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आखिरकार रोमियो को मिल गई जूलियट

१६ जनवरी २०१९

करीब दस साल की मेहनत के बाद आखिरकार संरक्षकों ने दुर्लभ बोलिवियाई मेंढक रोमियो के लिए एक सदाबहार जंगल के अंदरूनी इलाके से जूलियट को ढूंढ निकाला जो उसी प्रजाति की है.

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Bolivianischer Wasserfrosch - Romeo
तस्वीर: Global Wildlife Conservation/R. Moore

रोमियो नाम का यह मेंढक 10 साल से तन्हाई में जी रहा था. जीव संरक्षकों ने इस प्रजाति को विलुप्त होने से बचाने के लिए रोमियो की जूलियट से मुलाकात कराने की गुहार लगाई थी. वन्यजीव संरक्षकों का दल काफी खोज करने के बाद ना सिर्फ जूलियट बल्कि चार और सदस्यों को भी अपने साथ लाने में कामयाब हुए हैं. इस कोशिश से अब मेंढकों की इस प्रजाति के बचने की उम्मीदें बढ़ गई हैं. 

ग्लोबल वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन और बोलिविया की नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम की संयुक्त टीम ने पिछले दशक में कई बार बोलिविया के जंगलों में इन मेंढकों को ढूंढने की कोशिश की लेकिन उन्हें हर बार नाकामी ही हाथ लगी.

पिछले साल वेलेंटाइन डे के मौके पर इसे मेंढक को बचाने की अपील की गई और उसके बाद इसके लिए धन भी जमा हो गया. वन्यजीव संरक्षकों की टीम ने एक बार फिर कोशिश की और अगले वेलेंटाइन डे से पहले आखिरकार जूलियट को ढूंढ निकाला.

नेशनल म्यूजियम में हर्पेटोलॉजी (प्राणिविज्ञान की शाखा जिसमें उभयचरों के बारे में अध्ययन किया जाता है) की प्रमुख और इस अभियान का नेतृत्व करने वाली तेरेसा कामाचो ने कहा, "यह एक अतुलनीय अनुभूति है, भला हो उन सब लोगों को जिन्होंने सच्चे प्यार में भरोसा किया और पिछले साल वैलेंटाइन डे के मौके पर दान दिया, हमने रोमियो के लिए जोड़ीदार ढूंढ लिया है और अब उनके प्रजनन के लिए कार्यक्रम एक से ज्यादा जोड़ों के साथ शुरू कर सकेंगे."

Bolivianischer Wasserfrosch - Julieta
जूलियटतस्वीर: Global Wildlife Conservation/R. Moore

रोमियो को भी इन्हीं जंगलों में एक दशक पहले तलाश किया गया था और माना जा रहा था कि वह अपनी प्रजाति का अकेला जीवित मेंढक है. मेंढकों की आयु 15 साल होती है और बहुत वक्त निकल गया था. इसके साथ ही इन्हें बचाने की उम्मीद भी धुंधली पड़ने लगी थी. हालांकि रोमियो ने उम्मीद नहीं छोड़ी थी और वह 10 साल से लगातार अपनी जूलियट के लिए पुकार लगा रहा था.

ग्लोबल वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन ने बयान जारी कर कहा है, "इस कुंवारे की किस्मत पूरी तरह से बदलने वाली है." इसके साथ ही कामाचो ने कहा, "अब असली काम शुरू होगा: हम इस प्रजाति को अपने पास रख पाने में सफल हुए हैं, लेकिन अब हमें इनके प्रजनन के बारे में सीखना होगा, साथ ही उस इलाके में भी जाना होगा याकि यह समझ सकें कि क्या और भी मेंढक बचे हुए हैं, अगर हां तो कितने. वो कहां हैं क्या उन्हें भी कोई खतरा है."

इन मेंढकों को नेचुरल हिस्ट्री म्यूजियम के एक खास हिस्से में अलग से रखा गया है. इनके लिए वैसा ही वातावरण पैदा करने की कोशिश की गई है जैसा कि जंगल में उन्हें प्राकृतिक रूप से मिलता था. फिलहाल जंगल से आए मेंढकों का डॉक्टर परीक्षण कर देखेंगे कि उन्हें कोई संक्रामक रोग तो नहीं है जिनकी वजह से उनकी संख्या में इतनी तेजी से गिरावट आई. इन परीक्षणों से गुजरने के बाद ही रोमियो जूलियट की असली मुलाकात होगी.

एनआर/ओएसजे(एएफपी)