1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

सचिन तेंदुलकर का सपना

३१ अक्टूबर २०१०

मैकग्रा नहीं, वॉर्न नहीं, वसीम अकरम या वकार युनुस नहीं, यहां तक कि मुरलीधरन भी नहीं. सचिन को परेशानी होती थी हैन्सी क्रोन्ये की गेंद खेलने में. ब्रिटिश अखबार द गार्जियन में उन्होंने इसका खुलासा किया है.

https://p.dw.com/p/PusM
तस्वीर: AP

ऐसी बात नहीं है कि उसकी गेंद समझने में मुझे दिक्कत होती थी - सचिन कहते हैं. लेकिन पता नहीं क्यों, मेरे शॉट सीधे फील्डरों के हाथों में पहुंच जाते थे. वह कहते हैं कि हैन्सी को संभालने में काफी परेशानी होती थी और दक्षिण अफ्रीका में डोनल्ड या पोलॉक नहीं, हैन्सी क्रोन्ये ने ही उन्हें सबसे अधिक आउट किया है.

सन 2000 में मैच फिक्सिंग के चक्कर में क्रोन्ये को क्रिकेट की दुनिया से विदा लेनी पड़ी थी. गेंदबाज के तौर पर उनका रिकॉर्ड कोई खास नहीं था - टेस्ट मैचों में 43 और वनडे में 114 विकेट. लेकिन सचिन उनकी इज्जत करते हैं, तो इसकी वजह है. क्रोन्ये उन्हें पांच बार आउट कर चुके हैं. कहीं ज्यादा मैचों में मुरली ने उन्हें सात बार, और मैकग्रा व गिलेसपी ने छह-छह बार पैविलियन वापस भेजा है. एक मैच की याद करते हुए सचिन कहते हैं कि वह डरबन में पोलाक और डोनल्ड की गेंदों की धुनाई कर रहे थे. फिर क्रोन्ये आए और पहली ही गेंद में वह स्लिप फील्डर के हाथों कैच दे बैठे.

इस इंटरव्यू में सचिन ने ब्रैडमैन के साथ अपनी भेंट के बारे में भी कहा है. उनके 90वें जन्मदिन पर सचिन उनके साथ थे. काफी बातचीत हुई थी. ब्रैडमैन से उन्होंने पूछा था, अगर आप अब भी खेलते होते, फिर क्या 99.94 का औसत बना रहता? कुछ सोचते हुए उन्होंने जवाब दिया था: नहीं, वह सत्तर तक उतर आता. जवाब सुनकर सचिन कुछ चौंक गए थे. ब्रैडमैन ने हंसते हुए कहा था, नब्बे साल के बैट्समैन के लिए यह कोई बुरा औसत नहीं है.

टीम के फॉर्म से काफी उम्मीदें हैं सचिन को. वह सन 2011 के विश्वकप को जीतने का सपना देख रहे हैं. वह कहते हैं, मुझे अचरज नहीं होगा, अगर 1983 को फिर से दोहराया जाए.

रिपोर्ट: एजेंसियां/उभ

संपादन: वी कुमार

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी