जा रहा था कि विदेशी नागरिक होने के बाद भी उसने जिस तरह भारत में आतंक मचाया, उसे क्यों जिंदा रखा जा रहा है.

कसाब को ऐसे वक्त में फांसी दी गई है, जब दो दिन पहले भारत ने संयुक्त राष्ट्र में उस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जिसमें फांसी की सजा हमेशा के लिए खत्म करने की बात कही गई है.

भारत में पिछले 10 साल में लगभग 275 लोगों को फांसी की सजा सुनाई गई है लेकिन सिर्फ दो को ही तख्ते पर लटकाया गया है.

एजेए/ओएस (एएफपी)

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