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स्थानीय लोगों को साथ लाने से ही बचेंगे जंगल

१० मार्च २०१७

किसे बचाये जाने की ज्यादा जरूरत है- जंगलों को या उन पर निर्भर लोगों को. कैमरून में कैसे स्थानीय लोगों को वन संरक्षण के केंद्र में रखकर कुदरत के साथ संतुलन बिठाने की कोशिश हो रही है.

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Brasilien Regenwald im Amazonasgebiet
तस्वीर: Getty Images/M. Tama

कैमरून का वर्षावन. सैकड़ों साल से लोग यहां रह रहे हैं. वर्षावन का एक इलाका अब कोरु नेशनल पार्क है. लेकिन बरसों तक चले शिकार के कारण यहां वन्य जीवन खतरे में है. कई प्रजातियां तो लुप्त होने की कगार पर हैं, लिहाजा अब संरक्षक सख्ती बरत रहे हैं. रेंजर और एक एनजीओ के प्रतिनिधि कैमरा ट्रैप लगाकर खतरे में पड़े जानवरों की संख्या का अंदाजा लगाना चाहते हैं. चाहे वो चिपांजी हो या फिर ड्रिल कहे जाने वाले लंगूर. ज्यादातर जंगली जानवर लोगों के लिए भोजन हैं. वे लोगों के लिए प्रोटीन का एक मात्र जरिया हैं. कुछ जानवर तो पैसे के चक्कर में बाहरी लोगों को भी बेच दिये जाते हैं.

इराट गांव में, नेशनल पार्क के डायरेक्टर पहुंचे हैं. दो साल पहले जब वो यहां आए थे, स्वागत ऐसी गर्मजोशी से नहीं हुआ था. लेकिन अब पार्क प्रशासन और ग्राम सभा मिलकर काम करते हैं. नियमों का सम्मान करने पर ग्रामीणों को काफी व्यावहारिक मदद मिलती है, जैसे कि गांव में सौर ऊर्जा. गांव के मुखिया के भाई डैनिएल आगूंस कहते हैं, "इस बार स्थानीय लोग संरक्षण के केंद्र में हैं. यह पहला मौका है जब हर कदम पर हमसे मशविरा किया जा रहा है. हम इस तथ्य से सहमत हैं कि हम नेशनल पार्क के अंदर अलग तरीके अपनाकर भी अपना जीवन चला सकते हैं."

लेकिन शिकार न किया जाए तो क्या किया जाए, विकल्प क्या है. पार्क प्रशासन और ग्रामीण अलग अलग जोन बनाने पर सहमत हुए हैं. ऐसे बोर्डों के जरिये सबको उनकी सीमाएं बताई गई हैं. इसके तहत एक हिस्सा सरंक्षित वन है, एक सामुदायिक वन, जहां से लकड़ी बीनी जा सकती है और एक इलाके में खेती की अनुमति है.

Brasilien Entwaldung des Urwaldes
खतरे में हैं दुनिया भर के वर्षावनतस्वीर: picture-alliance/Demotix/K. Hoffmann

कभी शिकार के लिए मशहूर जॉन एकपोह भी बंदूक छोड़ खेती कर रहे हैं. वह 60 साल के होने वाले हैं, शिकार करना अब पहले जैसा आसान नहीं. प्रकृति संरक्षक जानना चाहते हैं कि दूसरे शिकारियों को भी कैसे इस राह पर लाया जाए. एकपोह एक नजीर की तरह हैं, आज उनका परिवार पहले से ज्यादा कमा रहा है.

जॉन इनयांग एकपोह कहते हैं, "मैं हर साल अपने काकाओ से एक लाख फ्राँ कमाता हूं. मैं और जमीन का इस्तेमाल कर सकता हूं. यह आसान कमाई है. खेती बहुत आसान है, आप सिर्फ काकाओ की बीज तोड़ते हैं, उन्हें धूप में सुखाते हैं और फिर बेचते हैं. यह शिकार जितना मुश्किल नहीं. मैं दिक्कतों का सामना करने का आदी हूं."

शिकारियों को रात दिन जंगल में बिताने पड़ते हैं. ऊपर से जान जाने का भी डर. फिर सभी शिकार छोड़कर खेती क्यों नहीं अपनाते? प्रोजेक्ट सलाहकार फ्रांक स्टेनमांस के पास इस सवाल का जबाव है, "अगर मुझे कोई परेशानी हो तो मुझे पैसे की तुरंत जरूरत पड़ेगी. उस तरीके से आप पैसा कमा सकते हैं. काकोआ के पेड़ कुछ समय लेंगे. आपको पेड़ लगाने होंगे. आप उनकी रोपाई के दौरान कुछ फलदार पेड़ भी लगा सकते हैं. ताकि आपकी कुछ शुरुआती कमाई हो. लेकिन फल आने में चार साल लगते हैं, इतना लंबा इंतजार थोड़ा मुश्किल होता है."

गांव की मीटिंग में मुखिया ने शिकार पर प्रतिबंध का एलान किया है. सभी परिवारों के मुखिया प्रतिबंध पर सहमत हैं, नियम तोड़ने वाले पर पेनल्टी लगाने पर भी वो राजी हुए हैं. दस लोगों ने तो पार्क रेंजरों को अपनी बंदूकें भी सौंप दी. रेंजरों को उम्मीद है कि यह सिर्फ दिखावा नहीं है.

बंदूक समर्पण के बदले गांव को 10 मोटरसाइकिलें मिली हैं. अब इन लोगों को मोटरसाइकिल चलाना सीखना होगा. शिकारी रहे लोग अब मोटरसाइकिल टैक्सी या पोस्टमैन का काम करेंगे.

पहले पास के गांव तक पहुंचने के लिए छह घंटा पैदल चलना पड़ता था. लेकिन कच्चा रास्ता बनने और मोटरसाइकिल मिलने के बाद भी एक मश्किल बाकी है. बरसात में जब नदी नाले उफनते हैं तो इंतजार करना पड़ता है. अब एक पुल बनाया जा रहा है. जाहिर है कि लोगों के लिए बाजार और अन्य सेवाओं तक पहुंच बहुत जरूरी है. इसके जरिये गांव तक सामान आता है, लोग आसानी से स्कूल, डॉक्टर और अन्य चीजों तक पहुंच सकते हैं.

पूर्व शिकारी जॉन एकपोह चाहते हैं कि रास्ता संकरा ही बना रहे. वह नहीं चाहते कि अवैध पेड़ कटाई से जंगल और उनकी दुनिया तबाह हो. उम्मीद है कि पार्क प्रशासन और लोग, कुदरत और टिकाऊ आदमनी के बीच अच्छा संतुलन बैठा पाएंगे.

(सैटेलाइट की नजर से कुदरत का कहर)

ग्रिट होफमन/ओेएसजे