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विज्ञापन जो कहता है, मत खरीदना

५ दिसम्बर २०१०

इटली में एक बड़ी सुपरमार्केट चेन ने प्रॉडक्ट प्रमोशन को एक नया ही ट्विस्ट दे दिया है. यह विज्ञापन है बोतल बंद मिनरल वॉटर का है. इस एड की खासियत यह है कि यह लोगों को बोतल बंद पानी न खरीदने को कहता है. लेकिन क्यों?

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गिलास में गिरता टोंटी का पानी. यानी ऐसी बात जो इटली में कम ही सुनने को मिलती है क्योंकि ज्यादातर इतालवी लोग बोतल बंद पानी या कहिए एक्वॉ मिनरल ही पीना पसंद करते हैं. वहां हर आदमी साल भर में 200 लीटर बोतल बंद पानी पीता है और साल भर का हिसाब लगाएं तो 12 अरब लीटर के आसपास बैठता है, जो दुनिया के किसी भी देश के मुकाबले ज्यादा है.

लोग कहते हैं कि बोतल बंद पानी का स्वाद अच्छा होता है और साथ ही यह खूब चलन में भी है. लेकिन इस बात की शायद ही किसी को ही चिंता हो कि प्लास्टिक की बोतलों से कितना प्रदूषण होता है. इससे कार्बन डाइ ऑक्साइड का भी बहुत ज्यादा उत्सर्जन होता है. मारिसा पारमिग्यानी कहती हैं, "हमने पूरा विश्लेषण किया कि मिनरल वॉटर कैसे तैयार होता है और पता चला कि पर्यावरण पर सबसे ज्यादा असर ट्रांसपोर्टेशन का होता है."

पारमिग्यानी जो इटली की सबसे बड़ी सुपरमार्केट चेन को-ओप में सामाजिक नीति की निदेशक हैं. इटली भर में को–ओप के एक हजार से ज्यादा स्टोर हैं और देश के बाजार में 20 फीसदी हिस्सेदारी का वह अकेला मालिक है. लेकिन पर्यावरण की खातिर को-ओप ने वह कदम उठाया है जो शायद ही कोई कंपनी उठाए. उसने एक एड तैयार किया जिसमें कंपनी लोगों से अपने एक अहम उत्पाद मिनरल वॉटर को न खरीदने के लिए कह रही है.

यह विज्ञापन इटली में राष्ट्रीय टीवी पर दिखया जा रहा है. जहां दुनिया भर के विज्ञापन अपने उत्पादों की बिक्री बढ़ाने में जुटे रहते हैं, वहीं को-ओप को इस विज्ञापन से अलगे डेढ़ साल में 10 करोड़ यूरो का घाटा उठाना पड़ सकता है. बेशक इस एड मुहिम को शुरू करने पर पहले तो कंपनी में भी बहुत मतभेद थे. पारमिग्यानी बताती हैं, "शुरू में परेशानियां हुईं क्योंकि यही साफ नहीं था कि हम क्या करना चाहते हैं और ग्राहकों पर इसका क्या असर होगा. लेकिन छह महीने इस मुहिम पर काम करने के बाद अब हम मानते हैं कि यह काम कर रहा है."

इस विज्ञापन के अलावा को-ओप के स्टोर्स में बोतल बंद पानी वाले सेक्शन में नक्शे लगे हैं जो बताते हैं कि मिनरल वॉटर को स्टोर्स तक पहुंचने के लिए कितना लंबा सफर तय करना होता है. उम्मीद है कि इस तरह लोग नजदीकी झरनों से मिला पानी खरीदें. रोम के एक स्टोर में मैनेजर अनेतोनियो वितियेलो का कहना है, "पहले हमारा बोतल बंद टुसकनी के दो झरनों से आता था. लेकिन अब हम बस रोम के बाहर वालों झरनों का पानी खरीद रहे हैं, जिसका मतलब है कि ट्रांसपोर्टेशन से कम प्रदूषण होगा."

वितिएलो का कहना है कि ग्राहक भी इस तरह की जानकारी से खुश हैं. हालांकि यह कहना जल्दबाजी होगा कि उनकी आदतों में कितना बदलाव आया है. लेकिन को-ओप की मुहिम से कुछ लोग नाराज भी हैं. खास कर बोतल बंद पानी बनाने वाली कंपनियां जिनमें लगभग 40 हजार लोग काम करते हैं. उनका कहना है कि वे जो पानी मुहैया कराती हैं, उनकी क्वॉलिटी कहीं ज्यादा अच्छी है. लेकिन मारीसा पारमिग्यानी कहती है कि को-ओप का मकसद बोतल बंद पानी उद्योग को नुकसान पहुंचाना नहीं है, पर्यावरण को बचाना है.

रिपोर्टः एजेंसियां/ए कुमार

संपादनः वी कुमार

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