भारत अमेरिका वीजा विवाद गहराया | जर्मन चुनाव 2017 | DW | 12.08.2010
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जर्मन चुनाव

भारत अमेरिका वीजा विवाद गहराया

भारत अमेरिका वीजा विवाद के बीच अमेरिकी सरकार ने कैपिटल हिल और उद्यमियों से बातचीत करनी शुरू की है. अमेरिकी संसद ने एच-वन बी और एल-1 वीजा फीस बढ़ाने का बिल पास किया है.

अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा नवंबर में भारत जा रहे हैं और अमेरिका चाहता है कि इस यात्रा से पहले वीजा का मुद्दा हल हो जाए और अमेरिका भारत के बीच बढ़ते व्यापारिक संबंधों पर इसका असर न पड़े.

वीजा फीस पढ़ने पर भारत की आईटी कंपनियों को 25 करोड़ डॉलर वीजा फीस में ही खर्च करने होंगे. लेकिन अमेरिकी अधिकारियों के बीच ही इस पर एकमत नहीं है. अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता पीजे क्राउली ने कहा, "ये एक मुद्दा है जिस पर हमने बात की है. हमने सरकार के अंदर भी चर्चा की है साथ ही हम उद्यमियों से भी बातचीत कर रहे हैं. हमने ये संकेत भी दिए हैं कि हम इस पर आगे चर्चा करते रहेंगे."

Barack Obama Präsident Atlanta Irak Abzug

व्यवसायियों ने चेतावनी दी है कि अमेरिका और मेक्सिको की सीमा पर सुरक्षा की बेहतरी के उपायों के तहत जो वीजा फीस बढ़ाई जा रही है उससे भारत अमेरिका के संबंधों पर असर पड़ेगा.

प्रस्ताव के मुताबिक वीजा फीस अगले पांच साल में दो हज़ार यूरो तक बढ़ जाएगी. ये फीस उन कंपनियों के लिए बढ़ाई जा रही है जहां 50 से ज्यादा कर्मचारी हैं और जहां अधिकतर लोग वीजा पर बाहर से आते हैं.

सीनेट के बिल के अनुसार विप्रो, टाटा, इन्फोसिस और सत्यम जैसी भारतीय कंपनियों से कई सौ कर्मचारी अमेरिका काम करने के लिए आते हैं ताकि तकनीकी मुद्दों पर और यहां के इंजीनियर्स को वो मदद कर सके. इन कंपनियों पर भारी असर पड़ेगा.

रिपोर्टः पीटीआई/आभा एम

संपादनः महेश झा

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